कुलपति ही नहीं, बड़े बेईमान भी थे बीएचयू वाले प्रो त्रिपाठी

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: छात्राओं को लेकर बीएचयू में हुए ऐतिहासिक शर्मनाक हादसे के सिरमौर रहे कुलपति ने अपने विदाई-समारोह में सच-सच बोल ही दिया :  कुबूला कि उन्होंने अयोग्य लोगों को थम आई थी नौकरी : बीएचयू के अब तक के सर्वाधिक विवादित प्रो त्रिपाठी की छवि शिक्षक नहीं, संघ-प्रचारक की रही :

मेरीबिटिया संवाददाता

वाराणसी : अपनी फेयरवेल पार्टी में बीएचयू के अभूतपूर्व विवादित कुलपति प्रो सीजी त्रिपाठी भले ही हमेशा की तरह बेफिक्र, मस्‍त और उस कमल के पत्‍ते की तरह हों, जिस पर पानी की बूंद तक नहीं टिक पाती है। लेकिन उनकी करतूतों का बस्‍ता जब भी खुलेगा, केवल बदबू ही निकलेगी। हालिया मामला है उनका वह बयान, जिसमें उन्‍होंने अपनी करनी-करतूतों का खुलासा किया है। ऐसे-ऐसे सच कुबूल दिया है त्रिपाठी ने कि उसे सुन कर लोगों की समझ में ही नहीं आ रहा है कि उन्‍होंने साफगोई की है, या फिर खालिस मूर्खता।

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बीएचयू में पढ़ने वाली लड़कियों के हालिया ऐतिहासिक आंदोलन वाले कीचड़ की जड़ रहे हैं प्रोफ़ेसर त्रिपाठी। बीएचयू के कुलपति थे प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी। अपने कार्यकाल में उनकी पूरी कवायद वहां केवल आरएसएस के एजेंडा को लागू करने तक ही सीमित रहे त्रिपाठी ने इस बात से इंकार नहीं किया कि वह खांटी ईमानदार हैं। लेकिन ऐसे वक्त में त्रिपाठी बीएचयू से विदा हो चुके हैं, उसको लेकर नियुक्तियों को लेकर बमचिक हो रही है। प्रो त्रिपाठी ने साफ तौर पर कुबूल किया है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में अयोग्य और अक्षम लोगों को नौकरी दी थी।

आपको बता दें कि कुछ महीने पहले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली लड़कियों ने एक जबरदस्त आंदोलन कर दिया था। यह आंदोलन बीएचयू परिसर में गुंडागर्दी और नारकीय माहौल के खिलाफ खड़ा हुआ था। हैरत की बात यह थी कि इस आंदोलन की कमान सीधे वहां के माहौल से प्रताड़ित छात्राओं के हाथ में थी। इस आंदोलन को कुचलने के लिए प्रो जीसी त्रिपाठी ने जिला प्रशासन और पुलिस के सहयोग से आंदोलनकारी छात्रों पर भारी लाठीचार्ज कराया था, जिसमें काफी लड़कियां घायल हुईं। इतना ही नहीं, वैसे त्रिपाठी में आंदोलनकारी लड़कियों को तत्काल हॉस्टल छोड़ने छोड़ने का आदेश दे दिया गया, जिसको लेकर पूरे वाराणसी आसपास के जिलों में भी जबरदस्त तनाव फैल गया था।

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इतना ही नहीं, प्रोफेसर त्रिपाठी से दौरान आंदोलन के दौरान छात्राओ ने उनसे बातचीत करनी चाही, तो उन्‍होंने बातचीत करने से इनकार कर दिया था। बाद में जब यह लड़कियां उनसे भेंट करने के लिए बीएचयू के गेस्ट हाउस में पहुंचीं तो उनसे ही बेहद अभद्रता पूर्ण व्‍यवहार करते रहे प्रोफेसर जीसी त्रिपाठी। आपको बता दें कि त्रिपाठी इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक रह चुके हैं, और उनकी पूरी छवि वहां किसी शिक्षक की नहीं, बल्कि वहां आरएसएस की जड़ें जमाने के तौर रही है।

अब जरा देखिए कि अपने इस अपमानजनक विदाई के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रोफेसर त्रिपाठी ने क्या-क्या नहीं कहा, और क्या-क्या नहीं बताया, कि उन्होंने बीएचयू की छवि पर कितनी-कितनी और कैसी-कैसी कालिख होती थी:-

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