लखनऊ की बच्ची मरी तो हल्ला, जौनपुर में जिन्‍दा थी, मार डाला

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

गुरूजी ! पानी लाया हूं, अब तो मुंह धो लो (तीन)
: लखनऊ से लेकर जौनपुर तक सिर्फ बलात्कार, और हत्याएं : उन्नति विश्वकर्मा व लावारिस बच्ची में गजब साम्य, निर्दयता में भी :

कुमार सौवीर

लखनऊ : किसी के भी जीवन की कोई न कोई घटना के कुछ तथ्य ऐसे होते हैं, जिनका अहसास आपको होता ही नहीं। और जब आपको उसका पता चल जाता है, तो आप उसे सुधारने में जुट जाते हैं। लेकिन उनमें से कई तथ्यी का पता चलने पर आप शर्म से डूब भी जाते हैं, लेकिन बावजूद उसे सम्भालते हैं। पिछले पखवाड़े लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास के पास मिली बच्चीं उन्नति विश्वकर्मा की लाश और जौनपुर में सड़क के किनारे बेहोश मिली बच्ची से मिले तथ्य ऐसे ही हैं।

इन दोनों में गजब साम्यता हैं, जो किसी भी जिन्दा समाज को थरथरा सकता है।

जो सूचनाएं मुझे मिलीं, उसके मुताबिक इन दोनों ही बच्चियां के साथ पाशविक बलात्कार हुआ। एक बार नहीं, कई-कई बार। एक नहीं, कई-कई नर-पिशाचों द्वारा। मुख्यामंत्री और डीजीपी आवास से चंद कदम दूर मिली लखनऊ की उन्नति विश्‍वकर्मा की लाश कई दिनों बाद मिली। उसके साथ कम से कम तीन लोगों ने कई-कई बार बलात्कार किया था। बलात्कार का क्रम तब तक भी चलता रहा, जब उन्नंति की मौत हो गयी। बल्कि उसकी मौत के बाद भी, तब तक, जब तक उसकी लाश अकड़ न हो गयी। जबकि जौनपुर के भण्डारी रेलवे स्टेशन के आगे सड़क के किनारे बरामद हुई बेहोश किशोरी अब तक जिन्दा है। लेकिन उसकी जिन्दगी किसी दर्दनाक मौत से कम नहीं है। उस रेप-पीडि़त बच्‍ची को न्‍याय न मिले, प्रशासन और पुलिस ने हर चंद साजिश की। जब पोल खुलती दिखी तो पहले उसे पागल करार दे दिया। और जब भी साजिश बेकार हुई तो अब नारी निकेतन भेज दिया।

सब कुछ जानते-बूझते भी जिला प्रशासन और पुलिस के आला अफसरों की खामोशी बताती है कि उस बच्ची के साथ हुए हादसे में कोई न कोई खास और बड़ा हैसियतदार शख्स जरूर शामिल रहा, जिसे बचाने के लिए पुलिस और प्रशासन के बड़े अफसर भी सचाई घोंट कर पी गये। उस बच्ची को खोजने, उसके मामले को पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराने, उसे न्याय दिलाने की कोशिश करना तो दूर, अफसरों ने पहले तो उसको पागल करार देने के लिए उसे बनारस पागलखाने में भेज दिया। वह तो गनीमत थी कि पागलखाना के डॉक्टरों ने उसे पागल नहीं माना और वापस जौनपुर भेज दिया। लेकिन उसके बाद भी अफसरों को उस बच्ची पर तरस नहीं आया, और उसे बनारस नारी निकेतन भेज दिया।

जिला अस्पताल के कर्मचारियों से लेकर रेलवे स्टेशन के आसपास रहने वाले कई लोगों ने मुझे बताया कि उस बच्ची के साथ कई दिनों तक बलात्कार होता रहा। और 17 फरवरी को दरिंदों ने उस बच्ची को मरी हुई मान कर सड़क के किनारे फेंक दिया।

अब एक भयानक हकीकत के लिए भी तैयार हो जाइये आप लोग। वह यह कि लखनऊ में मिली उस बच्ची का किस्सा इतना दर्दनाक था, जिसने भी सुना दहल गया। जबकि तब तक यह बच्ची मर चुकी थी। लेकिन जौनपुर वाली बच्ची पर किसी ने भी चूं तक नहीं किया, जबकि वह जिन्दा थी लेकिन अफसर उसे जीते-जी मौत की ओर घसीटते जा रहे थे। वह भी तब जबकि अपने साथ हुए सामूहिक दरिंदगी से उसे इतना शॉक लगा, कि वह अब बोल तक नहीं पा रही है।

और गुरू जी, इस हालत के असली जिम्‍मेदार तो तुम खुद हो। मैं पानी ले आया हूं गुरू जी, जाओ, अपना मुंह धो लो।

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