मनोज सिन्‍हा का हुआ जुगाड़। पर गाजीपुर का क्‍या होगा ?

दोलत्ती

: बीएचयू छात्रसंघ के अध्यक्ष से होकर जम्‍मू-कश्‍मीर के राज्‍यपाल तक का सफरनामा : भाजपा के लिए पिछड़ों और खास कर यादवों को साधने की चुनौती :
विनय सिंह
गाजीपुर : मनोज_सिन्हा के कश्‍मीर का उप राज्यपाल बनाए जाने की बधाई गाज़ीपुर। समर्थकों में खुशी के साथ थोड़ी मायूसी भी।
गाज़ीपुर लोकसभा से तीन बार भाजपा सांसद रहे और पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अच्छी छवि बनाए रखने में सफल रहे मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बनाए जाने की ख़बर गाज़ीपुर में जंगल की आग की तरह फैल गयी है।
बीएचयू छात्रसंघ अध्यक्ष की राजनीति से राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करने वाले मनोज सिन्हा 1982 में एमटेक करने के बाद 1996, 1999 और फिर 2014 में गाज़ीपुर से ही सांसद चुने गए और ये भी एक सुखद संयोग था कि जब जब वे सांसद चुने गए तब भाजपा भी सत्ता में आई थी, लेकिन 2019 में जब वे हार गए तो आज जम्‍मू-कश्‍मीर में धारा 370 हटने के ठीक एक साल बाद भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें चुनौती भारी परिस्थितियों में उपराज्यपाल के पद से नवाज़ कर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में उनकी गहरी पैठ और विश्वासपात्र की छवि का अंदाजा तो बता दिया लेकिन वहीं इसके साथ उनकी लोकसभाई राजनैतिक हैसियत का भी संकेत दे दिया है, हालांकि राजनीति में संभावनाएं अपार होती हैं।
फिलहाल मनोज_सिन्हा के उपराज्यपाल बनाए जाने पर उनके गांव के साथ लोकसभा के लोग और शुभचिंतक जहां खुश हैं वहीं बुद्धिजीवी और राजनीतिक समर्थक तबका थोड़ा मायूस भी है, क्योंकि बतौर सांसद और केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा ने गाज़ीपुर में लगभग 20 हजार करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजनाएं चलवा रखी थी और अभी कई परियोजनाएं अधर में भी थीं, गाज़ीपुर को ये उम्मीद थी कि उन्हें राज्यसभा से फिर मंत्री बनाया जा सकता है जिससे जनपद का विकास फिर गति पकड़ेगा। ये बातें उनके परम राजनीतिक विरोधी और विपक्षी भी मानते और कहते हैं।
लेकिन उपराज्यपाल बनाए जाने की खबर से अब इस पर विराम लगता सा दिख रहा है और अब अटकलें ये लगाई जा रही हैं कि लगभग 62 साल के हो चुके मनोज सिन्हा (1 जुलाई 1959) एक्टिव राजनीति से दूर हो रहे हैं तो उनकी जगह अब लोकसभा का प्रतिनिधित्व भाजपा से कौन करेगा। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में बैकवर्ड + दलित + मुस्लिम + असंतुष्टों के गठबंधन के जातिगत राजनीतिक समीकरण ने विकास को दरकिनार करते हुए अपना फैसला बसपा के अफ़ज़ाल अंसारी के पक्ष में सुनाया था, तो अब ये बड़ा सवाल है कि राज्यपाल या उपराज्यपाल जैसे पद के बाद एक्टिव राजनीति का स्कोप कितना रह जाएगा?
हालांकि मनोज सिन्हा से पहले भाजपा ने जनपद के ही एक और लाल कलराज मिश्र को भी राजस्थान का राज्यपाल बनाया हुआ है।
और फिर मनोज सिन्हा को जम्मू कश्मीर का उपराज्यपाल बनाया जाना जनपद के लिए गौरव की बात तो जरूर है लेकिन यूपीए सरकार में यहीं के हामिद अंसारी भारत के उपराष्ट्रपति भी थे, जो इन पदों से काफी बड़ा संवैधानिक पद था लेकिन इससे जनपद या लोकसभा के विकास पर कितना प्रभाव पड़ा ये बात जनता को समझनी पड़ेगी।
बड़ा सवाल ये है कि, क्या अब ये माना जाए कि अब भारतीय जनता पार्टी ने गाज़ीपुर लोकसभा के लिए नया चेहरा तलाश लिया है या फिर जल्द ही कोई नया चेहरा लोकसभा के लिए सामने आ सकता है…?

( आजतक के रिपोर्टर और गाजीपुर के मुखर और दिग्‍गज पत्रकारों में से हैं विनय सिंह)

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