यूपी बजट नहीं, सोशल इनफारमेशन डाक्यूमेंट था

दोलत्ती

: फाइनेंशियल इनफारमेटिव डाक्यूमेंट की अवधारणा ही लापता : खेतों में नीलगाय और मवेशी है, खेती-किसानी बर्बाद :
विनय तिवारी
लखनऊ : किसी भी बजट का मतलब होता है उसका फाइनेंशियल इनफारमेटिव डाक्यूमेंट, न कि सरकार का सोशल इनफारमेशन डाक्यूमेंट। लेकिन यूपी सरकार के ताजा बजट को देख कर तो केवल यही पूछा जा सकता है कि अगर इसको बजट कहा जाए, तो फिर मजाक किसको कहा जाएगा।
इतिहास के पन्ने खंगालना शुरू कीजिए न। जब भी कोई सरकार जमीन के मसलों से भाग कर जाति, धर्म और अराजकता का दामन ओढृना शुरू करती है, तो उसके फैसले भी जमीन से लगातार कटते ही रहते हैं। बिलकुल हवा-हवाई! इस साल के बजट पर सरकारी अनुमान इसका सबसे मजबूत प्रमाण है। वित्त मंत्री जी के बजट भाषण में जो कुछ भी पेश किया है, उसको देख कर सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि सरकार के इस बजट में जो भी होना चाहिए, उसके बारे में कोई बात ही नहीं की है।
सरकार ने शुरूआत की है बाल्मीकि रामायण से। चलिए हम विश्वास कर लेते हैं कि बाल्मिकी ने रामराज वाले समाज का जो खाका खींचा था, वह सही ही किया होगा। लेकिन मंत्री जी भूल गये हैं कि वे रावण-राज के मंत्री हैं। या फिर वित्‍त मंत्री जी ही नहीं समझ पा रहे है कि वे क्‍या कहना चाहते हैं। मसलन, ​कृषि और पशुपालन रिश्ते अब एकदूसरे के खिलाफ और बर्बादी की हालत तक हैं। पशुपालन छुट़टा जानवरों से नहीं, किसान की लहलहाती खेती खेतों में चरते मवेशियों से नहीं होती है। और जब ऐसा होता है तो किसान बर्बाद होता है, ट्रेन से मवेशी कट कर मरते हैं। समाज सर्वनाश की ओर बढने लगता है। इस सरकार में भय ही भय है, सामाजिक कार्यक्रमों का जिम्मा समाज से छीन कर सरकार तक थोपा जा रहा है। उसका कारण है धार्मिक हठधर्मिता।
मुझे तो अब साफ दिखने लगा है कि सरकार अपने बजट-प्रस्ताव के बजाय दरअसल बजट-नेति कर रही है। एक नाक से बजट डाला जा रहा है, तो दूसरी नाक से उसे गिराया जा रहा है। आप देख लीजिए न कि डिफेंस कॉरीडोर में आपकी सरकार ने बिजली के पारेषण के लिए पांच हजार रूपया बताया था, लेकिन इस बजट प्रस्ताव में उसे गायब कर दिया। सरकार तो गजब है। डि​फेंस कॉरीडोर में तो शहरों को तो इधर से उधर खिसका दिया है। कक्षा छह में पढ़ने वाले स्‍कूल के बच्‍चे से भी पूछ लीजिए कि यूपी में नगरों-जिलों का स्‍थान क्‍या उसी तरह है, जैसा इस विज्ञापन में दिखाया गया है, तो वह बच्‍चा ठठाकर हंस पड़ेगा।
आपके संज्ञान में यह तथ्‍य लाना चाहता हूं कि प्रदेश संविधान से चलता है, बाल्मिकि रामायण से नहीं। खैर, छोडिये। आप इन योजनाओं के बजट का ब्योरा बता दीजिए। क्योंकि इस बजट में भी आपकी सरकार की अगम्भीरता और उसकी लापरवाहियों की आदतों की साफ छाप दिखायी पड़ रही है। या फिर बाल्मीकि रामायण में ही लिखा हो कि नारंगी सरकार के रामराज की योजनाओं वाले बजट को इसी तरह लापरवाहियों और अधकचरे ज्ञान व तैयारियों के साथ तैयार करना चाहिए।
गंगा एक्सप्रेस के अलावा किसी और एक्सप्रेस वे का बजट नहीं दिखाया है। मसलन, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, गोरखपुर एक्सप्रेसवे लिंकरोड, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, डिफेंस इंडिस्ट्रयल कॉरीडोर का बजट भी नहीं दिखा रहे हैं। बजट में पैसों के व्यय और रणनीति अदश्य है। रामराज की तरह गायब। बजट को जाना है आय और व्यय के विवरण के लिए, लेकिन वित्तमंत्री तो रामराज को तैयार करने में इतना तल्लीन हो गये कि बजट का व्यय विवरण ही देना भूल गये।
बिजली पर तो कोई ठोस जानकारी दी ही नहीं है। न सरकारी बकायों का जिक्र है, उसे कैसे वसूलेंगे, जिसकी जिम्मेदारी होगी। 13 हजार करोडृ का सरकारी बकाया है, लेकिन उसकी वसूली का कोई प्राविजन ही नहीं। अभी कोई आम उपभोक्ता ऐसा करे तो उसे रासुका में बंद कर देंगे, प्रॉपर्टी जब्त कर लेंगे। लेकिन सरकारी बकाया के जिम्‍मेदार को छुट़टा छोड दिया है आपने। अध्यक्ष जी, सरकार को यह तो बता दीजिए कि इसी तरह से ही अफसर उददंड होता जा रहा है। आप जिस बिजली घर को 2022 शुरू करने की बात कर रहे हैं, वह तो पिछली सपा सरकार की घोषणा थी और बनने शुरू हो गयी थी, फिर उसमें आपका क्‍या योगदान है, यह तो बताइये। आप कहते है कि 3000 मेगावाट की बिजली मिलेगी, लेकिन वह तो एनटीपीसी की योजना है। उसमें आपका तो एक धेला भी नहीं लगने वाला। तो दूसरों की योजनाओं को अपने खाते में मत जोडि़ये मंत्री जी। ऐसी फर्जी घोषणाओं को सरासर बेईमानी कहा जाता है।
बहरहाल, बजट पर बात हो रही है, तो बजट बताते जाइये। आपने नौ हवाई अड़डों का बजट नहीं बताया है। यूपी कौशल योजना में दो लाख युवाओं को लाभान्वित करने की बात तो कह दी है आपने, लेकिन उसका बजट ही नहीं बता रहे हैं आप। कृषि उदयान और सहकारिता के किसी भी बिंदु पर बजट नहीं। गन्ना विकास व चीनी उदयोग की भी यही हालत है।
बेटी बचाओ, बेटी पढृाओ योजना का क्रेडिट ले लिया, जबकि यह केंद्र सरकार की योजना है। महिला विकास पर शून्य है सरकार, लेकिन आप खामोश हैं। यही हालत है स्वधार गृह योजना की, यह भी केंद्र की योजना है। युवाओं के लिए विशेष रोजगार योजना का भी बजट नहीं रखा है आपने।
सहारनपुर, अलीगढ, आजमगढ में नये विश्वविदयालयों,पुलिस फारेंसिक विश्वविदयालय और प्रयागराज विधि विश्वविदयालय, गोरखपुर का आयुष विश्वविदयालय, आजमगढ, अम्बेदकर नगर में लगभग पूरा हो गया इंजीनियरिंग कालेज, लेकिन उसके बजट हमें नहीं दिख पा रहा। मिर्जापुर, प्रतापगढ, बस्ती,गोंडा में इंजीनियरिंग कालेज का भी बजट नहीं।आठ नये निर्माण चल रहा है, तेरह नये स्वीकृत हैं, जौनपुर मेडिकल कालेज अधूरा पडा है। उसका जिक्र तक नहीं किया आपने। इसके अलावा लखनऊ के प्रस्‍तावित अटल मेडिकल कालेज व केजीएमसी का बलरामपुर सेंटर का बजट नहीं।
(विनय तिवारी गोरखपुर के चिल्‍लूपार विधानसभा क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के विधायक हैं)

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