: आहत ग्रामीणों की आह पर दहकते शोले बरसा दिया डीएम शीतल वर्मा ने, बोलीं:- 70 फीसदी जंगल को काट कर कब्जाए हैं पीलीभीत के ग्रामीण : अब तक 19 लोगों को अपना निवाला बना चुके हैं बाघ : शीतल वर्मा ने तर्क नहीं, बस जन-आक्रोश की आग में पेट्रोल फेंक दिया :
कुमार सौवीर
पीलीभीत : बकलोलों की आबादी बढ़ती जा रही है जंगल वाले जिलों के अफसरों और बकवादी लफंडूसों की। कुछ बरस पहले मेकअप-गर्ल ने भी कर रखा था लखीमपुर के जंगलों में हंगामा। नतीजा यह हुआ कि पूरा जंगल महकमा ही दहल गया। मामला मुख्य सचिव तक के यहां चला। असल शिकायत यह थी कि लखीमपुर के जंगलों में रात में अफसर लोग अपने दोस्तों की टोली को लेकर रात भर हल्ला-नौटंकी, और शोर-शराबा करते हैं। बहरहाल, अब ताजा मामला पीलीभीत का है। यहां की डीएम के एक बयान से पीलीभीत में हंगामा खड़ा हो गया है। सैकड़ों ग्रामीण सड़क घेर कर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वजह है आदमखोर बाघ, जिसने अब तक 18 लोगों को अपना निवाला बना रखा है।
तो अब चर्चा खूब गर्माई हुई है कि पीलीभीत डी एम साहिबा की जुबान हो गयी है बेलगाम। डीएम शीतल सिंह है, लेकिन अपने बयानों से इस वक्त बेहाल ग्रामीणों की आह-पीड़ा पर मलहम लगाने के बजाय, दहकते शोलों की बारिश करने पर आमादा हैं। आपको बता दें कि आदमखोर बाघों को दबोचने के बजाय, इस डीएम ने कहा है कि किसानों पर हो रहे जंगली आदमखोर जानवरों मसलन बाघों द्वारा किये जा रहे हमलों के लिए खुद ग्रामीण ही जिम्मेदार हैं।
यूपी के पीलीभीत जिले में आदमखोर बाघ के आतंक से दहशत में जीने को मजबूर लोगों का गुस्सा आखिर फूट ही पड़ा। यहां के लोग पिछले दो महीने से डर के साए में जीने को मजबूर है। वन विभाग की कोशिशों के बावजूद विभाग बाघ को पकड़ने में नाकाम रहा जिसकी कीमत लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। गुस्साएं सैकड़ों लोगों ने पीलीभीत के थाना फरदिया चौराहे पर इकठ्ठा होकर हरिद्वार नेशनल हाईवे 73 पर जाम लगा दिया जिससे सड़क के दोनों तरफ वाहनों की लंबी लाइन लग गई। गुस्साएं लोगों ने वन विभाग की नाकामी के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं गुस्साएं लोगों ने बीजेपी विधायक के पोस्टर भी फाड़ डाले और बाघ को जल्द से जल्द पकड़ने की मांग की।
पीलीभीत की डी एम शीतल वर्मा से जब पत्रकारों ने सवाल किया कि इसमे वन विभाग की बड़ी नाकामयाबी है जो अभी तक बाघ को पकड़ नहीं सके हैं तो डी एम साहिबा भड़क गयीं और वनाधिकारियों को पूरी तरह से बचाते हुए बोली कि 70 फीसदी जंगल काट के किसान खेती कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें बाघ का निबाला बन ना पड़ रहा है किसानों की मौत के लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं । जिस बयान से डी एम साहिबा विवादों के घेरे में फंस गई हैं और ग्रामीण आक्रोशित हो गए हैं।
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बता दें कि ये आदमखोर बाघ अब तक करीब 18 लोगों को अपना शिकार बना चुका है। ताजा मामला अमरिया क्षेत्र के वेरी खेड़ा गांव का है जहां बाघ ने कुवरसेन नाम के युवक को अपना निवाला बनाया था। उससे पहले 7 अगस्त को पीलीभीत के जहांनाबाद इलाके के अडोली गांव में तस्लीम नाम का युवक अपने खेत में फसल को देखने गया था कि तभी अचानक बाघ ने पीछे से उस पर हमला कर दिया और मौत के घाट उतार दिया था। घटना के बाद गांव में दहशत फैल गई लेकिन बाघ का हमला जारी रहा। अगले ही दिन सरेन्दा पट्टी गांव में खेत पर गए किसान शमशुल कुछ काम कर रहा था कि बाघ ने उस पर हमला कर अपना निवाला बना लिया।
स्थानीय लोगों ने बाघ के हमले की सूचना वन विभाग को दी थी जिसके बाद वन विभाग की टीम ने बाघ को पकड़ने के लिए हथनियों की मदद ली लेकिन बाघ को पकड़ा नहीं जा सका। वहीं इस मामले पर वन संरक्षक वीके सिंह ने बताया कि बरेली, शाहजहांपुर और बदायूं से 15 सदस्यीय टीम को पीलीभीत बाघ को पकड़ने के लिए बुलाया गया था लेकिन वो भी 48 घंटे से ज्यादा का सर्च ऑपरेशन करने के बाद खाली हाथ लौट गई थी।
इधर इस बाघों के आतंक एवं वनविभाग की संवेदनहीनता पर पूर्व राज्यमंत्री हेमराज वर्मा कल से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं उन्होंने डी एम शीतल वर्मा के बयान की कड़े शब्दों में निन्दा की है और कहा है कि जब तक शासन प्रशासन द्वारा कोई स्थायी व्यबस्था नहीं की जाती वो अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे रहेंगे ।