धंधेबाज सुब्रत राय फिर शिकंजे में। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, कहां से मिली इत्‍ती रकम?

सक्सेस सांग

: सुप्रीम कोर्ट तक को मूर्ख बनाने का दुस्‍साहसी सुब्रत राय आज फिर सवालों की चूहेदानी में फंसा : कोर्ट ने पूछा कि 24 हजार करोड़ के भुगतान का जरिया बताओ, सुनवाई अब 15 दिन बाद होगी : सहारा इंडिया के वकील कपिल सिब्‍बल के ऐतराजों पर सहमत नहीं हो पायी कोर्ट, जरिया तो बताना ही पड़ेगा : सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि इतनी बड़ी रकम आसमान से तो नहीं ही टपकी होगी :

संवाददाता

नई दिल्‍ली : धोखा और तिकड़ीबाज सहारा इंडिया का मुखिया की पूंछ आज फिर सुप्रीम में फंस गयी। देश के भोले-भाले निवेशकों की 24 हजार रूपयों की खून-पसीने की रकम को अपनी टोपीबाजी के चक्‍कर में लूटने के चक्‍कर में सवा दो साल तक तिहाड़ जेल में चक्‍की पीसने बावजूद सुब्रत राय की तिकड़मबाजी खत्‍म नहीं हो पायी। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुब्रत राय की करतूतों को दबोच ही लिया, जैसे भागता चूहा चूहेदानी में फंसता है।कोर्ट ने आज साफ कहा कि यह बात हमें यह हजम नहीं हो रहा कि सहारा समूह ने दो महीने के भीतर लाखों निवेशकों के पैसे वापस कर दिए। शीर्ष अदालत ने कहा  कि 24000 करोड़ रुपये आसमान से नहीं गिरे होंगे।

अदालत ने समूह को इतनी रकम लाने का स्रोत बताने के लिए कहा है। चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय सहारा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से कहा कि हम दो महीने के भीतर लाखों निवेशकों के पैसे वापस लौटने के आपके मुवक्किल की क्षमता पर संदेह नहीं कर रहे हैं लेकिन हमें यह बात हजम नही हो रही है। पीठ में न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल हैं. पीठ अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को करेगी.

पीठ ने सहारा समूह को अदालती आदेश केदो महीने के भीतर निवेशकों के पैसे वापस लौटाने के लिए 24000 करोड़ रुपये का इंतजाम करने का स्रोत बताने के लिए कहा है। पीठ ने कहा, इतनी रकम का इंतमाज करने का स्रोत क्या है। क्या आपने अन्य कंपनियों से रुपये लिए हैं। क्या आपने यह रकम बैंकों से निकाला है या अपनी संपत्ति बेचकर इसका जुगाड़ किया है। आप प्रमाणित कर दें तो हम मिनटों में निपटा देंगे मामला। पीठ ने कहा कि रुपये तो इन्हीं तीन विकल्पों से आए होंगे, कोई आसमान से तो नहीं टपके होंगे। पीठ ने यह भी कहा कि अगर आप प्रमाण देते हैं कि सभी निवेशकों के पैसे वापस कर दिए गए हैं तो हम मिनटों में मामले को रफा-दफा कर देंगे।

इस पर सिब्बल ने कहा कि विभिन्न स्रोतों से रकम का जुगाड़ किया गया है। हमने पहले ही हलफनामे में इसका ब्योरा दे दिया है। वहीं सेबी की ओर से पेश वरिष् वकील अरविंद दत्ता ने कहा कि हम जाकर निवेशकों का पता नहीं लगा सकते हैं, लेकिन हम रकम के इंतजाम का स्रोत अवश्य जानना चाहते हैं। जवाब में सिब्बल ने कहा कि हमने निवेशकों केपैसे वापस कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक आपको यह लग सकता है कि हमने इसके लिए काले धन का इस्तेमाल किया हो। अगर ऐसा है तो यह देखने का काम आयकर विभाग का है न कि सेबी का। मालूम हो कि सहारा प्रमुख फिलहाल पैरोल पर हैं। पांच हजार करोड़ रुपये नगद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी का इंतजाम न कर पाने के कारण अब तक उन्हें जमानत नहीं मिल सकी है।

सहारा समूह ने बाद में इस बारे में एक बयान में कहा है, ‘यह बताना प्रासंगिक होगा कि सहारा देश भर में लगभग 5000 शाखाओं के जरिए परिचालन करता है और यह भुगतान केवल उन्हीं शाखाओं के जरिये किया गया.’ इसके अनुसार, ‘सहारा की शाखाओं के अखिल भारतीय नेटवर्क के जरिए ही कंपनी ने धन लौटाया (रिफंड किया) है.’ समूह ने अपने वकील के माध्यम से कहा है कि इन भुगतान (रीपेमेंट) से जुड़े सभी दस्तावेजों की मूल प्रतियां व निवेशकों द्वारा लौटाए गए मूल ब्रांड प्रमाण पत्र सेबी को सौंप दिए गए हैं.

मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘आप बताएं कि इस पैसे का स्रोत क्या है? क्या आपको अन्य कंपनियों और अन्य योजनाओं से 24,000 करोड़ रुपये मिले? बैंक खातों से यह राशि निकाली? या फिर संपत्ति बेचकर यह राशि जुटाई? यह इन तीनों में से किसी एक माध्यम से होगी। पैसा उपर से नहीं गिरता। आपको बताना होगा कि यह धन आपको कहां से मिला। पीठ ने सहारा समूह के वकील से कहा, ”हमें आपके मुवक्किल की निवेशकों को करोड़ों रुपये लौटाने की क्षमता पर संदेह नहीं है। वह भी सिर्फ दो महीने में नकद भुगतान। लेकिन, आप इस धन का स्रोत बताएं, उसके बाद भानुमति का पिटारा खोलने की जरूरत नहीं पडे़गी।’

इस बेंच में न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति एके सीकरी भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस मामले की सुनवाई अब 16 सितंबर को करेगी। पीठ ने कहा कि आप उस दिन सुनवाई की शुरुआत यह बताकर ही कह सकते हैं कि आखिर आपको इतनी रकम मिली कहां से। सहारा प्रमुख सुब्रत राय के वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि समूह ने धन जुटाकर निवेशकों को नकद में लौटा दिया है और सेबी करोड़ों निवेशकों को तलाशने से पीछे हट रहा है।

इस पर पीठ ने कहा, ‘आप हमें दस्तावेज दिखाएं। अन्य योजनाओं में कैसे धन पड़ा है।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि यह आपका दावा है। सेबी का काफी सरल सवाल है। हमें बताएं कि आपको यह पैसा कहां से मिला। आप हमें बताएं हम मामला बंद कर देंगे। आप बताएं कि आपने 25,000 करोड़ रुपये नकद कैसे जुटाए।

सिब्बल ने कहा कि समूह किसी तरह की भी जांच को तैयार है। यदि यह माना जाए कि यह कालाधन था तो भी समूह की जांच की जा सकती है, लेकिन यदि यह कालाधन है तो सेबी जांच करने वाला कौन है। यह आयकर विभाग का मामला है। हालांकि, इस पर पीठ ने कहा कि यह उद्योग घराने को बताना है कि धन का स्रोत क्या है। क्या यह हिसाबी धन है या बेहिसाबी धन है। ‘यह आपके बैंक खाते में पड़ा था या फिर आपकी अन्य योजनाओं से आया है।

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