बहुत खाते हैं एलडीए के लोग, सीढ़ी चढ़ने में निकला फेंचकुर

सैड सांग

: कई साहब दो मंजिल, कुछ लोग तीन-चार और आखिरी साहब की सूसू निकल गयी छठवीं मंजिल तक : सवाल यह कि जब मंत्री 18 मंजिल तक चढ़ सकता है, तो उसके अर्दली-चपरासी क्‍यों नहीं :

कुमार सौवीर

लखनऊ : हालांकि योगी सरकार की छवि चमकाने की कवायद में कुछ मंत्री अपनी औकात से बाहर निकलते जा रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी अफसर हैं जो अपने अफसरों की औकात तौल गये। विकास का जिम्‍मा सम्‍भाले इन अफसरों की कलई तब उतर गयी, जब एक मंत्री ने एलडीए द्वारा बनायी जा रही एक बहुमंजिली इमारत का जायजा लेना चाहा। मंत्री चूंकि आम आदमी के प्रतिनिधि थे, इसलिए दे खटा-खट हर मंजिल की हर सीढ़ी पार करते रहे, लेकिन उनके अधीनस्‍थ अफसरों ने एक-दो मंजिल की सीढ़ी तक चढ़ने में किसी थके बैल-भैंसे की तरह फेंचकुर फेंकना शुरू कर दिया। कोई तो अपनी लाइलाज बीमारी का वास्‍ता देते हुए पतली गली से निकल गया, तो कुछ किसी अति-आवश्‍यक काम की दुहाई देकर भाग निकला।

मामला है यूपी की राजधानी लखनऊ में एलडीए द्वारा बनायी गयी एक बहुमंजिली इमारत का, जिसका नाम है जयप्रकाश कन्‍वेंशन सेंटर। लखनऊ की शान के तौर पर इस इमारत को सरकार की ओर से पेश की जा रहा था। शुरूआत की थी पिछली अखिलेश यादव की सरकार ने, लेकिन योगी सरकार के आते ही इस मामले की जो छानबीन शुरू हुई, उसको लेकर इस पूरी योजना की कलई पूरी तरह खुल गयी। पता चला कि दावों के ठीक उलट इस योजना की माली और मौजूदा हालत निहायत शर्मनाक है।

वैसे तो इस का पता तब ही पता चल गया था जब लखनऊ के वरिष्‍ठतम नेता लालजी टंडन के पुत्र और सरकार में मंत्री आशुतोष टंडन ने प्रदेश के आवास राज्‍य मंत्री सुरेश पासी के साथ लखनऊ में चल रहे विकास कार्यक्रमों का जायजा लेने की कवायद शुरू की थी।

उस घटना के बाद ही पाया गया कि यहां लागू की जा रही योजनाओं में बेहद अराजकता और भ्रष्‍टाचार है। इसके लिए आशुतोष टंडन और सुरेश पासी ने पूरे लखनऊ की योजनाओं को जांचने के लिए तय किया था कि यहां क्रमबद्ध समीक्षा कार्यक्रम शुरू किया जाए। इसी मंशा के तहत पिछले दिनों सुरेश पासी जय प्रकाश कन्‍वेंशन सेंटर का स्थलीय परीक्षण के लिए मौके पर पहुंचे थे। गनीमत थी कि आशुतोष टंडन उस वक्‍त उस समय मौके पर पहुंच नहीं पाये थे।

लेकिन सुरेश पासी ने कमर कस ली, और वे सीढ़ी दर सीढ़ी जांच करने के लिए जुट गये। मौके पर एलडीए समेत अन्‍य सम्‍बन्धित विभागों के लोग भी मौजूद थे। जेपी सेंटर में चल रहे विकास कार्य को लेकर परखने के लिए पासी लिफ्ट के बजाय सीढि़यों का सहारा लिया। वे धड़ाधड़ पैदल ही सीढी चढ़ने लगे। जाहिर है कि उनके साथ पहुंची अफसरों की टीम भी सीढ़ी चढ़ने लगी। लेकिन दो मंजिल पहुंचने के बाद जब सुरेश पासी ने कुछ जानकारी चाही तो पता चला कि उस काम को देख रहे अफसर उस भवन में मौजूद तो हैं, लेकिन वे ऊपर जा पाने में समर्थ नहीं है। वजह है स्‍वास्‍थ्‍य।

चौथी मंजिल पर तो अफसरों की आधी से ज्‍यादा टीम ही लापता हो गयी। पूछने पर कोई भी समुचित जवाब दे पाने में योग्‍य नहीं मिला। और छठी मंजिल में तो एक भी अफसर ऐसा नहीं मिला जो बता सकता कि आखिर मंत्री साथ इस पूरे मुआयने में अकेले ही क्‍यों दिख रहे हैं। कहां हैं बाकी सारे अफसर। केवल चंद अदने से कर्मचारी ही उनके साथ खड़े दिखे, लेकिन चूंकि उन्‍हें इस बारे में कोई भी जानकारी नहीं थी, इसलिए मुआयने का मकसद ही भ्रष्‍ट हो गया।

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