अखिलेश यादव ने इतनी कस कर लाठी मारी कि लोकतंत्र ही लंगड़ा हो गया

सैड सांग

: कैराना को कश्मीर बनाने वाले चैनलों ! तेरा मुंह काला हो : केवल जी-नेशनल ने चलायी थी कैराना पर भड़के अखिलेश की भड़ास : कैराना के सवाल पर बिफर पड़े थे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव : अखिलेश की ऐसी डपट सुन कर बाकी चैनलों की पैंट पहले ही गीली हो गयी : खबर चलाने की हिम्मत ही नहीं दिखा पाये बाकी चैनल :

कुमार सौवीर

लखनऊ : “ कैराना को कश्मीर बनाने वाले चैनलों ! तेरा मुंह काला हो। ”

कितनी जबर्दस्त खबर और उसका पंच-लाइन है यह सब। है कि नहीं। तेज-तर्रार ही नहीं, बल्कि किसी दल्लेब-भांड़ पत्रकार तक को बेहद आकर्षित और बावला कर सकती है यह खबर और इसकी पंच-लाइनें। पत्रकारों में इस खबर को बार-बार चलाने का माद्दा का हौसला और माद्दा बढा सकती है यह खबर। ऐसी खबर पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश-विदेश तक में धूम मचा सकती है।

लेकिन यूपी तो दूर, दिल्ली और नोएडा तक में बैठे किसी भी न्यूज चैनल में यह गूदा नहीं दिखा कि वह खबर अपने चैनल में चला सके। नतीजा, केवल जी-नेशनल ने ही यह खबर चलायी। लेकिन वह भी केवल दो बार। इसके बाद इस चैनल ने इस खबर और उस पर अखिलेश यादव के बयान पर आधारित खबर को किल कर दिया। मतलब उसे अपनी प्राथमिकता पर रखने के बजाय उसे हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया। अपने एजेंडे से निकाल बाहर कर दिया। बाकी चैनलों ने तो अखिलेश यादव के इस बयान पर आधारित इस खबर को घोट लिया। किसी भी चैनल में एक सुकपुकाहट तक नहीं दिखी।

अब यह पूरा मामला समझ लीजिए। मथुरा काण्ड से यूपी सरकार बुरी तरह घिर चुकी थी। वजह यह कि इस काण्ड ने राज-सत्ता और उसकी सरकार में बैठे आला हाकिमों और पुलिस के चरित्र का एकदम खुलासा कर दिया था। पूरा प्रदेश और देश भर में यह चर्चा शुरू होने लगी थी कि केवल दो पुलिसकर्मियों की मौत का प्रतिशोध पुलिस ने इतना बड़ा काण्ड कर दिया कि इसमें 31 के आसपास नागरिकों की मौत हो गयी। सवाल यह उठने लगा कि आखिरकार पुलिस को यह अधिकार कैसे और किसने दिये कि वह अपने दो साथियों की मौत के का बदला इतने ज्यादा नागरिकों की मौत से ले ले।

इसी बीच भाजपा ने मथुरा काण्ड  की तीखी-तल्खी आग पर ठण्डा पानी फेंकते हुए कैराना का तुरूप वाला पत्ता फेंक दिया। यह जोरदार था। मथुरा ढीला हो गया और कैराना बिकाऊ होने लगा। हर चैनलों में कैराना ही कैराना ही दिखने-दिखाया जाने लगा। फिजां बदल गयी।

लेकिन विगत 16 जून को फिर एक मामला पलटा। अखिलेश यादव एक कार्यक्रम से निवृत्त होकर जब कार्यक्रम से बाहर निकलने लगे तो मीडिया चैनलों से जुड़े लोगों-पत्रकारों ने अपने-अपने माइक आगे बढ़ा दिये। अखिलेश यादव ने मु‍स्कुराते हुए इन पत्रकारों से चांप-चुपकार देना-करना शुरू दिया। इसी बीच एक पत्रकार ने कैराना पर सवाल पूछ लिया। बस अखिलेश यादव अपने जामा से बाहर निकल पड़े और भड़क कर उन्होंने तमक कर जवाब फेंका:-

“ कैराना को कश्मीर बनाने वाले चैनलों ! तेरा मुंह काला हो। “

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