: विकास दुबे का शार्प-शूटर टोंटी वाले अखिलेश यादव का बगलगीर निकला : सभी पार्टियों में मटरगश्ती करती रहीं विकास दुबे की औलादें : हर क्षेत्र के दिग्गज विकास दुबे के खेमे में :
कुमार सौवीर
कानपुर : जब मदिरालय, जुआखाना और वेश्यालय तक में साक्षात प्रभु का नियमित आना-जाना हो जाए, तो फिर किसकी आस्था ईश्वर पर हो पायेगी ? कानपुर में जिस तरह पुलिस क्षेत्राधिकारी समेत आठ पुलिसकर्मियों को विकास दुबे नामक खूंखार शैतान ने मौत के घाट उतार दिया था, उससे पूरा प्रदेश ही नहीं, देश भी दहल गया था। लेकिन उससे भी ज्यादा हौलनाक माहौल तब बनने लगा है, जब विकास दुबे और उसकी क्राइम-कम्पनी के खेमे में ऐस-ऐसे लोग निकलने लगे हैं, जो अब तक राजनीति, प्रशासन, पुलिस और समाज में ईमानदारी, शुचिता, अनुशासन और स्वच्छता की डींगे हांका करते थे।
हे राम। इससे बड़ी शर्मनाक हालत और क्या होगी कि विकास दुबे और उसकी अपराध-कम्पनी के सीईओ यानी सर्वोच्च कर्ताधर्ताओं के साथ उप्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बेहद करीबी रिश्ते बरामद हो गये हैं। इसके पहले प्रदेश के मंत्री ब्रजेश पाठक के साथ विकास दुबे की दांत चियारते हुई फोटो सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों वायरल होकर हंगामा मचा रही है। लेकिन अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की फोटो भी आम आदमी के मन में ऐसे बड़े नेताओं के प्रति घृणा और उबकाई का भाव जाहिर करने लगी है।
हालत यह है कि चौबेपुर के थानाध्यक्ष विनय तिवारी से लेकर कानपुर के एसएसपी और एसटीएफ के डीआईजी रहे अनंत देव तिवारी तक का नाम कुख्यात अपराधी विकास दुबे के साथ मिली-भगत के आरोप में जोड़ा जा रहा है। इसके पहले कानपुर के मौजूदा आईजी मोहित अग्रवाल की बेहद करीबी कुख्यात डाकू ददुआ के साथ होने की बात साबित हो चुकी है, जब मोहित अग्रवाल रायबरेली में पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे। लेकिन प्रशासनिक क्षेत्र में दिग्गज माने जाने वाले प्रदेश के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के साथ जय बाजपेई की एक ही मंच पर खींची गयी फोटो से तो पूरा प्रदेश ही सन्नाटे में आ गया है।
आपको बता दें कि जय बाजपेई को पूरा कानपुर “विकास दूबे एंड कम्पनी के सीईओ” के तौर पर जानता-पहचानता है। सूत्र बताते हैं कि जय बाजपेई का मूल धंधा विकास दुबे के पक्ष में राजनीतिक और पुलिस विभाग में व्यापक जनसम्पर्क करना, उन लोगों की विकास के साथ करीबी रिश्ते बढ़ाना और विकास दुबे की अकूत सम्पत्ति को ठिकाने लगाना। यही वजह है कि एक प्रिंटिंग प्रेस में ढाई हजार रुपया की नौकरी करने वाला जय बाजपेई अपराध की सीढि़यां चढ़ते-चढ़ते महज चार-पांच बरसों में ही खरबपति की हैसियत तक पहुंच चुका है। और हाल ही उसने दुबई में 15 करोड़ रुपयों से एक फ्लैट भी खरीदा बताया जाता है। ( क्रमश: )