कंबल में छिप कर घी पीता था जितिन-गिरोह, योगी ने छुच्‍छी निकाल दी

बिटिया खबर

: बहुत कर्री लेंड़ी फंस गयी पीडब्‍ल्‍यूडी में : कौन यकीन मानेगा कि जितिन प्रसाद दूध के धुले, और विभाग चला रहा था ओएसडी : तबादलों में खुला-खेल फर्रुखाबादी कर रहा था जितिन प्रसाद का ओएसडी अनिल पांडेय : अभियंता संघ भी बोले कि जितिन या तो लिप्‍त हैं, या नाकारा : कोई यकीन नहीं मानता कि ओएसडी बिना जितिन के यह करतूतें करता रहा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : बुलडोजरी-कार्यशैली, तख्‍तेताऊस लपकने की कवायद, तबादलों पर मनमर्जी और रोक-टोक, राजनीति में उठापटक, इस्‍तीफा-गिरी का बाजार, बेईमानी और लूट-खसोट का आलम और खिसियाये मंत्रियों की बेशर्मी का जो समावेश यूपी की राजनीति में पिछले एक पखवाड़ा से चल रहा है, वह पिछले करीब सवा पांच बरसों के बीच कभी नहीं हो पाया। भले ही सबसे पहला हल्‍ला किया था स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के मंत्री ब्रजेश पाठक ने, लेकिन योगी ने जिस तरह पीडब्‍ल्‍यूडी के मंत्री जितिन प्रसाद के गिरोह पर धोबी-पाटा मारा है, जितिन प्रसाद का गिरोह चारों खाने चित्‍त हो गया। घबरा तो गये हैं सारे धंधेबाज, लेकिन पीडब्ल्‍यूडी की तो लेंड़ी ही टाइट हो गयी है। पहले तो चर्चाएं यह चल रही थीं कि जितिन प्रसाद दिल्ली में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलकर अपनी नाराजगी का इजहार कर रहे हैं, लेकिन इस बाद यह ताजा घटनाक्रम ही बदल दिया योगी ने।
आम बोलचाल में लेंड़ी शब्‍द का अलग-अलग अर्थ होता है। कभी यह शब्‍द उस भेड़-बकरी या मनुष्य आदि के पाख़ाना को इंगित करता है, जो काफी पुराने कब्‍ज से ग्रसित होता है। ऐसे पशु या इंसान को मल-त्‍याग करने में प्राणघातक कष्‍ट होता है। वजह यह कि उसका मल बेहद सूखा हुआ और कठोर होता है। जबकि किसी डरपोक या नामर्द के लिए भी लेंड़ी विशेषण दर्ज कराया जाता है। कुछ भी हो, लेकिन लोक निर्माण विभाग में इस समय लेंड़ी बहुत कर्री फंस गयी है। ब्रजेश पाठक ने अपने विभाग के अपर मुख्‍य सचिव अमित मोहन प्रसाद पर निशाना साधा था, लेकिन योगी ने तो उनकी तरफ कोई ध्‍यान ही नहीं दिया। बल्कि पलट कर जितिन प्रसाद के लोकनिर्माण विभाग की जामा-तलाशी कर बड़े-बड़े चूहों को निकाल बाहर कर दिया। इनमें से पीडब्‍ल्‍यूडी का ओएसडी अनिल कुमार तो बाकायदा बर्खास्‍तगी की शैली में दिल्‍ली वापस भेज दिया गया, जबकि विभागाध्‍यक्ष समेत पांच बड़े इंजीनियरों को बेदखल कर दिया गया। कुछअन्‍य से भी कुर्सी से हटा दिया गया है। इन सब पर तबादलों के नाम पर पर मोटी रकम उगाहने का आरोप था और उसके केंद्र में था अनिल कुमार पांडेय।
अनिल पांडेय तो जितिन प्रसाद का दशकों पुराना मुंहलगा था। अनिल पांडेय केंद्रीय सचिवालय में उप सचिव के तौर पर काम करता था। केंद्र में कांग्रेस सरकार में जब-जब जितिन प्रसाद मंत्री हुए, जितिन ने सबसे पहले अनिल को ही अपना खासुलखास बना दिया। इतना ही नहीं, यूपी में पीडब्‍ल्‍यूडी का मंत्री बनने पर जितिन ने अनिल को प्रतिनियुक्ति पर दिल्‍ली से लखनऊ बुला लिया था। लेकिन अभी सरकार के एक सौ दिन भी पूरे नहीं हो पाये थे कि जितिन प्रसाद के यहां भ्रष्‍टाचार की यह जबर्दस्‍त बमबारी हो गयी।
हैरत की बात है कि इस भण्‍डाफोड़ के बाद चकराये जितिन प्रसाद बोले कि वे भाजपा कोई डील करके नहीं आया हूं, बल्कि बीजेपी के साथ देशहित में काम करने का जुनून है। लेकिन योगी ने जितिन के इस जुनून की छुच्‍छी ही निकाल कर डाली। खिसियाये जितिन प्रसाद आखिरकार कुछ बोलते-करते भी तो क्‍या। मन मार कर बयान कर दिया कि वे मुख्‍यमंत्री योगी से नाराज नहीं हूं, बल्कि उनकी सराहना भी करता हूं। दरअसल, तबादला के झंझट का उन्‍होंने पटाक्षेप करने की कोशिश की और बोले कि प्रदेश सरकार अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई कर रही है। जो भी गड़बड़ी करेगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन जितिन प्रसाद ने यह नहीं बताया कि आखिर वजह क्‍या रही थी कि योगी ने जितिन प्रसाद के विभाग को इस तरह खंगाल कर डाला। अगर उनके विभाग में गड़बड़ चल रही थी तो उसको दुरुस्‍त करने की कवायद उन्‍होंने क्‍यों नहीं छेड़ी। वैसे अभियंता संघ ने तो साफ कह दिया है कि कोई भी तबादला मंत्री के बिना अनुमोदन के होता ही नहीं है। ऐसी हालत में सवाल तो यह उठने लगे हैं कि तबादला-उद्योग में तब्‍दील हो चुके पीडब्‍ल्‍यूडी में मंत्री जितिन प्रसाद या तो पूरी तरह लिप्‍त रहे हैं, या फिर बेहद नाकारा साबित हो चुके हैं। कौन यकीन मानेगा कि जितिन प्रसाद दूध के धुले हैं और ओएसडी ही विभाग चला रहा था।

1 thought on “कंबल में छिप कर घी पीता था जितिन-गिरोह, योगी ने छुच्‍छी निकाल दी

  1. सरकार अपना काम अच्छे तरीक़े से कर रही है. योगी मोदी ज़िन्दाबाद।

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