: जौनपुर में सीवर बिछाने में तीन सौ करोड़ का ठेका था, हंगामा तो होना ही था : भक्तों ने धनंजय पर कसीदे काढ डाले, बोले कि सांच को आंच नहीं : खबर है कि बड़े नेताओं ने स्थानीय नेता को टाइट किया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : अपने अस्तित्व के लिए पिछले बीस बरस से धनंजय सिंह लगातार छटपटा रहे हैं। बाहुबली भी हैं, इसीलिए जहां भी ठौर मिलती है, किसी न किसी माकूल पार्टी में घुस जाते हैं। एक बार सांसद रह चुके हैं। हालपता जौनपुर का जिला कारागार में बैरक नम्बर सात है, जहां वे कम्बल-थाली-लोटा लिये घूम रहे हैं। वजह है एक कम्पनी ठेकेदार के मैनेजर ने उन पर अपहरण और मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया है। लेकिन धनंजय सिंह का अरोप है कि स्थानीय मंत्री गिरीश चंद्र यादव ने उन्हें फंसा कर जेल में बंद कराया है।
कुछ भी हो, मुकदमा दर्ज होने के तीन दिन बाद ही ठेकेदार झींकते-कांखते हुए धनंजय सिंह के लोगों के पास पहुंचा और गिड़गिडाते हुए अपनी करतूत के लिए माफी मांगी। इतना ही नहीं, उस ठेकेदार ने एक हलफी-बयान भी जारी किया है कि वह तनाव में था, और मानसिक रूप से परेशान था, इसलिए उसने धनंजय सिंह पर झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया था। अब वह यह मुकदमा वापस लेने जा रहा है। इस बदलाव के बाद से ही धनंजय सिंह खेमे में बाहुबली के समर्थकों में खासा जोश है। भक्तों ने धनंजय पर कसीदे काढना शुरू कर दिया है और बोले कि सांच को आंच नहीं, सत्य की जीत हुई है, जरा समय जरूर लगा परंतु सत्य की जीत हुई।
लेकिन उस ठेकेदार का यह पलट-वार उसकी अंतरात्मा की पुकार नहीं है, और न ही इस मामले में यह कोई अंतिम मोड़ होने जा रहा है। जानकार बताते हैं कि मामला होल्टाइल होने का है, जौनपुर में सत्ता संतुलन का है। मतलब यह कि इतनी आसान नहीं होगी धनंजय सिंह की डगर। यह सच है कि वादी होस्टाइल हो गया है, और बाहुबली धनंजय सिंह पर आपराधिक वाद दायर करने वाले ने हथियार डाल दिये हैं,, लेकिन यह पत्ता इतना बेअसर नहीं हो पायेगा। अभी तो पुलिस की कवायद शुरू होगी। हां, इतना जरूर है कि इस पलटवार से स्थानीय नेतागिरी के मोहरे काफी कमजोर होने लगेंगे।
आपको बता दें कि यह झगड़ा कोई मारपीट का नहीं है। हालांकि धनंजय सिंह इसके पहले भी कई ऐसे एक्शन लेने में चर्चित रहे हैं। करीब 17 बरस पहले एक फ्रेजर स्कूल में भी इसी तरह का एक मामला धनंजय सिंह पर मढ़ा गया था। ऐसे कई और मामले हैं धनंजय सिंह पर। लेकिन यह ताजा मामला थोड़ा अलग किस्म का है। निहायत गंदा किस्म की गंदगी को हटाने वाली योजना में गंदगी के फैल जाने का। दरअसल, जौनपुर शहर में सीवर बिछाने का काम एक कम्पनी को दिया गया था। यह काम करीब तीन सौ करोड़ रूपयों का है। इसमें धनंजय सिंह के लोगों ने बालू सप्लाई करने के ठेके लिये थे। आरोप है कि यह बालू घटिया किस्म की थी। ऐतराज हुआ तो यह हंगामा शुरू हो गया, जो मारपीट, अपहरण वगेरह से होते हुए बाहुबली को जेल भेजने की नौबत तक पहुंच गया।
लेकिन बात भी यहीं तक नहीं है। आरोप तो यह है कि इस ठेके में स्थानीय मंत्री गिरीश चंद्र यादव बहुत रूचि ले रहे थे। आरोपों के अनुसार घटिया बालू की सप्लाई का आरोप इसी धंधेबाजी के पैंतरों का एक हिस्सा भर था। गिरीश इस मामले में अपने लोगों को ही फिट करने की जुगत में थे, जो असफल होने पर इस स्तर तक पहुंच गये बताया जाता है। जाहिर है कि यह साफ-साफ तोर पर मोटे बंदरबांट का है। नतीजा यह हुआ कि सहारपुर के रहने वाले और जौनपुर के पचहटिया में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बना रही कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल की तहरीर पुलिस कप्तान को सौंपी, और आनन-फानन कप्तान ने धनंजय सिंह के बाहुबली-पन को सींखचों के भीतर कर दिया। आरोप तो यह है कि इस कप्तान ने यह तेजी अपने कार्य-दायित्वों के चलते नहीं, बल्कि गिरीश यादव की नजदीकी के चलते किया।
सूत्र बताते हैं कि इस मामले के बाद धनंजय सिंह ने लखनऊ और दिल्ली तक पहुंचे-फैले अपने संपर्कों को साधा और आनन-फानन अभिनव सिंहल ने बाहुबली के चरणों में अपने सारे हथियार बिना शर्त डाल दिये। अब मामला पुलिस इनवेस्टीगेशन और कोर्ट तक पहुंच चुका है। लेकिन इतना जरूर है कि इस पूरे मामले में गिरीश चंद्र यादव गहरे कींचड़ में फंसते जा रहे हैं।
यह तो इब्तिदाये-इश्क और मुश्क ही तो है। बाकी अल्लाह जाने, क्या होगा आगे।