जिया की मां को ऐतराज था मुलाकातों पर : सूरज पांचोली

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

अपने प्रति अटेंशन पाने की कोशिशें करती थी जिया

मुम्बई : ( 3 ) अपने साक्षात्कार में सूरज पांचोली ने बताया है कि नफीसा की मौत से एक महीने पहले वो उसके घर पर सुबह 8 बजे रोते हुए आई थी. उसने मुझसे कहा, ‘मेरा मेरी मां से झगड़ा हुआ है.’ उसके हाथ पर चोट के निशान थे. मैंने उसे अपने दोस्त करन के साथ छोड़ा और उसे बताए बिना उसकी मां से मिलने गया. मैंने उसकी मां से पूछा, ‘आंटी, क्या आपका नफीसा से झगड़ा हुआ है? क्या आपने उसे मारा है?’ उन्होंने मुझसे कहा, ‘नहीं, मैंने अपनी बेटी को कभी नहीं मारा.’

सूरज ने बताया कि:- मैंने नफीसा की मां से कहा कि मैं उन दोनों के बीच में आने वाला कोई नहीं लेकिन बस उनका बताना चाहता हूं कि उनकी बेटी की हालत ठीक नहीं है और उसे मेडिकल असिस्टेंस और उनकी मदद की जरूरत है. मैं अपनी तरफ से उसकी मदद करने की पूरी कोशिश कर रहा था. उसकी मां ने मुझे कहा था, ‘बेटा, वो ऐसा बस अटेंशन पाने के लिए करती है. यहां आने के लिए शुक्रिया. उसके एक्स ब्वॉयफ्रेंड्स भी उसे छोड़कर चले गए थे लेकिन वो खुदकुशी नहीं करेगी. वो ऐसा 11 साल की उम्र से करती आ रही है,’ मैंने नफीसा से कहा कि मैं उसकी मां से मिला. वो अपने घर गई और उसकी मां के नंबर से मेरे पास एक मेसेज आया, जिसमें लिखा था, ‘सूरज, मैं नहीं चाहती कि तुम मेरी बेटी के साथ रहो.’ मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से नफीसा और उसकी मां के बीच कोई दूरियां आए. इसके अलावा मैं नफीसा के रोज के रोने से तंग आ चुका था. मैंने उसको बोला कि मैं अब और ये सब नहीं झेल पाऊंगा और उसके साथ बातचीत कम कर दी. उसकी खुदकुशी से 20 दिन पहले हमारे बीच बातचीत बहुत कम हो गई थी.

उसने सोमवार (3 जून) को खुदकुशी से पहले शनिवार (1 जून) को मुझे कॉल किया था और कहा था, ‘मैं हैदराबाद जा रही हूं. वहां मुझे एक फिल्म मिल रही है. मैं उससे पहले रविवार तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूं.’ मैंने उसे कहा कि ठीक है, लेकिन मैं फिर से जुदाई का दर्द नहीं झेलना चाहता था, इसलिए ये रविवार हमारा साथ आखिरी रविवार होगा. मैंने सोमवार सुबह उसे एक बुके भेजा. जिस पर लिखा हुआ था, ‘All the best.’ उसने मुझे सोमवार की शाम फिर कॉल किया और कहा, ‘मैं तुमसे मिलना चाहती हूं.’ मैंने कहा, ‘मैं तुमसे नहीं मिल सकता हूं.’ और मैंने उसे मेसेज किया, ‘नफीसा, ऐसा नहीं करते हैं.’ और मैंने अपना फोन ऑफ कर दिया. वो आखिरी बार था जब मैंने उससे बात की थी.

2 घंटे बाद मेरे पापा ने मुझे उसके सुसाइड के बारे में बताया. जब नफीसा की मौत हुई तो पापा मुझसे ज्यादा रोए थे. उन्हें लग रहा था कि वो उसकी और मदद कर सकते थे. उन्हें नफीसा की सारी तकलीफों के बारे में पता था. उसकी मौत मेरे लिए ‘शॉक’ नहीं थी लेकिन उसकी बिल्डिंग में घुसते ही मुझे रोना आ गया था, मैं वहीं उसे लेने जाया करता था.

मैं अभी भी उसे याद करता हूं. मेरे घर में हर चीज उसकी याद दिलाती है. वो अंदर और बाहर दोनों तरह से खूबसूरत थी. उसे अपनी जिंदगी में अच्छी चीजों के आने के लिए इंतजार करना चाहिए था. उसने सही नहीं किया कि वो मुझे इस तरह से छोड़कर चली गई. मैं उसकी मदद नहीं कर पाया. मेरी जिंदगी में एक बदलाव आया है कि मेरा अपने मां-बाप और बहन के लिए प्यार और बढ़ गया है. मैं हमेशा से शांत इंसान रहा हूं लेकिन अब मेरे अंदर अगर 5 परसेंट गुस्सा था तो वो भी अब खत्म हो गया है. मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं कि मेरा नाम उसके साथ जिंदगी भर जोड़ा जाएगा. मैं आज भी उससे प्यार करता हूं.

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