तुम तो बिलकुल फिसड्डी थे, एलडीए के चीफ कैसे बन गये

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: जो यूपी का सबसे नाकारा जिले का प्रमुख था, उसे अखिलेश सरकार ने लखनऊ विकास प्राधिकरण का उपाध्‍यक्ष भी बना दिया : बीते महीने की प्रगति-समीक्षा में लखनऊ को अव्‍वल नाकारा जिला माना गया था :

कुमार सौवीर

लखनऊ : नाम है सत्‍येंद्र कुमार सिंह यादव। हैसियत है आईएएस। वर्तमान पदनाम है लखनऊ का जिलाधिकारी। अनुभव है कौशाम्‍बी और बहराइच में चंद टाइम खपाने के अलावा पूरी जिन्‍दगी लखनऊ में ही बीती। अतिरिक्‍त पदभार मिला है लखनऊ विकास प्राधिकरण का मुखिया यानी उपाध्‍यक्ष।

पद दायित्‍व के दौरान प्रगति हुई है सिफर, शून्‍य, जीरो।

जी हां, सत्‍येंद्र कुमार सिंह यादव को यूपी सरकार ने कल अचानक ही लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी एलडीए का मुखिया बना दिया। इस पद पर पहले डॉक्‍टर अनूप कुमार सिंह यादव कार्यर‍त थे। लेकिन हैरत की बात है कि डॉक्‍टर अनूप यादव के पहले भी सत्‍येंद्र कुमार सिंह यादव ही एलडीए के मुखिया थे। सत्‍येंद्र को जब मंडी से हटाया गया था, तब उन्‍हें ज्‍यादा मलाईदार माने जाने वाले एलडीए के वीसी यानी मुखिया का पद थमा दिया गया। लेकिन अब ताजा व्‍यवस्‍था के चलते अब लखनऊ के डीएम पद के साथ ही साथ सत्‍येंद्र को दोबारा एलडीए में पदस्‍थापित कर दिया गया है। मतलब यह कि सत्‍येंद्र सिंह अब लखनऊ के जिलाधिकारी पद के साथ ही साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण के भी मुखिया बन जाएंगे।

इस पूरे मामले में हैरत की बात यह नहीं है कि डॉक्‍टर अनूप को क्‍यों एलडीए के वीसी के पद से क्‍यों हटाया गया। लेकिन सनसनीखेज बात तो यह है कि सत्‍येंद्र एलडीए में दोबारा कैसे आ गये। इन सवालों को खोजने के लिए आपको सत्‍येंद्र सिंह यादव के एलडीए में उनके कार्यकाल को छानना पड़ेगा। जहां सत्‍येंद्र की कार्यशैली को लेकर खासा हंगामा खड़ा हो गया था। खासतौर पर एलडीए के मुख्‍य अभियंता ओपी मिश्र के साथ उनकी तनातनी का मामला मुख्‍य सचिव तक पहुंच गया था। एलडीए के ठेकों में बंटने वाले दस्‍तूरी अर्थात कमीशनखोरी को लेकर भी हंगामा हुआ था। आरोप लगा कि एलडीए में होने वाली तयशुदा चरणबद्ध की कमीशन में भारी उछाल आ गया था। बहरहाल, ऐसे अनेकानेक विवादों पर शांति की बौछारें पड़ीं, जब शासन ने सत्‍येंद्र को लखनऊ का डीएम बना दिया गया, जबकि ओपी मिश्र एलडीए में ही बने रहे।

अब जाहिर है कि सत्‍येंद्र के एलडीए में दोबारा पहुंचने के बाद तनातनी में खिंचाव अब और भी तेज भड़केगा।

लेकिन सबसे बड़ी हैरत की बात तो यह है कि लखनऊ के जिलाधिकारी के पद पर अपनी तैनाती के दौरान सत्‍येंद्र सिंह यादव की उपलब्धि बिलकुल शून्‍य यानी सिफर ही रही हैं। सत्‍येंद्र की उपलब्धियों को आंकना हो तो सीधे पिछले महीने में उप्र के मुख्‍यमंत्री के वरीयता सूची में दर्ज प्रगति-उपलब्धि को बांच लीजिए। योजना और सांख्‍यकीय पैरामीटर पर होने वाली ऐसी समीक्षा में लखनऊ पूरी तरह फिसड्डी माना गया था। उसे प्रदेश के 75 जिलों में से 74 वें पायदान पर खड़ा देखा गया था। मतलब बिलकुल फिसड्डी। उस समय सत्‍येंद्र सिंह यादव ही लखनऊ के जिलाधिकारी-कलेक्‍टर हुआ करते थे। और अब आज सत्‍येंद्र सिंह यादव को अखिलेश सरकार ने लखनऊ के डीएम के साथ ही साथ एलडीए का भी कार्यभार सौंप दिया।

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