राणा जी ! घर की बहन-बेटी ऐसा करे, तो माफ़ करना

दोलत्ती

: बारातों में तो खूब उछलते-कूदते हैं आप कि गलती म्हारे से हो गई : बारात जैसे मांगलिक मौकों पर अब अनिवार्य अंग हैं यह दो गीत :
दोलत्‍ती संवाददाता
लखनऊ : कल देर रात भी सड़क पर यह दोनों गीतों और उस पर हंगामा करते, उछलते, ठुमकते बारातियों को देखा तो जी घिन्‍नाय गया। मजबूरी थी कि उन नचनियों के जोश के चलते पूरी सड़क पर ट्रैफिक जाम हो गया था। मजबूरन मुझे भी रूकना ही पड़ा और यह उछलकूद का साक्षी बनना ही पड़ा।
आपको बता दें कि यह दोनों ही गीत बारात समेत सभी मांगलिक अवसरों पर अब अनिवार्य अंग बन चुके हैं, और इन गीतों पर बारातों में शामिल बच्‍चों से लेकर बूढे और नन्‍हीं बच्चियों से लेकर किशोरी, युवतियां, महिलाएं और दंतहीन बूढी-बुढियांए खूब उछलती-कूदती रहती हैं। शर्म-लाज से कोसों दूर होकर, मां-बेटा, बहन-भाई और बेटी-बेटे के रिश्‍तों को भूल कर। खूब ठुमके लगते हैं।
इन गीतों में तो एक गीत देशप्रेम से ओतप्रोत होता है, जबकि दूसरा महिला की अराजक और लापरवाहीपूर्ण यौन-व्‍यवहार से सम्‍बन्धित होता है। देशप्रेम वाला गीत होता है:-
“यह देश है वीर जवानों का, मस्‍तानों का अलबेलों का, इस देश का यारों क्‍या कहना….”
जबकि दूसरा गीत निहायत अभद्र और शर्म की हर सीमाओं को रेखांकित करते ऐलानिया बेशर्मी का होता है:-
“छत पे सोया था बहनोई मैं तन्ने समझ कर सो गई, मुझको राणा जी माफ़ करना गलती म्हारे से हो गई।”
आपको अगर इस उश्रंखलता में आनंद मिलता है, तो फिर किसी को क्‍या ऐतराज हो सकता है। हां, कभी अगर आपकी बहन, बेटी, बहू या पत्‍नी भी ऐसी गलती कर बैठे, तो इसी तरह का जश्‍न मनाते रहियेगा।
वह कहती रहेगी कि गलती म्‍हारे से हो गयी, तो आप उस पर ठुमके लगाते रहियेगा।
आपका बडप्‍पन तो इसी में होगा।
है कि नहीं ?

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