सच बोलो, कि काशी की ऐतिहासिक डकैती में हुई कितनी लूट

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: 16 करोड़ से होते हुए दस, फिर चार करोड़ तक छपी चौक वाली डकैती : हिन्‍दुस्‍तान ने तो पहले दस करोड़ छापा, फिर सिटी में चार करोड़ पर सिमट गये : पत्रकारों ने भी इस मामले में निहायत शर्मनाक रवैया अपनाया :

कुमार सौवीर

वाराणसी : दुनिया के सर्वाधिक व्‍यस्‍त और भीड़भाड़ वाले इलाके में शुमार चौक बाजार में एक सर्राफा की दूकान में सवा महीना पहले लूटनुमा एक डकैती हुई। इसमें इतना माल लूटा गया, कि आप गिन ही नहीं सकते। लेकिन न जाने क्‍या वजह हुई कि खबर फिजां में फैलते ही उस व्‍यवसायी ने अपना बयान ही निहायत संदिग्‍ध तरीके से बदल डाला। उसके बाद प्रशासन और पुलिस ने अपना अभियान छेड़ दिया। उसमें सरकारी प्रवक्‍ता की भूमिका में खड़े दिख गयी काशी की मीडिया। इन लोगों ने सच को खोदने-कुरेदने के बजाय, पुलिस अफसरों की पिपहरी बजाना शुरू कर दिया। यही वजह है कि पुलिसवाले इस डाल से उस डाल तक ही कूदते-उछलते दिख रहे हैं और मीडिया उसके पीछे-पीछे वाह-वाही में जुटी है। उस हादसे के बाद से आज तक कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है इस वारदात को लेकर।

अब अगर आप सवालों की झड़ी लगाना शुरू करेंगे, तो फिर दीगर बात है। लेकिन सच बात तो यह है कि बनारस के एसएसपी के मालखाने की तलाशी ली जाए, तो आपको वहां छोटे-छोटे शोकेस में रखी लीद ही दिखेगी। बताया जाएगा यह लीद उस लूट की बरामदगी का सामान है। सच तो यही है कि खुद को चुस्‍त-दुरूस्‍त होने के दावे करने वाली बनारस की पुलिस उस लूट का एक बाल तक नहीं उखाड़ पायी है।

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वाराणसी

याद कीजिए। तारीख 8 अप्रैल 2017 की थी, जब यहां के चौक की इस दूकान में असलहाबंद अपराधियों ने इस व्‍यवसायी को पूरी तरह खंगाल कर लूट लिया। शुरूआत में खबर आयी कि इस हादसे में 16 करोड़ रूपयों की लूट हुई है। जाहिर है कि पूरे बनारस ही नहीं, आसपास के राज्‍यों में भी सनसनी फैल गयी। हाल ही बिहार के भभुआ में 12 लाख की लूट से सहमे वहां के लोगों ने जब बनारस की इस लूट की खबर सुनी तो वे चारों-खाने चित्‍त हो गये। उन्‍हें यकीन तक नहीं हो पाया कि ऐसी भी लूट हो भी सकती है।

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पत्रकार और पत्रकारिता

हंगामा खड़ा हो गया। इससे बड़ी ऐसी कोई वारदात कभी भी अतीत में कभी सोची तक नहीं गयी थी। जाहिर है कि पुलिस-प्रशासन ने कमर कसी, और इस घटना पर मुस्‍तैदी से कार्रवाई करने के बजाय, उसे दबाने-डायलूट करने में जुट गयी। सूत्र बताते हैं कि इन कोशिशों ने रंग लाया और चंद घंटों में ही इस व्‍यवसायी ने ऐलान किया कि यह लूट 10 करोड़ रूपयों की हुई है। प्रशासन-पुलिस की भोंपू बन चुकी मीडिया ने दस करोड़ की लूट की ढफली बजाना शुरू कर दिया।

कहने की जरूरत नहीं कि यह संख्‍या भी इतनी ज्‍यादा थी कि लोगों के कान गरम हो गये। लखनऊ की राजनीतिक और प्रशासनिक मशीनरी पर दबाव बढ़ने लगा था। तपिश काशी के प्रशासन को झुलसाने लगी, तो फिर अपना कामधाम छोड़ कर पुलिस ने फिर इस सर्राफा परिवार के नट-बोल्‍ट कसने शुरू कर दिये। और आखिरकार रात करीब 11 बजे के करीब इस सर्राफा ने यह बयान दिया कि यह लूट 10 करोड की नहीं, बल्कि महज चार करोड़ की थी।

बनारस के चौक में हुई अभूतपूर्व लूट पर हमारा प्रमुख न्‍यूज पोर्टल सतत निगरानी करने जा रहा है। हम इस पूरे काण्‍ड की सारी कडि़यों को बटोरेंगे, छानबीन करेंगे, जिसे दबाया या छिपाया गया है। जाहिर है कि पुलिस, सर्राफा के साथ ही साथ इस मामले में बनारस का पत्रकार-जगत भी शक के दायरे में है। यह अभियान श्रंखलाबद्ध प्रकाशित होगा।

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