मक्कार औरतें पुरुषों का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करती हैं

बिटिया खबर

: मोरल पुलिसिंग वहीं करते हैं जो सेक्सुअली फ्रस्ट्रेट होते हैं : इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल चुका है 51 बड़े वकीलों पर रेप का झूठा मुकदमा : रिवेंज पोर्न अगेंस्ट मैन : बदजात की बदनामी नहीं, बल्कि बिजनेस मिलता है : जब मैं कक्षा दस में पढ़ती थी तो हर आदमी मेरी मोरल पुलिसिंग करता था :

शिवानी कुलश्रेष्‍ठ

इलाहाबाद : मैंने अपनी पुरानी आईडी पर ‘रिवेंज पोर्न’ शीर्षक से एक पोस्ट लिखा था कि महिला से तलाक या लिव इन रिलेशनशिप टूटने के बाद लड़के अपने साथी की प्राइवेट तस्वीरें वायरल कर देते हैं। बिलकुल इसी तरह से पुरुषों के साथ भी होता है।
कुछ मक्कार टाइप की औरतें पहले ललचवाती हैं फिर पुरुषों की गुपचुप तरह से वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करती हैं। जरुरत पड़ने पर उसे वायरल भी करती हैं। हमसे कई लोग पूछते है कि इससे उस महिला की भी तो बदनामी होती होगी। देखिए! मैं आपको एक बात स्पष्ट कर दूं कि ऐसी महिलाओं की कोई बदनामी नही होती बल्कि उनको बिजनेस मिलता है। और लोग वीडियो देखकर आकर्षित होते हैं और सम्पर्क करते हैं। और ऐसा नही कि कोई कुछ जानता नही है। कोई दूध पीता हुआ लल्ला नही है। सबको सब पता है। बस मेरे अलावा कोई इस पर चर्चा नही करता। मैं इन चीजों पर चर्चा इस वजह से करती हूं ताकि मैं सबको जागरुक कर सकूं क्योंकि मैं एक पढ़ने लिखने वाली लड़की हूं। मैं इन चीजों से अवगत नहीं थी और जैसे -जैसे अवगत हुई तो मेरे होश ही उड़ गये क्योकि जब मैं कक्षा दस में पढ़ती थी तो हर आदमी मेरी मोरल पुलिसिंग करता था। समाज में मोरल पुलिसिंग वहीं करते हैं जो सेक्सुअली फ्रस्ट्रेट होते हैं। मां बाप के अलावा कोई भी आपकी मोरल पुलिसिंग करें तो मान लीजिए कि उस बेचारे को अवसर नही मिला है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक मुकद्दमा बहुत फेमस हुआ, जिसमें 51 अधिवक्ताओं पर झूठे रेप का आरोप लगाया गया और हाईकोर्ट के नामी गिरामी वकीलों ने उसमें बहस की। सीबीआई को जांच के आदेश हो गये। विपरीत पक्षकार झूठे रेप केस में फंसाकर धन उगाही करता था। इस तरह के लोग समाज में बहुत संभ्रांत और पढ़े लिखे वर्ग में गिने जाते हैं। इनके पास अच्छी-अच्छी कोठियां होती हैं। बड़ी -बड़ी कारें और ब्रांडेड कपड़े होते हैं। अंग्रेजी बोलती है तो मिडिल मैन इन्हें देखकर सोचता है कि यह सक्सैसफुल हैं। वह अंदर ही अंदर घुटता है। हीनभावना से ग्रस्त रहता है क्योंकि वह रोटी दाल में फंसा रहता है। लोग सोचते हैं कि इतना पैसा है। कोई ऐसे काम क्यों करेगा? एक्चुअली व्यक्ति को इन चीजों की हैबिट पड़ जाती है। वह पहले एक को छलता है फिर छलना स्वभाव बन जाता है।
खैंर! यह सब बातें सामान्य आदमी की समझ से बाहर हैं लेकिन हम अपने अनुभव से सभी पोस्ट को लिखते हैं कि शायद मैं लोगों को फंसने से बचा सकूं। इज्जत की और चैन की रोटी खाइएं क्योंकि कानून का गलत इस्तेमाल करने वाले लोग भी बैठे हुए हैं और यह सड़क छाप नही है। सब पढ़े लिखे और संभ्रांत परिवार के लोग हैं। यह लोग कानून और विज्ञान का दुरुपयोग कर रहे हैं।

(मूलत: शिकोहाबाद की रहने वाली शिवानी कुलश्रेष्‍ठ ने लखनऊ विश्‍वविद्यालय से पढ़ाई की, फिर लखनऊ कोर्ट के अलावा शिकोहाबाद और आगरा की कचेहरी में भी शुरूआती तौर पर वकालत करना शुरू किया था। लेकिन उनकी इच्‍छा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने की थी, नतीजा वह इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंच गयी। शिवानी का नाम उभरती वकील के साथ ही लिखने वाली जागरूक महिला के तौर भी है।)

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