“…लॉकडाउन का उल्‍लंघन पर मुखिया की गार में बांस होगा”

दोलत्ती

: यह है बिहार की जागरूक जनता, और यह है उसका बौद्धिक स्‍तर : नितीश कुमार के बयान को छापा दैनिक जागरण ने, लेकिन विद्रूप कर दिया ट्विटर हैंडलरों ने : सदके जाऊं फोटोशॉप के, अर्थ का अनर्थ कर दिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : बिहार की सांस्‍कृतिक विरासत और उसकी क्षमताओं को देखने के लिए आपको कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है। हर शहर-कस्‍बे के हर बड़े चौराहे पर ऐसे महान सांस्‍कृतिकर्मियों की प्रतिमाएं हैं, जिन्‍हें देख कर लोग दांतों के तले उंगलियां दबा लेते हैं। नमूने के लिए छपरा से हाजीपुर जाने वाले पहले चौराहे पर भिखारी ठाकुर और उनके सहयोगियों की प्रतिमांए। लाजवाब हैं। लेकिन लगता है कि अब बिहार से ऐसी सांस्‍कृतिक परम्‍परा अब कोसी नदी में डूब मरने जा रही है।
बिहार मूल के रहने वाले और यूपी में एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने मुझे वाट्सऐप पर एक संदेश भेजा। लिखा था कि बिहार एक प्रदेश नहीं, सम्‍पूर्ण देश है। इस टिप्‍पणी के साथ उन्‍होंने एक अखबार की कटिंग भी भेजी। आप भी देखिये कि इस कटिंग में क्‍या-क्‍या नहीं दर्ज किया गया है।

देखते ही समझ में आ गया कि यह दैनिक जागरण का फांट है। खबर भी उसी अखबार की है, लेकिन खबर की हेडिंग में फोटोशॉप के सहारे अर्थ का अनर्थ कर दिया गया है। खबर की हेडिंग में लिखा है कि गांव में लॉक-डाउन का उल्‍लंघन हुआ तो मुखिया की गार में बांस होगा। दो लाइन की हेडिंग है, लेकिन इन दोनों लाइनों के फांट बिलकुल अलग हैं। एक में तो लिखा है कि गांव में लॉक-डाउन का उल्‍लंघन। यह फांट तो सही दिख रहा है, लेकिन दूसरी लाइन में फोटोशॉप की घटिया हरकत की गयी है। दूसरी लाइन के मुताबिक लिख है कि:- हुआ तो मुखिया की गार में बांस होगा।
जाहिर है कि यह अफवाह है। मकसद है नितीश कुमार की छवि को तबाह करना और एक अराजकता फैलाना जो राज व्‍यवस्‍था को परेशान कर दे।
हमने खोजबीन शुरू की तो पता चला कि यह फर्जी कटिंग एक साजिश के तहत फैलायी गयी। एक फर्जी ट्विटर ने सबसे पहले इसे 22 मई को फैलाया। मुंशी जी के नाम से हैंडलर थे इसके। लेकिन इसके बाद से ही इसे ट्विेटर समेत सारी सोशल मीडिया में वायरल कर दिया गया। मतलब यह कि इस करतूत के चलते ट्विटर की शुचिता और पवित्रता भी दो-कौड़ी की हो गयी। छपरा के सक्रिय पत्रकार मुकुंद हरि बताते हैं कि आजकल फर्जी खबरों और अफवाहों का दौर शुरू हो चुका है। रोज ब रोज हजारों अफवाहें फैलायी जा रही हैं।

आपको बता दें कि करीब बारह बरस पहले वाराणसी के दैनिक राष्‍ट्रीय सहारा नामक अखबार केगाजीपुर संस्‍करण के एक पन्‍ने पर मायावती के खिलाफ बाकायदा मां-बहन की गालियां छाप दी थीं।

 

 

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