कलंक है जुल्‍फी-प्रशासन। आदेश नहीं, कार्रवाई का ब्‍योरा दीजिए पांडा जी

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: महिलाओं व बच्चों पर ऐसे निरर्थक आदेशों की बारिश का सबब क्‍या है : लेकिन 17 फरवरी-16 को जारी आदेश की उसी दिन खिल्‍ली उडा दी थी जुल्‍फी प्रशासन ने : अब सवाल नये आदेश को जारी करने का नहीं, पुराने आदेशों को लागू करने की जरूरत है :

लखनऊः उत्‍तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना’ के अंर्तगत प्रदान की जा रही आर्थिक सहायता की धनराशि में वृद्धि किये जाने का निर्णय लिया गया है। उत्तर प्रदेश पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना, 2014 की अधिसूचना तथा भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा केन्द्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति फण्ड योजना ¼Central Victim Compensation Fund Scheme (CVCF) Guidelines) तथा उससे संबंधित जारी पत्र की प्रति गृह विभाग की वेब साइट पर दर्शायी गयी है।

लेकिन इस ताजा आदेश ने इस मामले पर कई सवाल उठा दिये हैं। पहला तो यह कि एक ही मसले पर बार-बार आदेश-निर्देश जारी करने की क्‍या आवश्‍यकता समझ रहा ह ै उप्र शासन। इसके ढाई महीना पहले भी इसी विषय पर शासन ने आदेश जारी किया था। पिछले 17 फरवरी-16 को शासन ने आदेश दिया था कि महिलाओं और बच्‍चों को लेकर खास तवज्‍जो दी जानी चाहिए। लेकिन हैरत की बात है कि ठीक उसी दिन जौनपुर में एक किशोरी की सामूहिक बलात्‍कार की घटना को जौनपुर के जिला प्रशासन और पुलिस ने उसे घोंट लिया। वहां हुई उस घटना पर हस्‍तक्षेप करने के बजाय जौनपुर प्रशासन ने कोई कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उस बच्‍ची को पागलखाने भेजने की साजिश की, लेकिन जब यह साजिश सफल नहीं हो पायी तो उस बदनसीब बच्‍ची को बनारस के नारी निकेतन भेज दिया गया। अब सवाल तो यह है कि जब शासन को अपने ही आदेशों को लागू करने में अड़चन आ रही हैं, तो उसका समाधान करने के बजाय, ऐसे आदेशों की बारिश करने का औचित्‍य क्‍या है।

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बड़ाबाबू

प्रमुख सचिव, गृह श्री देबाशीष पण्डा ने उक्त जानकारी देते हुये बताया कि गृह विभाग की वेब साइटuphome.gov.in पर ‘‘महत्वपूर्ण जानकारी’’ शीर्षक के तहत यह विवरण दिया गया है। उन्होंने बताया कि मानव तस्करी की घटनाओं को रोकने, इससे प्रभावित लोगों को सुरक्षा देने एवं उनके पुर्नवास के लिये प्रदेश सरकार द्वारा गंभीर प्रयास किये जा रहे है। इसी कड़ी में प्रदेश में स्थापित सभी 35 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स को चरणबद्ध रूप से थाने का दर्जा भी दिया जा चुका है। इसके माध्यम से अब यह सभी(AHTU) इकाईयां जिले के थानों के अतिरिक्त मानव तस्करी संबंधी मुकदमों को पंजीकृत कर उनकी विवेचना प्रभावी ढंग से कर सकेंगी। इस संबंध में भारत सरकार के महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किये गये बिल Trafficking of Persons (Prevention, Protection and Rehabilitation) Bill, 2016 को भी प्रदेश के गृह विभाग की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।

प्रदेश सरकार मानव तस्करी एवं एसिड हमलो की घटनाओं को सख्ती से रोकने के प्रयास कर रही है। साथ ही शासन महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा, कल्याण एवं पीड़ित पुर्नवासन पर अत्यन्त गम्भीर भी है। इस संबंध में किये जाने वाले प्रयासों, निर्देशों, अधिसूचनाओं एवं न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णयों आदि की सर्वसाधारण को एक स्थान पर जानकारी उपलब्ध कराने हेतु गृह विभाग की वेबसाइट पर अधिकतम ब्यौरा देने का प्रयास किया गया है।

प्रमुख सचिव गृह नें बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा तेजाब (एसिड) की खुलेआम बिक्री को नियंत्रित करने के लिये भी गम्भीर प्रयास किये गये है। उत्तर प्रदेश में एसिड (तेजाब) की बिक्री को खुलेआम नियंत्रित करने के लिये ‘‘उत्तर प्रदेश विष (कब्जा एवं बिक्रय) नियमावली, 2014’’ तथा उसके क्रियान्वयन के संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों एवं पुलिस अधीक्षकों को जारी किये गये पत्र दिनांक 11 मई, 2016 की प्रति भी गृह विभाग की वेब साइट पर उपलब्ध है।

श्री पण्डा ने बताया कि भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा ‘‘बंधुआ मजदूरों के पुर्नवासन’’ हेतु बनायी गयी सेंट्रल सेक्टर स्कीम 2016 की प्रति भी जारी निर्देशों के साथ वेब साइट पर प्रदर्शित की गयी है। उन्होने बताया कि इसके अलावा बच्चों की देखभाल और संरक्षण की जरूरत पर केन्द्रित करते हुये ‘‘जे0जे0 एक्ट 2015’’ की मुख्य विशेषताएं भी विस्तृत रूप से गृह विभाग की वेब साइट पर दी गयी है।

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गिरगिट को भी मात कर देगा। वाकई बहुत बेशर्म होता है प्रशासन

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