: बहुत खफा थे अखिलेश “ कैराना को कश्मीर बनाने वाले चैनलों ! तेरा मुंह काला हो “ वाली खबर पर : 16 जून की दोपहर को थमाया गया था आरओ, शाम को जारी कर दिया गया निरस्तीकरण : फिलहाल तो चैनल वालों और सरकार के नुमाइंदों में सुलह-समझौतों का दौर शुरू :
कुमार सौवीर
लखनऊ : एक खबर एक चैनल में क्या चल गयी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की त्योरियां हत्थे से ही उखड़ गयीं। सामान्य तौर पर अपने आक्रोश-नाराजगी को अपनी मुस्कुराहट के बल पर दबा-छिपा डालने में माहिर अखिलेश इस बार अपना गुस्सा नहीं छिपाये। वजह थी अखिलेश और सरकार में बैठी समाजवादी पार्टी का वोटबैंक। फिर क्या था, एक पत्रकार ने कैराना के मामले पर एक सवाल उठा लिया, तो अखिलेश की भृकुटि तन गयीं। बोले: “ कैराना को कश्मीर बनाने वाले चैनलों ! तेरा मुंह काला हो “
अब बोलने को तो अखिलेश यादव बोल गये। लेकिन जब उन्हें जैसे ही इस भूल का अहसास हुआ, तो उनको सांप सूंघ गया। आनन-फानन सूचना विभाग के कारिंदे दौड़ाने जाने लगे। हर अखबार और न्यूज चैनल में तोहफे भेजने वाले लोगों की ड्यूटी लगायी कि कैसे भी हो, इस खबर को जारी होने से रोका जाए, खबर को किल करा दिया जाए। हर दफ्तरों और पत्रकारों के यहां फोन घनघनाये जाने लगें कि चाहे कुछ भी हो, इस खबर पर लगाम लगाओ।
यह कवायद रंग लायी। ज्यादातर अखबारों और चैनलों ने इस खबर को हटा लिया। लेकिन तब तक शायद जी-नेशनल के पत्रकारों को कुछ ज्यादा ही जल्दी थी, उसने सरकार की ख्वाहिशों को रौंदते हुए अपने चैनल में यह खबर लगा दी। गनीमत रही कि यह खबर केवल जी-नेशनल में ही सिमट गयी, लेकिन तब तक सरकार और सूचना विभाग की छीछालेदर तो हो ही गयी।
जब सरकार और शासन को पता चला कि जी-नेशनल पर यह खबर चल गयी है तो सरकार और मुख्यमंत्री बुरी तरह भड़क गये। इस आग में तब और भी पेट्रोल पड़ गया जब पता चला कि बिलकुल अभी-अभी ही सूचना विभाग ने जी-टीवी को तीन करोड़ रूपयों का एकमुश्त विज्ञापन रिलीज कर दिया है। फिर क्या था। मुख्यमंत्री ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप किया और तय किया गया कि चाहे कुछ भी करना पड़े, आज दोपहर बाद जारी की गये उस रिलीज-ऑर्डर यानी प्रकाशन आदेश को खारिज कर दिया जाए।
इसके बाद ही जी-टीवी को इस आदेश का सारांश देकर सख्त ताईद कर दी गयी कि अभी जब तक सरकार का फैसला नहीं हो जाता है तो, तब तक इस आरओ का निरस्त कर दिया जाए।
इस या ऐसे मामलों से जु़डे़ मामलों की खबरों को देखने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
यूपी सरकार का करारा डण्डा बनाम अपनी पूंछ छिपाते अखबार और चैनल