खलीलाबाद में पत्रकार पर भारी पड़ा जनसूचना मांगना। पिटाई भी, जेल भी

सैड सांग

: बीडीओ पर बेईमानी और पत्रकार पर फाइल फाड़ने का आरोप : पत्रकार की अर्जी को दरकिनार कर इकतरफा रिपोर्ट ही दर्ज की पुलिस ने : बेईमानी में आकण्‍ठ है बीडीओ आफिस : पत्रकारों की जमात अपनी-अपनी पूंछ दबा कर दड़बों में दुबकी :

मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता

संतकबीरनगर : एक उत्‍साही पत्रकार ने ठान लिया कि वह सरकारी कामकाज पर पसरी कालिख को साफ कर ही दम लेगा। इसके लिए उसने जन सूचना अधिकार अधिनियम का सहारा लिया। तड़ातड़ आरटीआई लगाना शुरू कर दिया। लेकिन उसकी इस कवायदों के चलते अफसरों के छक्‍के छूटने लगे। उन्‍हें साफ लगा कि अगर इस पत्रकार की सक्रियता बनी रही, तो उनकी बेईमानी का भण्‍डाफोड़ हो जाएगा। नतीजा, एक साजिश बुनी गयी, और एक दिन ब्‍लाक आफिस में उस पत्रकार को तब बुरी तरह पीट दिया गया, जब वह बीडीओ आफिस में गया था। खबर पाकर पुलिस गयी तो जरूर, लेकिन इकतरफा कार्रवाई करते हुए पुलिस ने बीडीओ की अर्जी पर मुकदमा दर्ज कर उसे जेल भेज दिया। जबकि उस पत्रकार की अर्जी को कूड़ेदान में फेंक दिया गया। लेकिन सबसे हैरत की बात है कि इस पूरे हादसे पर खलीलाबाद के पत्रकारों ने बिलकुल चुप्‍पी ही साध रखी है।

सूचनाओं के अनुसार उमेश कुमार भट्ट नाम का नाम जिले की पत्रकारिता में खासा जाना-पहचाना नाम है। पिछले कई महीनों से उमेश ने जनसूचना अधिनियम के तहत कई अर्जियां लगाना शुरू कर दिया था, जिसमें सरकारी कर्मचारियों-अफसरों की कलई खुलने लगी थी। उमेश खलीलाबाद ब्लॉक का रहने वाला है। उसने बीडीओ खलीलाबाद से कई बिंदुओं पर जनसूचना के अधिकार के तहत कुछ सूचनाएं मांगी थी। और उसी के लिए वो खलीलाबाद की बीडीओ तारा देवी के कार्यालय पहुंचा था।

बताते हैं कि उमेश के जाने के कुछ ही देर के बाद  मालूम पड़ा कि कार्यालय के अंदर ही उमेश भट्ट और एक सेक्रेट्री के बीच मारपीट हो गई। जिसके बाद पुलिस को सूचना दीगई औऱ सूचना के बाद मौके पर पहुंची यूपी 100 पुलिस आरटीआई कार्यकर्ता उमेश भट्ट को पकड़कर  थाने पर ले आई। उसके साथ ही साथ ब्‍लाक की बीडियो खलीलाबाद तारा देवी भी अपने कर्मचारियों के साथ कोतवाली पहुंची। और बीडीओ ने आरटीआई कार्यकर्ता के खेलाफ़ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया।

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खलीलाबाद

बीडीओ खलीलाबाद तारा देवी और अधिकारियों ने आरटीआई कार्यकर्ता उमेश भट्ट पर मारपीट और सरकारी कागज़ात फाड़ने का लगाया आरोप लगाया है। तो वहीं दूसरी तरफ आरटीआई कार्यकर्ता उमेश भट्ट ने अधिकारियों पर कमरे में बंद करके मारने पीटने और फ़र्ज़ी मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया है। वहीं जिस कार्यालय में मारपीट की घटना बताई जा रही है, उस कमरे में सीसी टीवी कैमरा लगा हुआ है। फिलहाल जब ऑफिस में लगे सीसी टीवी फुटेज को खंगाला जाएगा तो उसके बाद ही पूरे मामले से पर्दा हटेगा की आखिर एक दूसरे पर मारपीट के मामले में कितनी सच्चाई है ये उसके बाद ही पता चलेगा। लेकिन एक पत्रकार ने जब इस मामले से जुड़ी सीसीटीवी क्लिप हासिल करने की कोशिश की तो सरकारी अफसरों ने ऐसा कर पाने में अपनी असमर्थता व्‍यक्‍त कर दी।

उधर खबर है कि इस मामले जिले के पत्रकार अब तनिक भी कार्रवाई करने पर एकमत नहीं है। इस लिए इस पूरे मामले में इन पत्रकारों ने खुद को किनारा ही किये रखने का फैसला किया है।

प्रमुख न्‍यूज पोर्टल www.meribitiya.com के संवाददाता ने इस बारे में संतकबीर नगर के पुलिस अधीक्षक से बातचीत की। मैंने यह जानना चाहा था कि उमेश भट्ट पर जो अपराध दर्ज हुए हैं, उस तथाकथित हादसे की पुष्टि वहां के फुटेज बीडीओ कार्यालय में लगे सीसीटीवी में दर्ज है अथवा नहीं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस बारे में वे आज सायंकाल ही बता पायेंगे।

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