: असह्य शोक, ब्रह्माण्ड-व्यापी हो गये वरिष्ठ पत्रकार शेखर त्रिपाठी : डॉक्टरों की सारी कोशिशें बेकार, दोपहर बाद ढाई बजे के करीब बंद हो गयीं सारी धड़कनें : कानपुर में होगा अंतिम संस्कार :
कुमार सौवीर
गाजियाबाद : हिन्दी पत्रकारिता जगत में किसी दैदीप्यमान-दहकते सूरज जैसी अपनी छवि बना चुके शशांक शेखर त्रिपाठी आखिरकार मौत से अठखेलियां करते-करते हमेशा-हमेशा के लिए इस नश्वर जगत को त्याग कर गये। दोपहर ढाई बजे के आसपास उनके डॉक्टरों ने उन्हें बचाने की भरसक कोशिशें कीं, लेकिन असफल रहे।
हिन्दी पत्रकारिता-जगत में एक अप्रतिम और विशालकाय ग्रह थे शशांक शेखर त्रिपाठी। उनसे जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-
आपको बता दें कि करीब एक सप्ताह पूर्व शशांक शेखर त्रिपाठी अपने बाथरूम में गिर पड़े थे। परिजनों उन्हें लेकर तत्काल गाजियाबाद के नर्सिंग होम पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत बेहद गंभीर बतायी। घटना के बाद गाजियाबाद के कौशाम्बी स्थित यशोदा अस्पताल पहुंचे दैनिक ट्रिब्यून समाचार पत्र नेशनल ब्यूरो हेड डॉक्टर उपेंद्र पांडे ने प्रमुख न्यूज़ पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम के संवाददाता को बताया कि शेखर त्रिपाठी की हालत बेहद नाजुक हो गयी थी। उन्हें सेप्टीसीमिया का खतरा बढ़ता जा रहा था। उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने उनकी छोटी आंत का तीन चौथाई हिस्सा काट कर फेंक दिया और लेकिन इसके बावजूद शेखर त्रिपाठी के स्वास्थ्य में कोई भी सुधार नहीं हो रहा था। डॉक्टरों ने उन्हें बताया था उनके एक के बाद एक सारे अंगो ने काम करना बंद शुरू कर दिया था। डॉक्टरों के अनुसार यह एक बेहद नाजुक हालत थी। इसी को देखते हुए डॉक्टरों ने शेखर त्रिपाठी डायलिसिस ले लिया था।
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दो दिन पहले अचानक शेखर त्रिपाठी स्वास्थ्य में डॉक्टरों ने एक चमत्कारिक बदलाव देखा था। उन्होंने पाया कि शेखर त्रिपाठी का पेशाब सामान्य तौर से रिलीज हुआऍ यह एक सुखद और आशाजनक संकेत बताया गया था। उसी देर शाम डॉक्टरों ने बेहद प्रसन्नता के साथ लोगों को बताया था कि शेखर त्रिपाठी की हालत में करीब 80 फ़ीसदी तक सुधार दर्ज हो रहा है। उपेंद्र पांडे का कहना था कि पेशाब होना सेप्टीसीमिया के खात्मे की तेज प्रक्रिया का प्रतीक है।
आपको बता दें कि आज से करीब 20 साल पहले दैनिक जागरण के संपादक नरेंद्र मोहन की हालत भी कुछ इसी तरह बेहद नाजुक हो गई थी। ऐसे में उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। डॉक्टर के अनुसार नरेंद्र मोहन को भी सेप्टीसीमिया विकसित हो गया था। लेकिन मोहन को डॉक्टरों के तमाम कोशिशों के बावजूद नहीं बचाया जा सका।
लेकिन अब यह दूसरा मौका है जब दैनिक जागरण का एक वरिष्ठ पदस्थ सहयोगी और जागरण डॉट कॉम के संपादक शशांक शेखर त्रिपाठी को भी सेप्टीसीमिया का संक्रमण हुआ।
अब तक मिली खबरों के अनुसार शेखर त्रिपाठी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार कानपुर में होगा। हालांकि इस बारे में अब तक पूरी जानकारी नहीं मिल पायी है।
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