हाईकोर्ट में रमेश पांडेय की आत्‍महत्‍या: खामोशी भी संज्ञेय अपराध है

बिटिया खबर
: न प्रशासन, न बार और न ही रमेश के परिवार ने भी इस मामले में चुप्‍पी साधे रखी : कहीं हाईकोर्ट परिसर में ही न दफ्न कर दिया जाए आत्‍महत्‍या का रहस्‍य : पुलिस ने भी अब तक फुटेज तक नहीं मांगे हाईकोर्ट परिसर प्रशासन से :

कुमार सौवीर
लखनऊ : हैरत की बात है रमेश पांडे ने हाई कोर्ट परिसर में आत्महत्या कर ली लेकिन हाई कोर्ट प्रशासन ने इस बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं, इस मामले में न तो बार एसोसिएशन ने कोई हस्तक्षेप किया है या फिर एल्डर्स कमेटी के पदाधिकारियों ने अथवा फिर किसी अन्य बड़े वकील ने इस मामले में अपनी कोई रूचि दिखायी है। सब से बड़ी बात तो यह है कि इस मामले पर रमेश पांडे के परिवार की ओर से भी कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया। ऐसी हालत में तो लगता यह है कि इस पूरे मामले को पूरी तरह हजम करने के मूड में हैं जिम्‍मेदार लोग।
यह हालत है प्रदेश के सर्वोच्‍च न्यायपरिसर की, जो न्यायपतियों उनके पुजारियों का पवित्र स्थान माना जाता है। बड़े वकीलों की जमात में शुमार रहे रमेश चंद पांडे की मौत अब रहस्य बनकर ही नहीं रह गई है बल्कि उसे हाई कोर्ट परिसर में ही दफ्न कर देने की कोशिश हो चुकी है। हालत तो यह है कि अब तो रमेश पांडे से आत्महत्या पर कोई चर्चा भी नहीं करता

दोलत्‍ती संवाददाता ने इस प्रकरण पर कुछ बड़े वकीलों की राय जानने की कोशिश की। आपको बता दें कि अवध बार एसोसिएशन का चुनाव आसन्‍न है, लेकिन कोई खास हलचल अभी तक नहीं हुई है। वजह है रमेश पांडे की आत्महत्या। कई सक्रिय और वरिष्‍ठ वकीलों से दोलत्‍ती संवाददाता से सम्‍पर्क किया, लेकिन उनमें से कई ने तो एसोसिएशन अध्यक्ष पद के लिए ताल ठोंक चुके हरगोविंद सिंह परिहार इस आत्महत्या पर दुखी हैं। उनका कहना है कि न्‍याय परिसर में ऐसी घटना बेहद दुखद और अचंभित करती है। उन्होंने इस बारे में अपनी अनभिज्ञता प्रकट की कि इस आत्महत्या को लेकर हाई कोर्ट प्रशासन ने पुलिस को कोई लिखित सूचना दी है अथवा नहीं। परिहार का कहना है कि अगर ऐसा नहीं हुआ है तो यह अपने आप में ही एक संज्ञेय अपराध है। बताते हैं कि जल्द ही इस मामले में मालूमात करेंगे।
एल्डर्स कमेटी के सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक निगम इस घटना पर काफी दुखी हैं। उनका कहना है कि अभी तक प्रशासन, बार एसोसिएशन अथवा किसी अन्य की ओर से इस मामले की ओर से कोई प्रभावी हस्तक्षेप नहीं किया गया। जानकारों के अनुसार जब तक कोई भी पक्ष पुलिस से इस मामले में कुल लिखित अपेक्षा नहीं करेगा, तब तक हाईकोर्ट प्रशासन उस घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग जारी नहीं करेगा। और अजीब बात है कि पूरे मामले को 5 दिन हो जाने के बाद भी पुलिस ने अब तक हाई कोर्ट प्रशासन से रमेश पांडे की आत्महत्या के दौरान घटनास्थल पर भी गतिविधियों को जांचने के लिए वहां आसपास लगे सभी वीडियो कैमरों की रिकॉर्डिंग का फुटेज तक नहीं मांगी है।

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