टीना डॉबी: बीमार समाज का साइको-टेस्‍ट जरूरी

दोलत्ती

: पुरुष चाहे कितना भी पढ़-लिख जाए, स्त्री को पैर की जूती से अधिक नहीं समझता : जो चपरासी तक न हो पाये, वे टीना-अतहर के तलाक पर विश्‍लेषण में जुटे :
शिवानी कुलश्रेष्ठ
शिकोहाबाद : जो लोग आज तक एक चपरासी का एक्जाम पास नही कर पायें। वह लोग भी टीना ढ़ाबी के तलाक पर विश्लेषण कर रहे हैं। वाह साहब ! वाह !
कभी-कभी लगता हैं कि हम लोग एक बीमार मानसिक समाज में रह रहे हैं। जिस तरह कोरोना जांच को आवश्यक बनाया गया हैं, उसी तरह प्रति महिने एक मानसिक जांच भी होनी चाहिए। यह हमारे सभ्य समाज के लिए आवश्यक हैं।
टीना ढ़ाबी एक तो दलित समाज से और ऊपर से लड़की की जात तो बातें तो बनेगीं ही। कमजोर लड़की कैसे अफ्सर बन गयी? चलो साहब! हमनें यह बात किसी तरह सहन कर ली लेकिन उसने मुल्ले से शादी कर ली। हम पहले ही सदमे में थे। उससे नहीं उबर पाये और बाबर की संतान से शादी कर ली। चलो साहब! कोई बात नही लेकिन कश्मीरी से शादी कर ली। अरे कित्ती छूट देते हम!
मेरे प्रश्न यह हैं कि आप किसी के व्यक्तिगत जीवन पर कौन होते हैं टीका टिप्पणी करने वालें? आपको यह अधिकार किसने दिया? साइको हो क्या?
टीना एक आईएएस हैं। सिविल सेवा परीक्षा में डिसिजन मेकिंग का विषय होता हैं। वो बंदी टेस्ट पास करके आई हैं। आप कहते हैं कि आरक्षण केटेगरी से आयी हैं तो एक लाख दलित समाज के लोग एक्जाम में बैठते हैं। सब काहे पास नही कर जाते हैं एक्जाम। दलित हो या सवर्ण हो, पढ़ना सबको पड़ता हैं।
वो महिला भारत का सबसे प्रतिष्ठित एक्जाम टॉप की। उसे मालूम हैं कि मेरे सामने जो समस्या खड़ी हुयी हैं। मुझे उससे किस समझदारी से निपटना हैं।
शादी अपने आप में बहुत चुनौतीपूर्ण विषय हैं। अब उन चुनौतियों में सबसे बड़ी चुनौती यह हैं कि उसने मुस्लिम युवक से शादी की। जिनका कल्चर बिल्कुल अलग हैं। पुरुष चाहे कितना भी पढ़ लिख जाए। वह स्त्री को अपनी पैर की जूती से अधिक कुछ नहीं समझता हैं। टीना ढ़ाबी ने तो मुसलमान से शादी करी। पर उन बेशर्मों का तलाक क्यों हो जाता हैं जो मां बाप की मर्जी से शादी करते हैं और अपनी जात में शादी करते हैं। वो तो जूते खाने लायक हैं। एक तो तुम्हारे मां बाप शादी कर रहे है। थाली चाटकर रिश्तेदार जा रहे हैं। फिर भी तलाक हो गया। तुम पढ़ऊं नाय पायें। तुम कछु ना कर पाये। धरती पर एक बोझ की तरह हो। बस सुबह से संजा तक खानो खानौं और हंगनौ। जेई दोऊ काम रहत हैं। फिरऊ त्याऐ काजै तलाक हैं गयो। जमीन पर डार डार कै मारनौ चइऐ ऐसे लोगन को।
लोग ऐसे विश्लेषण कर रहे हैं जैसे वो तुमाई चचिया सांस की भतीजी है। सुबह से शाम तक फोन करके बताती हैं कि हमाए घर में का चल रहौं हैं।
इत्तौं दिमाग काऊ क्रिएटिविटी में लगाय लिया करौं।

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