पहले पन्‍ने पर स्‍कूप छपा, तो जातिवाद पर उतर आयीं नीरा यादव

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: सरकारी जमीन बेचकर नीरा यादव ने अरबों कमाया, रिकवरी धेला भी नहीं हुई : सीबीआई द्वारा राज्‍यपाल को भेजी गयी रिपोर्ट विजय शर्मा के हाथ लगी, फिर हंगामा हो गया :  नीरा ने आरोप लगाया कि ब्राह्मण आईएएस ने ब्राह्मण पत्रकार को मेरे पीछे लगाया है : नीरा यादव- अंतिम :

मेरी बिटिया डॉट कॉम संवाददाता

लखनऊ : यह वक्‍त था, जब यूपी में राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका था। राज्यपाल रोमेश भंडारी के हाथ में शासन की बागडोर थी। सीबीआई को नोएडा प्लाट आवंटन में ढेरों गड़बडियां मिलीं थीं। सीबीआई की शुरुआती छानबीन में नोएडा में भूखंड आवंटन में बड़े घोटाले की कहानी सही मिली। इसमे  नीरा यादव की बड़ी भूमिका रही। इस पर सीबीआई ने राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य सरकार के स्तर से दोषी नीरा यादव सहित अन्य के खिलाफ एक्शन का अनुरोध किया।

विजय शर्मा बताते हैं कि सीबीआई ने प्लांट आवंटन घोटाले की प्राथमिक जांच की जो रिपोर्ट राजभवन को भेजी थी, वह किसी तरह उनके हाथ लग गई। सीबीआई के तत्कालीन निदेशक जोगेंदर सिंह ने आठ पन्ने का वह  पत्र 16 दिसंबर 1996 को राजभवन यूपी भेजा था, जिस लेटर पर गढ़ी विजय शर्मा की स्टोरी ने तहलका मचा दिया। सात जनवरी 1997 को विजय शर्मा की पहले पन्ने पर प्रकाशित स्टोरी ने तहलका मचा दिया। इसमें लालकृष्ण आडवाणी की पत्नी से लेकर तमाम बड़े नेताओं और नौकरशाहों और उनके बच्चों के नाम नियमों को ताक पर रखकर प्लाट आवंटित करने का खुलासा था। इस स्टोरी का शीर्षक था-Neera Yadav in CBI Dragnet।

विजय शर्मा कहते हैं कि जब नीरा यादव के भूखंड आवंटन घोटाले में सीबीआई जांच में फंसने की खबर पॉयनियर में  छपी तो नीरा यादव ने प्रेस कांफ्रेंस की थी। इस प्रेस कांफ्रेंस में नीरा यादव ने अफसर की मर्यादा को ताक पर रखकर जातिवादी बातें की। बोलीं कि एक ब्राह्मण आईएएस मेरे खिलाफ यह साजिश कर रहा। उन्होने ब्राह्मणवाद को बढावा देने की बात कहते हुए खबर छपवाने का आरोप लगाया। उनका मानना था कि ब्राह्मण आईएएस ने ब्राह्मण पत्रकार के जरिए उनके खिलाफ साजिश रची। इस पर हमने प्रेस कांफ्रेंस में सवाल पूछा कि-शादी के बाद यादव होने से पहले आप किस जाति की थीं। जिस पर वह चुप हो गईं।

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नीरा यादव ने नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अपनी बेटी संस्कृति को जहां सेक्टर 44 के बी-73 और ए-32 का प्लाट सुरुचि को आवंटित किया। वहीं  नोएडा सेक्टर 44 में, प्लॉट नंबर बी-71 और ए-38 मायावती के भाई आनंद और सुभाष कुमार के नाम।  तत्कालीन केंद्रीय मंत्री राम लखन सिंह यादव की भारत इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सेक्टर 44 में बी-145 नंबर का प्लाट। प्लॉट नंबर बी-11 तत्कालीन मुख्य सचिव माता प्रसाद के बेटे अजय कुमार के नाम। प्लाट बी-55 और 44 और सेक्टर 51 में प्लाट नंबर 123 को आईएएस दंपती प्रदीप शुक्ला और आराधना शुक्ला के नाम पर आवंटित किया गया।

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इतना ही नहीं रसूखदार लोगों को नीरा यादव ने प्लाट आवंटन के लिए नायाब तरीका खोज निकाला। उन्हें किसी फर्म या दुकान के नाम पर प्लांट आवंटित किए। इसमें आडवाणी की पत्नी, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महावीर प्रसाद व हरियाणा के राज्यपाल, सीआरपीएफ के डीजी एसवीएम त्रिपाठी, पूर्व मुख्य सचिव टीएसआर सुब्रमण्यन, और गाजियाबाद तथा नोएडा के एसपी एके जैन तथा डीजे घिल्डियालय के नाम पर आवंटित किया गया।

दरअसल नीरा यादव वर्ष 1994-95 के दौरान नोएडा अथॉरिटी में चेयरमैन थीं। उन्होंने पद का दुरुपयोग कर बैक डेट में प्लॉट के लिए आवेदन किया था और उसका चेक भी बैक डेट में ही बैंक में जमा करा दिया। इसके बाद नोएडा सेक्टर-44 में प्लॉट आवंटित होने पर उसे सेक्टर-14ए में बदलवाया। जबकि लोकेशन चेंज नहीं होती। इतना ही नहीं  उसे कॉर्नर का प्लॉट बनाने के लिए सड़क भी निकलवा दी। इसके अलावा उन्होंने अपनी नाबालिग बेटी संस्कृति और सुरुचि के नाम पर दुकानें अलॉट कराईं और उन्हें दुकानों में कार्यरत दिखाकर नियम के विरुद्ध प्लॉट दिला दिए। उस वक्त संस्कृति यूएसए और सुरुचि दिल्ली के करोड़ीमल कॉलेज में पढ़ रही थी। वहीं, नोएडा प्राधिकरण के नियमानुसार परिवार के एक ही शख्स को प्लॉट आवंटित किया जा सकता है।

इसकी तमाम शिकायतें सीबीआई को मिलीं तो जांच शुरू हुई। जिसमें भारी पैमाने पर गड़बड़झाले की पुष्टि हुई। चूंकि सीबीआई की कमान ईमानदार अफसर जोगेंदर सिंह के पास रही तो रसूखदार जांच को मैनेज नहीं कर पाई। वहीं विजय शर्मा की रिपोर्ट ने मामला सार्वजनिक कर दिया। इस मामले में  गाजियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने प्लॉट आवंटन घोटाले में ही यूपी की चीफ सेक्रटरी रहीं नीरा यादव को साल 2012 में तीन साल की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई थी। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा था। जब आय से अधिक संपत्ति का मामला चला तो नीरा ने पिता की फर्जी विल लगाई, इस पर विजय शर्मा ने स्टोरी ब्रेक की। ( समाप्‍त ) (साभार इंडिया संवाद)

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