नगर पालिका के विज्ञापनों में वरिष्ठ लिपिक कैसे घुसा

दोलत्ती

: पालिका और पंचायतों के अधिकांश विज्ञापनों में सभासदों की इज्‍जत ठेंगे पर : माननीय सभासदों की औकात दो-कौड़ी की कर दी अफसरों और अध्‍यक्षों ने :
दोलत्‍ती संवाददाता
श्रावस्‍ती और गोंडा : नगर निकायों के अधिकांश विज्ञापनों में सभासदों की खुली अपमानजनक अवहेलना कर रहे हैं अध्‍यक्ष और अधिशासी अधिकारी लोग। प्रदेश के नगर पालिका या नगर पंचायत जैसे निकायों के विज्ञापनों में उन पंचायतों या नगर पालिकाओं के अध्यक्षों और संबंधति अधिशासी अधिकारी के साथ-साथ यह लोग अपने पंचायत या पालिका के वरिष्ठ लिपिक की भी फोटो सहित विज्ञापन जारी कर रहे हैं।
हमारे पास दो विज्ञापन आए हैं। एक विज्ञापन है गोंडा जिला के नवाबगंज नगर पालिका परिषद का जबकि दूसरा विज्ञापन है श्रावस्ती जिला के इकौना नगर पंचायत का। इन दोनों ही नगर निकायों ने अपने यहां से नए साल पर बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाये हैं। श्रावस्ती के इकौना नगर पंचायत के विज्ञापन में इस निकाय के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार गुप्ता की फोटो के साथ ही साथ वहां के अधिशासी अधिकारी प्रेम नाथ की फोटो तो लगी ही है। लेकिन इसके साथ साथ बीच में इस निकाय के वरिष्ठ लिपिक इशरत हुसैन हाशमी की भी फोटो घुसेड़ दी गयी है। जबकि गोंडा के नवाबगंज नगर पालिका परिषद के विज्ञापन में अध्यक्ष सत्येंद्र कुमार सिंह और अधिशासी अधिकारी राजीव रंजन सिंह के साथ साथ वहां के वरिष्ठ लिपिक शेर बहादुर तिवारी को विज्ञापन में फिट कर दिया गया है।
सवाल इस बात का है कि इस विज्ञापन में वरिष्ठ लिपिक स्थान कैसे फिट कर दिया गया, जबकि वरिष्ठ लिपिक से ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं निकाय के निर्वाचित माननीय सभासद लोग। लेकिन उनका कोई भी जिक्र ना होने करने के कई संशय उठ रहे हैं। अध्यक्ष और अधिशासी विज्ञापन में वरिष्ठ लिपिक की फोटो और नाम को जबरन घुसने और उन निकायों के निर्वाचित सभासदों को अकेला छोड़ देना यह बड़े विवाद का विषय बन सकता है।
आपको बता दें कि इकौना नगर पंचायत के जितेन कुमार गुप्ता लगातार विवादों में फंसे हुए हैं। इस निकाय के अधिकांश सभासद अपने अध्यक्ष जीतेंद्र कुमार गुप्ता की कार्यशैली और उनके कामकाज तथा नगर पंचायत में चल रहे काम को लेकर काफी शिकायतें दर्ज करा चुके हैं। इस समय इन दोनों ही निकायों में अध्यक्ष और बाकी अधिकारी सभासदों में खासी तनातनी बनी हुई है। सूत्र बताते हैं वरिष्ठ लिपिक चूंकि फाइलों पर भुगतान का जिम्‍मेदार होता है इसलिए उसे अपना बगलगीर बनाए रखना अधिशासी अधिकारी ही नहीं बल्कि निकायों के अध्यक्षों की भी मजबूरी हो जाती है। बाकी सभासद जाएं ठेंगे पर।

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