: ए-नेगेटिव ग्रुप का दो बोतल खून बेझिझक दान कर आये प्रदीप : एक ऐसा व्यक्ति मुम्बई वाले सोनू सूद से कम क्षमतावान नहीं : किसान प्राकृतिक उत्पादन केंद्र वाला काढ़ा तो कोरोना वार्ड में बांटा जा रहा है :
रूमा वर्मा
लखनऊ : एक हैं सोनू सूद मुम्बई वाले…प्रवासियों के लिए देवदूत बन कर सामने आये हैं और आज देश-दुनिया में उनके नाम का डंका बज रहा है।
दूसरे हैं ये आपके प्रदीप जी। लखनऊ वाले…किसान प्राकृतिक उत्पादन केंद्र वाले। नायाब साबुन से लेकर काढा तक सैकड़ों आयुर्वेदिक वस्तुओं का निर्माण करते हैं प्रदीप दीक्षित। साबुन भी ऐसा जिसमें सिर्फ नारियल तेल का ही इस्तेमाल होता है। और काढ़ा ऐसा जो मेडिकल कालेज के कारंटाइन और कोरोना हास्पिटल में भर्ती मरीजों में पिलाया जाता है। बड़े-बड़े डॉक्टर उनके मुरीद हैं।
इनसे बात चल रही थी, इस कोरोना काल में अत्यन्त उपयोगी। विषय उठा अमृतधारा का। और प्राकृतिक रूप से निर्मित ऐसी ही अन्य वस्तुओं की जो इनके पास होम डिलीवरी के माध्यम से पूरे देश के लिए उपलब्ध हैं…
अचानक इन सज्जन को मेरी झुँझलाहट का सामना करना पड़ा…जब हमने बताया कि ए-नेगेटिव या पॉज़िटिव ब्लड ग्रुप वाला कोई मिल ही नहीं रहा… सब कोरोना से भयभीत हैं और रक्तदान करने वाले भी अनमने-से हैं…
तब बिना आगे-पीछे सोचे और कोरोना के भय को ताक पर रखते हुए तत्काल इन महोदय ने कहा-“मैं दे देता हूँ…किसे चाहिए…”
सुनकर आश्चर्य हुआ कि क्या सचमुच अचानक से कोई ऐसा उत्तर देगा..
खैर, सरकारी चिकित्सालय में दो दिनों के श्रम और समयदान के बाद यह यज्ञ सम्पन्न हुआ, जब ब्लड-सैम्पल की जाँच के साथ ही… दानकर्ता को कोरोना जाँच की लाइन में भी घण्टों प्रतीक्षा करनी पड़ती है…
बड़े साहस और धैर्य की आवश्यकता होती है इसके लिए…
पीजीआई में ब्लड-बैंक वाला डॉक्टर भी भौंचक्का। बोला आपके पास में तो स्ट्रांग ब्लड है। इतना तो 25 बरस के जवान में भी नहीं होता। डॉक्टर ने पूछा कि एक यूनिट के अलावा एक प्लाज्मा भी निकाल लूं, आपको कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
प्रदीप दीक्षित ने मुस्कुराते हुए सहमति दे दी। फिर काफी पी, दो बिस्कुट खाया और पीजीआई से बाहर निकल गये।
वह भी उनके लिए जिन्हें आप जानते ही नहीं…
धन्य हैं ये महोदय जिन्हें आप फोटो में कुर्ते में देखकर सरलता से पहचान सकते हैं।
तो लखनऊ के एक हीरो तो ये सज्जन भी हैं .
ऐसी हालत में, जब देश का जीडीपी रसातल में चला गया है, लॉकडाउसन के चलते व्यवसायिक गतिविधियां ठप्प पड़ी हैं, भुखमरी का आलम बनने लगा है, ऐसी हालत में अगर किसी शख्स में एकसाथ दो बोतल खून निकलवा देने का माद्दा हो तो मेरी नजर में तो ऐसा व्यक्ति मुम्बई वाले सोनू सूद से कम क्षमतावान नहीं है।