भूतों से जूझेगी लड़हू-जगधर टाइप डागदरों की फौज

बिटिया खबर

: बीएचयू में अब भूत भगाने की विद्या घिसेंगे छात्र, चालीसा की बिक्री जोरों पर : ओझा-सोखा की बिद्या की शुरूआत बजरंग बाण और हनुमान चालीसा :
दोलत्‍ती संवाददाता
बनारस/ लखनऊ : मानवता को आध्‍यात्मिक पायदानों के जरिये ऊंचाई तक पहुंचाने वाले काशी में अब वेदमंत्र नहीं, बल्कि ओझा-सोखा की बिद्या सिखायी जाएगी। शुरूआत हो चुकी है बजरंग बाण और हनुमान चालीसा से। भूत आयेंगे, तो उनका स्‍वागत पहले तो हनुमान चालीसा से किया जाएगा, जैसे मरीज को एम्‍बुलेंस या स्‍ट्रेचर पर लाद कर अस्‍पताल की ओर डिपोर्ट किया जाता है। ऐसे ओझा-सोखा वाले लड़हू-जगधर और सुनही-लस्‍सुन टाइप डागदरों की फौज तैयार करने के लिए बीएचयू में प्रस्‍तावित एम्‍स को टाइट किया जा रहा है।
दोलत्‍ती परिवार में भूजी नाम से कुख्‍यात चंचल-भू कहते हैं कि ‘ जब से काशी विश्वविद्यालय के कुलपति की कुर्सी हाफपैंट के लिए आरक्षित हुई है , कमबख्त एक से बढ़ कर जाहिल विषय ला रहे हैं । दो साल पहले ‘ आदर्श बहू ‘ की पढ़ाई चालू किये ,अब ‘ भूत भगाने ‘ का मंत्र जगायेंगे ?
उधर लखनऊ की वकील शिवानी कुलश्रेष्‍ठ के मुताबिक पता नही इधर मन को क्या हो गया हैं। कानून पढ़ने का बिलकुल मन नही करता क्योकि जो कानून हमने पढ़ा। वह अप्रांसगिक हैं। एक भींड़तंत्र हावी हैं। हम लोगों ने कितनी मेहनत से पढ़ाई की। घर छोड़कर बाहर आये। लीगल टर्म को कितना-कितना समझा लेकिन गोबर मानसिकता के लोगों ने पूरा कानून खराब कर दिया। मन में बहुत निराशा होती हैं। ऊपर से इस तरह की खबरें पढ़ने को मिलती हैं।
सबसे बड़ी बात यह हैं कि आप बेहूदी टाइप की बातें, कानून पढ़ने वालों से ही सुनेगें। कानून की डिग्री अनुच्छेद 14 पढ़ने के बाद ही मिलती होगी। जितने भी अधिनियम हैं। संविधान, उनका पेरेंटल लॉ हैं। समानता का अधिकार पढ़ने के बावजूद भी, सबसे ज्यादा असमानता को कानूनची सपोर्ट करते हैं। दुख होता हैं। तरस आता हैं ऐसे लोगों पर। सबसे बड़ी बात यह कि कमीशन ने जिनको चुना। समानता पर मुख्य परीक्षा में उत्तर लिखा। उनकी बुद्धि तो बिलकुल ही घुटनों में हैं। भगवान जाने उन्होंने अभी तक क्या पढ़ा। अगर कानून पढ़ने के बाद हिंसा को सपोर्ट करना पड़े तो मैं ऐसी किताबों को पढ़ना नही चाहती।
अगर पैसा ही कमाना हैं तो हमारे मुहल्ले में परचूनी वाला सबसे ज्यादा पैसे कमाता हैं। हमारे कस्बे में सबसे अमीर टेलर वाला हैं। एक कोट सिलने का पांच हजार लेता हैं। फिर आदमी यही काम कर लें। जब पढ़ लिखकर कुपढ़ ही रहना हैं। प्लीज कानून मत पढ़ो। यह गंदी मानसिकता के लोगों के लिए नही हैं। अनुच्छेद 15 समानता के पांच आधार बताता हैं। आपको उन आधारों पर विभेद नही करना हैं। जो तथाकथित उच्च वर्ग हैं, वह सबसे ज्यादा विभेद करता हैं। अगर कानून पढ़ने के बाद भी आप अभी तक उच्च जाति में बने हुए है तो मत पढ़िए कानून। कोई और काम धंधा देख लो।
पढ़े लिखे ज्यादा गंवार हैं। दुख होता हैं। किताब सामने खोलकर रख दो तब भी मानेगें नही। ऐसे लोगों से बात करने का मन नही करता। मन करता हैं हिमालय चले जाओ। सन्यास ले लो। ऐसे नीच लोगों में क्या रहो।

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