जनतंत्र की गोद में खेलती साहसिक रचनाशीलता यानी इंडिया टुडे साहित्य वार्षिकी

बिटिया खबर
: विचारों का नया आकाश, कला के प्रतिमान, अभिनय के टटके रंग और कथा व उपन्यास की नई अनदेखे जगत और कविताओं का अनोखा संसार :

अंशुमान त्रिपाठी
नई दिल्‍ली : केवल रचनात्मकता ही तो है जो स्वाधीनता के विराट और निरंतर उत्सव को संभाल सकती है. जनतंत्र की गोद में खेलती साहसिक रचनाशीलता का अनोखा लीला संसार, जब सामने हो तो इंडिया टुडे #साहित्यवार्षिकी18 बनाते हुए हम और कुछ सोच भी कैसे सकते थे.
लंबे अंतराल के बाद बीते बरस आयी साहित्य वार्षिकी को विलक्षण स्नेह मिला. इसके दो संस्क‍रण प्रकाशित हुए. इसी आशीर्वाद की प्रेरणा से नई साहित्य वार्षिकी का क्षितिज अब व्यापक हो गया है.
विचारों का नया आकाश, कला के प्रतिमान, अभिनय के टटके रंग और कथा व उपन्यास की नई अनदेखे जगत और कविताओं का अनोखा संसार India Today Hindi टीम के अनथक श्रम से सजी नई साहित्य वार्षिकी, अखिल भारतीय और अंतरराष्ट्रीय है. यह कला व रचना के बहुभाषी संसार के संवाद आप तक ला रही है.
रचना के जनतंत्र में आपका स्वाागत है.
अपनी प्रति लेना मत भूलियेगा !
(अंशुमान त्रिपाठी इंडिया टुडे के संपादक हैं)

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