दैनिक भास्‍कर के समूह-संपादक कल्‍पेश ने इश्‍क में सुसाइड कर लिया

बिटिया खबर

: देश की सबसे चर्चित आत्‍महत्‍या-नगरी बन चुकी है इंदौर : कैसे मरे जैन-मुनि संत विमद सागर और कितनी नीचता तक गिर चुके भइयू जी। अब कल्‍पेश का नम्‍बर : सलोनी अरोड़ा ने कल्‍पेश को गन्‍ने की तरह चूसा, फिर न जाने थूक डाला : महिला सशक्तिकरण के बहाने कल्‍पेश याग्निक ने पत्रकारों को आत्‍महत्‍या करना सिखाया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : इंदौर को तो आप जानते ही होंगे न ? ठीक पहचाना आपने। यही तो है देश की सबसे चर्चित आत्‍महत्‍या-नगरी। और ऐसी-वैसी आत्‍महत्‍या-नगरी नहीं, बल्कि इश्‍क से सनी-लिथड़ी कहानी-किस्‍सों वाली आत्‍महत्‍या-नगरी। चाहे वह चार बरस पहले भइयू जी ने यहां आत्‍महत्‍या कर ली, जिनका रिश्‍ता भाजपा और सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक जुड़ा था। बाद में इस मामले में अदालत ने भइयू जी की 28 बरस की अत्‍यन्‍त करीबी चेली को दोषी ठहराया। भइयू जी अपनी इस चेली को अपने पलक-पांवड़े पर रखते थे। इस चेली का नाम भी था पलक। इसी इंदौर में जैन मुनि संत विमद सागर महाराज का चर्चित आत्‍महत्‍या-कांड, जिन्‍होंने यहां के नंदा नगर स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में अपनी इहलीला खत्‍म करने के लिए पंखों से अपनी गर्दन फांसी पर लटका ली। उस वक्‍त वे चातुर्मास कर रहे थे। ऐसी आत्‍महत्‍याओं की फेहरिस्‍त में इंदौर में दैनिक भास्‍कर का किस्‍सा भी उतना ही रोचक है, जितना एक जैन साधु की आत्‍महत्‍या और भइयू जी का पंखा से लटक कर मर जाना।
दैनिक भास्‍कर को तो आप जानते ही होंगे न ? मध्‍य प्रदेश से अपनी जड़ें मजबूत करने के बाद अब यह अखबार कुछ अन्‍य प्रदेशों में भी अपनी जड़ें मजबूत करने के अभियान में जुटा है। अभी चंद बरस पहले ही हिन्‍दी पत्रकारिता के सबसे बड़े पत्रकारों में से एक रहे हैं कल्‍पेश याग्निक।
कल्‍पेश याग्निक को तो आप जानते ही होंगे न ? अरे, इसी अखबार का समूह संपादक हुआ करते थे कल्‍पेश याग्निक, जो भास्‍कर के इंदौर के मुख्‍यालय में बैठते थे। बहुत बड़े पत्रकार थे कल्‍पेश याग्निक। बहुत कम उम्र थी उनकी। लेकिन बहुत कम उम्र में बहुत बड़े ओहदे तक पहुंच गये थे कल्‍पेश याग्निक।
तो किस्‍सा कोताह यह, कि कल्‍पेश याग्निक एक दिलदार शख्‍स थे। स्‍त्री-सशक्तिकरण के सबसे बड़े अलम्‍बरदारों में से एक। वो कहते हैं न कि दायित्‍वों और धर्म की शुरुआत अपने घर से ही होती है, इसलिए कल्‍पेश याग्निक ने महिलाओं को समाज में सशक्‍त करने का अपना धर्म निभाने की शुरुआत दैनिक भास्‍कर से शुरू कर दी। महिलाओं में से भी बढ़ कर युवती से, एक अल्‍हड़ और बेहद महत्‍वाकांक्षी लड़की के साथ। उन्‍होंने सलोनी अरोड़ा नामक एक लड़की को अपने दफ्तर में अचानक देखा, तो लगा आंख ही टपक पड़ेगी उनकी। वे मान चुके कि स्‍त्रीसशक्‍तीकरण के जिस अभियान की शुरुआत करने के लिए वे बरसों से लालायित थे, उसकी अभिनेत्री तो उनके सामने ही आ गयी। कई दिनों तक कल्‍पेश ने सलोनी अरोड़ा को पहले तो डांट-फटकार करते हुए उसकी कॉपी सुधारने के बहाने से अपने कमरे में बुलाया, फिर बताया कि वह कैसे-कैसे पत्रकारिता में अपना पायदान सबसे ऊंचा कर सकती है। इसके लिए क्‍या करना होगा। इसके लिए कौन से कार्यक्रिया शुरू होगी, उसमें उसकी क्‍या भूमिका होगी और उसमें उसका कुशल निर्देशन वे कैसे करेंगे।
बस, फिर क्‍या था। दीपावली में छुड़ाने जाने वाले रॉकेट की तरह सलोनी ने खुद को तैयार किया, और उसके पीछे एक सुलगाने वाली बारूद की डोर को अचानक सुलगा दिया। यह होते ही सलोनी चंद दिनों में ही दैनिक भास्‍कर में आर्म्‍स स्‍ट्रांग बन कर जहां-तहां फिरकी बनी घूमती रही। पहले तो उसे खबरों की रानी के तौर पर पेश किया, फिर उसे एक के बाद एक नये-नये पदभार देते हुए कनिष्‍ठों के ऊपर ही लाद कर बाकी सब की कमूचर ही निकाल डाली। बावजूद इसके कि सलोनी की अधिकांश कॉपी कल्‍पेश याग्निक ही लिखते और संवारा करते थे। ताकि सलोनी को पत्रकारिता के क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण के तौर पर एक नायाब हीरे की तरह दिखाया जा सके।
इतना ही नहीं, याग्निक ने उसे मुम्‍बई में उसको ब्‍यूरो-चीफ तक बना दिया। और कहने की जरूरत नहीं कि अब लगातार मुम्‍बई आने लगे। मकसद यही कि कैसे भी हो, सलोनी अरोड़ा को स्‍त्रीसशक्तिकरण का माइल-स्‍टोन बना कर ही दम लिया जाए। लेकिन बाकी कनिष्‍ठों में इसको लेकर दुख, आक्रोश और अराजकता के साथ ही विरोध का स्‍वर उठने लगे। बताते हैं कि इस पर सलोनी के तेवर बदलने लगे। सूत्र लगा कि सलोनी को लगा कि भास्‍कर में उसकी जगह अब ज्‍यादा दिन नहीं चल पायेगी और बाकी समाचार संस्‍थान उसकी काबिलियत को दो-कौड़ी ही मानते हैं। ऐसी हालत में सलोनी को कहीं और नौकरी नहीं मिल पायेगी। इस पर सलोनी ने कल्‍पेश याग्निक की चूडि़यां कसनी शुरू कर दीं। कल्‍पेश भी कुछ सीमा तक ही खमोश रहे, लेकिन बाद में पानी नाक से ऊपर जाने लगा। जाहिर है कि सलोनी और कल्‍पेश के बीच इश्‍क वाला स्‍त्रीसशक्तिकरण का दमखम बिखर गया। सलोनी ने कल्‍पेश को धमकाया और मनचाही चीजें मांगनी शुरू कर दीं। सूत्र बताते हैं कि तब तक सलोनी अरोड़ा ने करीब साढ़े तीन करोड़ रुपयों तक की सम्‍पत्ति कल्‍पेश याग्निक से झटक ले चुकी थी। कल्‍पेश इनकार करने की हैसियत में था ही नहीं। बताते हैं कि कल्‍पेश को पता था कि उसके इनकार का मकसद उसका अंत ही होगा। इधर दैनिक भास्‍कर में कल्‍पेश याग्निक में सलोनी को लेकर बवाल शुरू हो गया। उसे ब्‍यूरोचीफ पद से हटा दिया गया।
ऐसे में सलोनी अरोड़ा किसी बौखलायी नागिन बन गयी। उसने कल्‍पेश याग्निक के साथ फुल ऐंड फाइनल डील करने का सौदा पेश किया। कहा कि कल्‍पेश याग्निक अगर सलोनी को पांच करोड़ रुपया एकमुश्‍त दे देगा, तो सलोनी उसका पिंड हमेशा के लिए छोड़ देगी। इसके लिए पांच दिनों का मौका दिया गया। कल्‍पेश की हालत बहुत खराब हुई।
खैर, इसके बाद जो कुछ होगा, उसका खुलासा हम आपको अगली श्रंखला में पेश करते रहेंगे, लेकिन आखिरी किस्‍सा यह हुआ कि कल्‍पेश याग्निक ने आजिज आकर अपने ही दफ्तर की तीसरे मंजिल से कूद कर आत्‍महत्‍या कर ली। (क्रमश:)

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