जुल्‍फी-अफसर आये तो साष्‍टांग कर सकते हैं जौनपुरी भांड़-पत्रकार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: यह पत्रकार सूंघते ही रहते कि कौन गौ-अफसर गाभिन, या किस ब्‍यांत में चल रहा है : भानुचंद्र को अब तक का सबसे जिलाधिकारी डीएम करार दे दिया, डील हो चुकी होगी : मतलब तो यही हुआ कि उसके पहले के बाकी डीएम दो-कौड़ी के थे : जुल्‍फी प्रशासन-एक :

कुमार सौवीर

जौनपुर : पूरी दुनिया में अपनी शायरी के डंके बजा चुके और शीराजे हिन्‍द के ख्‍यातिनाम शायर मरहूम वामिक जौनपुर ने एक गीत लिखा था। उस गीत के बोल थे:- भूका है बंगाल रे साथी, भूका है बंगाल। अपने वक्‍त में इस गीत ने पूरी दुनिया को दहला दिया था। जौनपुर में रह कर भी वामिक साहब ने बंगाल के अपने देशवासियों की भूख और उनकी दुर्दशा का जीवन्‍त रेखांकन किया, वह बेमिसाल है। इसमें वामिक साहब ने अपने लिए नहीं, बल्कि अपने देशवासियों की पीड़ा का रेखांकन किया था। वामिक साहब के ऐसे गीतों ने पूरे देश को संवेदनशील बना कर रो डाला, और उन हालातों से निपटने की शिद्दत फरमायी।

कहने की जरूरत नहीं कि वामिक साहब इसी शीराजेहिन्‍द जौनपुर के रहने वाले थे, जिनका पुश्‍तैनी घर आज भी वहीं मौजूद है। लेकिन उसी जौनपुर में आज की नयी पत्रकार और कवि-शायर पीढ़ी ने वामिक से कुछ सीखने के बजाय, उसे बेचने में ही पूरा वक्‍त लगाया है। हर वक्‍त यही सोच-उधड़बुन कि किस शख्‍स से कितनी रकम ऐंठी जा सकती है, इसके लिए किस अफसर या नेता का कितना पोतन-तौलन किया जा सकता है, इस बारे में हर गहन और सूक्ष्‍म जानकारियों का खजाना भरा हुआ है जौनपुर के पत्रकारों के दिल-दिमाग में।

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हर सू जौनपुर

नीचता की हर सीमा पार करते जौनपुरी पत्रकार जब किसी अफसर को अपने लिए भारी कमाई लायक मस्‍त-माल समझते हैं, तो उसकी तारीफ में एक टोली बना कर बाकायदा सियार-श्रंगाल की तरह हुक्‍का-हुआं का सा समवेत स्‍वर निकालते हैं। ऐसे पत्रकारों की पारखी नजर लाजवाब होती है। ठीक किसी ठेठ-घिस्‍सू पशुपालक या पक्‍के अहीर की तरह उन्‍हें एक ही नजर में पता चल जाता है कि यह गौ-अफसर यानी बड़ा बाबू अपने लिए अभी गाभिन हुआ भी या नहीं अथवा कितने ब्‍यांत की है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उसका थन-गल यानी थनेला हो चुका हो। कहीं बिसुक तो नहीं चुकी। दूध कितना फेंक सकती है। कितनी देर तक उसके थन पर हाथ मारना पड़ेगा। बियाने के बाद कितने दिनों तक इनरी खिलायेगी, वगैरह-वगैरह।

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जुल्‍फी प्रशासन

जी हां, आइये जुल्‍फी का भजन-कीर्तन सुना जाए, गजब मक्‍खन-मालिश करते हैं यह पत्रकारजौनपुर के ऐसे ही एक पत्रकार हसनैन कमर दीपू ने एक पूर्व जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्‍वामी को जमकर तेल लगाया। जरा पढि़ये तो, कि क्‍या-क्‍या तमगे चिपकाये हैं दीपू ने। इतना ही नहीं, अपना रिश्‍ता भी जोड़ लिया।

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बड़ा बाबू

जौनपुर के अब तक के सबसे लोकप्रिय जिलाधिकारी  भानुचन्द्र गोस्वामी के साथ 25 महीने का कार्यकाल कब बीत गया पता ही नहीं चला ,रिश्ता भाई जैसा बन गया था,जौनपुर के विकास में आप ने जो कार्य किया उसके सभी लोग कायल थे।उम्मीद है आप का साथ यू ही हम सब के साथ बना रहेगा और आप जहाँ भी रहेंगे जनता के दिलो पर राज करते रहेंगे one touch टीम की ओर से हम सब आप को शुभकामनाए मुबारकबाद देते है और ये दुआ करते है की आप जहाँ भी रहे आप का नाम यूँ ही न सिर्फ प्रदेश,देश में बल्कि पूरे विश्व में यूँ ही चमकता रहे। (क्रमश:)

जौनपुर के जिला प्रशासन से जुड़ी अनगिनत कहानियां जौनपुर की फिजाओं में और जौनपुर के बच्‍चे-बच्‍चे के दिल-दिमाग में अमिट रूप से दर्ज हैं। अच्‍छी या घिनौनी बात यह है कि जौनपुर के पत्रकारों को यह सब दिखता ही नहीं। बहरहाल, इस कहानी की अगली कड़ी देखने के लिए क्लिक कीजिएगा:-

जौनपुर में  कमाल हो चुका भानुचंद्र गोस्‍वामी का


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