अपहरण किया प्रेमी ने, पुलिस ने बलात्कार थोपा चाचा पर
: अडि़यल टट्टू की तरह केवल अपने तर्क पर ही खड़ी है लखनऊ की पुलिस : वायदा बार-बार किया, मगर चुपचाप चार्ज-शीट दायर कर दी अदालत में : लैला-मजनूं की सनातन कहानी की तरह ही है चारू-कांड: बहुत याद कर रहे हैं घोड़ा वाले भारती बाबा खड़क सिंह : एक मासूम बच्ची की जिंदगी तबाह, करतूतें लखनऊ पुलिस की (3)
लखनऊ: प्यार और जंग मे सबकुछ जायज है । प्यार और शारीरिक लगाव ( love & infatuation ) में बहुत बारीक फ़ासला है। प्रेमी को बचाना है तो क्यों नहीं चाचा को ही बलात्कारी बना दिया जाए। लखनउ की चारु के मां-बाप की दर्दनाक मौत सड़क हादसे में हो जाती है। चारु को उसके दादा–दादी एवं चाचा संजय प्रताप सिंह, नवल प्रताप सिंह पालते-पोसते हैं। अरे बिटिया है भाई, ख्याल चाचा नहीं तो कौन करेगा ?
लेकिन अब इसमें एक ट्विस्ट आ जाता है। चारु जहां पढती है क्रियेटिव कालेज में वहां एक लडका विमल यादव भी पढता है। चारु को विमल भा जाता है और शुरु हो जाती है दास्तान-ए-लैला–मजनू । विमल पर आरोप है कि उसे पूर्व में एक कालेज अवध कालेज से निष्कासित किया जा चुका है। कारण जैसा बताया जाता है उसका चाल-चलन गड़बड़ है। खैर, प्यार यह सब कहां देखता ? चारु विमल के प्यार में दीवानी है। अब भला इश्क और मुश्क कहीं छुपाये छुपते हैं ?
घरवालों को पता चलता है। चारु के अभिभावक कालेज में शिकायत करते हैं। विमल की पिटाई भी होती है, हाथ टूट जाता है। उसे कालेज से निष्कासित कर दिया जाता है। लेकिन वह प्यार, प्यार ही क्या जो सर चढ़ कर न बोले। आते-जाते रास्ते में मुलाकात होती है। घरवाले कोई रास्ता न देखकर चारु को घर पे ही रखकर पढा़ने का फ़ैसला करते हैं। चारु की पढाई प्यार की वेदी पे कुरबान हो जाती है। घर में पाबंदी लग जाने के बाद चारु और विमल हमेशा के लिये एक-दूजे के हो जाने का निश्चय करते हैं और चारु सब्जी लाने के बहाने घर से निकल जाती है। विमल उसे अपने घर लाता है।
मामला पुलिस के पास पहुंचता है। गुमशदगी की रिपोर्ट चारु के चाचा दर्ज कराते हैं। चारु को विमल के घर से बरामद किया जाता है। थाने मे पूछताछ होती है। मेडीकल होता है। चारु सेक्स की अभ्यस्त ( habitual ) पाई जाती है। आरोप है कि छह दिन थाने मे रखने के बाद चारु को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाता है। धारा १६४ के तहत बयान के लिये । “ प्यार और जंग में सब जायज है“। अपने प्यार से जुदा चारु मजिस्ट्रेट के सामने बयान देती है कि उसके चाचा नवल सिंह ने उसके साथ बलात्कार किया है। चाचा जेल भेज दिये जाते हैं।
इस पूरे मुकदमे ने मुझे सोचने के लिये बाध्य कर दिया कि रेप के कानून के दुरुपयोग का इससे भी बड़ा उदाहरण क्या कुछ हो सकता है ? अब चारु बयान दे रही है कि वह बदहवास थी, इसलिये मजिस्ट्रेट के सामने गलत बयान दे दिया। वाह साहब वाह। लेकिन क्या वह न्यायिक मजिस्ट्रेट भी बदहवास था जो चारु की मनोदशा को नहीं समझ पाया ? मजिस्ट्रेट को अगर आभास होता कि लड़की पूरे होश-ओ-हवास में बयान नहीं दे रही है तो उसका बयान नहीं दर्ज करता। मजिस्ट्रेट को पता था लडकी यानी चारु पूरी तरह सोच–समझ कर बयान दे रही है। चारु की बातें खुद में विरोधाभाषी हैं। सवाल तो यह है कि जब अपहरण विमल यादव ने किया तो चाचा ने रेप कैसे किया ? चाचा के घर में तो वह नहीं रह रही थी। फ़िर चाचा को जरुरत क्या थी विमल यादव के खिलाफ़ कालेज में शिकायत दर्ज कराने और चारु को स्कूल छुड़वाने की ?
कुछ भी हो, आपने बाबा भारती का घोड़ा वाली कहानी तो खूब पढ़ी-सुनी होगी ना। ऐसे मामलों में बाबा खडक सिंह जी, आप बहुत ज्यादा याद आते हैं।
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( गया, बिहार के वरिष्ठा अधिवक्ता हैं मदन तिवारी। श्री तिवारी ने लखनऊ के चारू-कांड की बारीकियों को खूब विजुलाइज किया। दरअसल, मदन तिवारी ऐसे पेंचीदा किस्म के कानूनी मसलों में अपनी कलम-कूंची चलाने में माहिर हैं। आम आदमी की लड़ाई को वे खूब समझते और निपटाते भी हैं। उनसे मोबाइल 08797006594 पर सम्पर्क किया जा सकता है।)