हरियाणा में दवा खाने से 250 बच्चियां बीमार

सैड सांग

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जींद : हरियाणा के जींद में आयरन की गोलियां खाने से आज करीब 250 छात्राएं बीमार हो गईं। छात्राओं ने पेट में दर्द और चक्कर आने की शिकायत की जिसके बाद उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया लेकिन शाम तक लगभग सबको छुट्टी दे दी गयी। जिला प्रशासन ने हालांकि कहा कि आयरन की गोलियों की गुणवत्ता बिल्कुल सही है और छात्रायें मनोवैज्ञानिक तौर पर खुद को अस्वस्थ महसूस कर रही हैं।

जिला शिक्षा अधिकारी संतोष ग्रोवर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा बच्चों में खून की कमी दूर करने के लिए स्कूलों में छठीं से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को आयरन की गोलियां फ्री में बांटी जा रही हैं। इसके तहत कल छात्राओं को आयरन की गोलियां बांटी गईं थी। उन्होंने बताया कि इसके बाद जब छात्राएं आज सुबह जींद के एक सरकारी स्कूल में पहुंची तो यहां प्रेयर के दौरान कई छात्राओं को पेट दर्द की शिकायत शुरू हो गई। कई छात्राएं प्रार्थना सभा के दौरान ही बेहोश होकर गिर पड़ीं। इसके बाद लगभग 150 छात्राओं को अस्पताल सीएचसी में ले जाया गया जहां से उन्हें जींद के सिविल अस्पताल भेज दिया गया।

ग्रोवर ने बताया कि इसी प्रकार धमतान साहिब के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में भी कल छात्राओं को आयरन फॉलिक ऐसिड की गोलियां खाने को दी गयीं। ये गोलियां खाने के बाद इनकी भी हालत बिगड़ गई जिसके बाद 97 छात्राओं को प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र मे दाखिल करवाया गया। 20 छात्राओं का इलाज निजी अस्पतालों में हो रहा है। जींद के सिविल अस्पताल के डा. दयानंद ने बताया कि सभी छात्राओं की हालत ठीक है और केवल दो छात्राओं को छोड़कर बाकी सबको छुट्टी दे दी गयी है। इन दो छात्राओं को भी जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।

उधर, जींद जिला प्रशासन का दावा है कि उनके यहां आयरन की गोली खाने से किसी छात्रा को कोई परेशानी नहीं हुई है बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसमें वे अपने को अस्वस्थ महसूस कर रही हैं। प्रशासन ने यह भी दावा किया है कि आयरन की गोलियों की गुणवत्ता सही है और वे सभी मानकों पर खरी उतरी हैं। जींद के डेप्युटी कमिश्नर राजीव रतन ने कहा कि स्कूली छात्राओं में आयरन की गोली खाने का कोई रिएक्शन नहीं हुआ है, बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति है जिसकी वजह से छात्राएं स्वयं को अस्वस्थ महसूस कर रही है।

उन्होंने कहा कि अभिभावकों तथा छात्राओं की संतुष्टि के लिए ही उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और बहुत सी छात्राओं को तो प्राथमिक उपचार के बाद ही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कंडेला से ही छुट्टी दे दी गई थी। उन्होंने कहा कि आयरन की गोली को लेकर जो भ्रम पैदा हुआ है, उसे दूर करने के लिए ही कुछ छात्राओं को अस्पताल लाया गया है और शिशु विशेषज्ञ और सीनियर मेडिकल ऑफिसर्स ने उनकी जांच की है।

रतन ने कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया है कि छात्राओं के शरीर में दवा का कोई रिएक्शन नहीं हुआ है बल्कि वे सभी मनोविज्ञान के चलते डर गई हैं। इन छात्राओं ने न तो उल्टी और न ही दस्त की शिकायत की है। उन्होंने कहा कि हरेक बच्चे की शरीर की क्षमता अलग होती है और कुछ एक बच्चों में खाली पेट आयरन की गोली खाने से पेट दर्द की शिकायत हो सकती है। सिविल सर्जन डा. दयानंद ने बताया कि बच्चों को दी गई आयरन की गोली बेहतर क्वालिटी की है और यह गोली सभी मानकों पर खरी उतरी है। उन्होंने कहा कि लड़कियों को 100 मिलीग्राम की टेबलेट दी गई थी जिसे एक आदर्श खुराक माना गया है।

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