बेटियों की सेहत के हानिकारक नहीं, असली बापू साबित हुए हरियाणवी मर्द

सक्सेस सांग

: एक हजार लड़कों में आज 914 बेटियां की जीत। शाबाश, छह बरस में ही कायापलट कर दिया : सन-11 में यही आंकड़ा 834 था, सन-16 में 900 : इसके पहले बेटियों के तेज खात्‍मे को लेकर पूरी दुनिया में अपनी छीछालेदर का सामना कर चुका है हरियाणा :

मेरी बिटिया संवाददाता

चंडीगढ़ : अभी चंद पहले ही हरियाणा का नाम सुनते ही लोगों की नजर में कन्‍याओं की हत्‍याओं और उनके मन-मस्तिष्‍क में बच्चियों के खून-खच्‍चर का ही डरावना सपना दीखता था। आम तौर पर पूरे देश में हरियाणा को निहायत घटिया और पुत्री-हंता के तौर पर मशहूर माना जाता था। इस विद्रूप दृश्‍य तब हाहाकार मचा गया, जब हरियाणा के एक मंत्री ने यह बयान दिया कि हमारे राज्‍य में बेटियों की संख्‍या कम है, इसलिए हम अपने पुरूषों की शादी के लिए बिहार की कन्‍याओं से करने का विचार कर रहे हैं। यह बयान आते ही हरियाणा की छीछालेदर शुरू हो गयी थी।

लेकिन आज हरियाणा में चमत्‍कार हो चुका है। भारी कन्‍या भ्रूण-हत्‍या और कन्‍या उपेक्षा के भाव के चलते हरियाणा के चेहरे पर जो कलंक चस्‍पा हुआ करता था, वहां अब कन्‍याओं की किलकारियां गूंज रही हैं। खुशखबरी इस बात की है कि हरियाणा ने अपनी शक्‍ल पर पुती कालिख को धो-पोंछ दिया है और हालत यह है कि महज छह बरस में ही हरियाणा के कन्‍या संख्‍या प्रति हजार पुरूषों के मुकाबले 914 तक पहुंच गयी है। अनुमान है कि आने वाले चंद बरसों में यह संख्‍या एक हजार से भी ऊपर निकल सकती है।

कन्‍याओं के इस साल लिंगानुपात में काफी सुधार देखने को मिला है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में लिंगानुपात प्रति 1000 लड़कों पर 914 लड़कियों का रहा। बता दें, साल 2016 में यह 900 था, वहीं साल 2015 में यह केवल 876 था। राज्य के 17 जिलों में 900 या उससे ज्यादा का आंकड़ा देखने को मिला है। वहीं किसी भी जिले में लिंगानुपात का आंकड़ा 880 से कम नहीं है। साल 2011 से राज्य में लिंगानुपात के आंकड़ों में सुधार देखने को मिला है। साल 2011 में राज्य में प्रति 1000 लड़कियों पर 834 लड़के थे। इसके बाद से हर साल लिंगानुपात के आंकड़ों में सुधार देखने को मिल रहा है। साल 2017 में राज्य में 5,09,290 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें 2,66064 लड़के और 2,43,226 लड़कियों शामिल हैं।


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