: चार जजों ने ऐलान किया था कि कल को कोई ऐसा न कह दे की हमने अपनी आत्मा बेच दी है : मगर दो दिन में ही चार में से दो जजों की बिकी हुई आत्मा वापस उन्हें वापस मिल गयी : पिछले चंद दिनों के दौरान देश में जो न्यायिक-नौटंकी हुई, वह बेहद निराशाजनक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : चलो दोस्तों। अंत भला तो सब भला। एक भारी सौदा निपट गया, यह हर्ष का विषय है कि सुप्रीम कोर्ट के चार में से दो जजों की बिकी हुई आत्मा उन्हें वापस मिल गयी। बधाई हो जज साहब। अब हम उम्मीद करते हैं कि बाकी दो जज साहबान भी अपनी बिकी हुई आत्मा वाला सौदा जल्द से जल्द निपटज्ञ लेंगे। सब को उनकी आत्माएं मिल जाएंगी, सब अपनी अन्तरात्मा में अपनी आत्मा की प्रतिमा दोबारा स्थापित कर लेंगे, ताकि न्याय की प्रतिमा का पुनर्स्थापना हो सके।
लेकिन मैंने पिछले तीन दिनों में लगातार गौर किया किया अपनी आंखों में पट्टियां बांध कर उल्टा-पुल्टा तराजू उठा-पटक रहीं न्याय की देवी की प्रतिमा इन पूरे अभूतपूर्व न्यायिक नौटंकी के दौरान कनखियों से अपनी काली पट्टी खिसका-खिसका कर पूरे कर्मकाण्ड का जायजा लेने की कोशिश कर रही हैं। ठीक उसी तरह हमारी दिल्ली पर जमी बैठी केंद्र सरकार, पूरा न्यायिक जगत, और सबसे बड़ी बात यह कि पूरा देश भी हड़बड़ाये हुए चिल्ल-पों की बुआ की तरह कुकुर-झौंझौं में जुटी हुआ है। लेकिन सबसे बड़ी हैरतअंगेज बात यह है कि व्यवस्था के साथ ही साथ पूरी जनता लड़-बोंग बनी खड़ी है कि आखिर:- या इलाही, ये माजरा क्या है।
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बात आगे बढ़ाने के पहले जरा यह समझ लीजिए कि सुप्रीम कोर्ट में पिछले चार दिनों से चल रही बगावत पर हर क्षेत्र-कॉनर्स की ओर से मामले को फौरन समेट लेने का दबाव पड़ने लगा है। बावजूद इसके कि केंद्र सरकार ने पहले ही दिन स्पष्ट कर दिया था कि यह न्यायपालिका का अपना ही मामला है और वे उसे जल्द ही निपटा लेंगे। लेकिन सच यही है कि केंद्र सरकार की छटपटाहट इस मामले में बुरी तरह दिख रही है।
चार जजों की नाराजगी दूर करने की कवायद रविवार को भी जोरों पर रही। इसी को लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया चीफ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) प्रेसिडेंट ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से अलग-अलग मुलाकात की। देर रात तक बैठकों का दौर जारी रहा।सबसे पहले बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने देर शाम जस्टिस शरद अरविंद और जस्टिस कुरियन जोसेफ से दिल्ली स्थित उनके आवास पर मुलाकात की। इसके बाद बार काउंसिल चीफ मनन कुमार मिश्रा ने भी चीफ जस्टिस से मुलाकात की। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि ‘हमने चीफ जस्टिस से मुलाकात की है और जल्द ही मामले को सुलझा लिया जाएगा। मामले में हमने जितने भी पक्षों से बात की है सभी ने इसे जल्द सुलझाने पर जोर दिया है।’ इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विकास सिंह ने चीफ जस्टिस से मिलने पहुंचे। मीटिंग के बाद बाहर निकले सिंह ने बताया कि ‘एससीबीए ने प्रस्ताव की कॉपी चीफ जस्टिस को सौंपी जिसपर उन्होंने सकारात्मक तौर पर गौर करने का आश्वासन दिया।’
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बता दें कि जजों ने पिछले दो महीने के बिगड़े हालातों पर अपनी बात रखने के लिए प्रेस का सहारा लिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था ठीक नहीं चल रही है। जजों का इशारा सीधे-सीधे चीफ जस्टिस की ओर था। इससे पहले प्रेस कॉन्फ्रेंस में जस्टिस रंजन गोगई जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस चेलामेश्वर और जस्टिस मदन भीमराव मौजूद रहे, जिसमें उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा- न्यायपालिका में कुछ ठीक नहीं है और अगर ऐसा ही रहा तो लोकतंत्र नहीं चल सकता। जजों ने कहा- कल को कोई ऐसा न कह दे की हमने अपनी आत्मा बेच दी है।
लेकिन सर्वोच्च न्यायालय से शुरू हुई इस पूरी न्यायिक नौटंकी ने एक अभूतपूर्व नजारा उत्पन्न कर दिया है। किसी भी व्यवस्था में उथल-पुथल होना, उसमें शामिल इकाइयों, पदार्थों, भावों और घटनाओं में अदल-बदल होना, उसमें प्रतिक्रियाएं होना, उसमें संक्रमण होना, उनमें परस्पर अथवा बाहरी प्रयासों के चलते मंथन चलने-चलाने की कवायद बेहद सहज होती हैं। इसके बिना कोई भी स्वयं में व्यवस्था लगातार परिष्कृत भाव को नहीं हासिल कर सकती है।
लेकिन यह जो न्यायिक-नौटंकी हुई, वह बेहद निराशाजनक है। परस्पर बगावती तेवर जब राजनीतिक क्षेत्र से आते हैं, तो उसमें व्यापक विमर्श होता है। लम्बी बहसें होती हैं। और इसीलिए उनका जब कोई परिष्कृत भाव सामने आया है, तो वह पुराने पर हावी होकर नये तेवर में बेहद प्रभावी रूप में दिखायी पड़ता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ भी हुआ, वह हैरतनाक है।
सर्वोच्च न्यायालय में जो कुछ भी हुआ, वह वाकई बेहद निराशाजनक साबित हुआ है। हमारा प्रमुख न्यूज पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम इस मसले पर लगातार निगाह रखे है। हम इस मामले पर आपको ताजा विचार और समाचार उपलब्ध कराते रहेंगे। इस मसले की दीगर खबरों को देखने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक करें:-