मनरेगा में लूट की एक नजीर लखनऊ में देखिये

बिटिया खबर

: प्रधान-पति और प्रधान-प्रतिनिधि के बाद एक नया पद सृजित हो गया है प्रधान-पुत्र :
दोलत्‍ती संवाददाता
लखनऊ : मनरेगा की चर्चा हमेशा कुख्याति के तौर पर ही हुई है। जब से ही यह मनरेगा की योजना शुरू हुई, चर्चाएं रही हैं कि इस अकेली योजना से ही हर ग्राम प्रधान के पास सालाना 10 लाख से ज्यादा की कमाई हो जाती है। बाकी अन्य योजनाओं पर होने वाला कमीशन अलग से है। लेकिन बहुत कम ही लोग जानते होंगे यह पैसे का इस्तेमाल किस-किस तरीके से अफसरों को खुश करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
हाल ही दैनिक जागरण के एक विज्ञापन में मनरेगा की हालत का खुलासा कर दिया। दैनिक जागरण के पहली जनवरी के अंक में पृष्ठ पर सबसे नीचे लखनऊ के सरोजनी नगर विकासखंड का एक विज्ञापन छपा है। यह विज्ञापन सरसावां अर्जुनगंज की ग्राम प्रधान लल्ली देवी, निजामपुर मजगामा के प्रधान हनुमान और हसनपुर खेवली के प्रधान सूरज की ओर से छपवाया गया है। इसमें ग्राम विकास अधिकारी सरोजनी नगर भूपेंद्र सिंह और सोनिया घर के खंड विकास अधिकारी अजीत कुमार सिंह का सचित्र ब्यौरा है।
जाहिर है कि इस विज्ञापन का भुगतान केवल तीनों प्रधानों ने ही किया है। कोई भी सरकारी या अधिकारी ऐसे विज्ञापन में धेला भी खर्च नहीं करेगा। इस विज्ञापन में भी यही हुआ है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि इस विज्ञापन का भुगतान तो इन तीनों प्रधानों ने ही किया है। सूत्रों के मुताबिक ग्राम प्रधानों ने भी अपनी जेब से पैसा खर्च नहीं किया है बल्कि विज्ञापन के लिए मनरेगा को खूब उलीचा, खोदा और उगाहा गया है।

आपको बता दें कि ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायतों के सचिव की हैसियत में होते हैं जिनका काम प्रधान के अधीन रहना होता है। लेकिन इस ग्राम पंचायत धिकारी भूपेंद्र सिंह के पास बाकायदा तीन-तीन ग्राम पंचायतों का जिम्मा है। यानी कमीशन 3 गुना। और इस पूरे काला धंधे पर प्रश्न उठा रहा है यह विज्ञापन। माननीय होने के बावजूद इस विज्ञापन में इन प्रधानों में अपनी फोटो सबसे नीचे लगाई है जबकि मोदी और योगी की फोटो की शैली में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और खंड विकास अधिकारी ने खुद को सबसे ऊपर स्थापित कर दिया।
दिलचस्प बात तो यह है कि दैनिक जागरण के इसी अंक के उसी पृष्ठ के बंथरा के संजय सिंह चौहान की फोटो भी विज्ञापन के तौर पर छापी गई है। विज्ञापन में संजय सिंह चौहान को प्रधान पुत्र के तौर पर पेश किया गया ।हैरत की बात है कि इसके पहले प्रधान-पति फिर प्रधान-प्रतिनिधि जैसे फर्जी नए-नए पद सृजित कर चुके हैं राजनीति के खिलाड़ी लोग। और अब एक नया पद सृजित हो गया प्रधान पुत्र।

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