: काशी के ढाबों में औरतें चुनावी बहस नहीं करतीं : सड़कछाप गालियों की होल-सोल से लेकर फुटकर बिक्री का सबसे बड़ी मंडी है काशी की अस्सी : बनारस के लतिहड़ों का अड्डा है पप्पू का होटल :
कुमार सौवीर
वाराणसी : इस चुनाव ने साबित कर दिया कि मोक्ष दिलाने वाली काशी में उबलते दूध सरीखे युग तक पहुंच चुका है मीडिया। और इसमें टीवी चैनलों ने तो गजब ही नंगई का प्रदर्शन करने में बाजी मार लेने की होड़ मचा रखी है। विगत 7 मार्च की रात को इंडिया-टीवी ने जिस तरह भाजपा और मोदी की तारीफ के लिए सारे घोड़े खोल दिये, उसने पत्रकारिता की भूमिका और उसकी कार्य-शैली पर ही एक गम्भीर सवालिया निशान लगा दिया है। कहने की जरूरत नहीं कि इंडिया-टीवी के मालिक रजत शर्मा इस वक्त पत्रकार के तौर पर नहीं, बल्कि खुद को मोदी के बेहद करीबी पत्रकार की पहचान हासिल कर चुके हैं।
कल रात रजत शर्मा के इसी इंडिया-टीवी चैनल ने काशी के अस्सी चौराहे पर बनी चाय की पप्पू की दूकान पर अपना कार्यक्रम शुरू किया। वैसे तो इस कार्यक्रम में और कोई खासियत नहीं थी। देखने वाले तो इस कार्यक्रम को चैनली कार्यक्रम के तौर पर ही देख रहे थे। लेकिन सच यह रहा कि इस कार्यक्रम ने बनारस में होने वाली बकलोली के अड्डों को कलंकित कर दिया।
इस कार्यक्रम की शुरूआत देखते ही लोगों को समझ में आ गया कि यह समाचार नहीं, बल्कि भाजपा का खुला नंगा-नाच ही था। वजह यह कि इस कार्यक्रम में महिलाओं की सहभागिता। इस चैनल ने अपने इस कार्यक्रम में पप्पू की दूकान में बैठी दो महिलाओं से इस चुनाव पर बातचीत शुरू की, तो बात छूटते ही इन महिलाओं ने साफ ऐलान कर दिया कि यह चुनाव तो मोदी की गोद में किसी पुष्प-गुच्छ यानी गुलदस्ते की तरह पहुंचने जा रहा है।
हैरत की बात है कि केवल पप्पू की दूकान ही नहीं, चौपाल का पर्याय बनने माने वाली बनारस की किसी भी अड़ी या होटल में चुनावी चर्चा वाले सार्वजनिक झुण्ड में महिलाओं का प्रवेश और उस पर प्रतिभाग करने की कोई परम्परा ही नहीं है। शहर के जाने-माने लेखक त्रिलोचन शास्त्री बताते हैं कि बनारस ने सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं को बहस-मुबाहिसा की कोई भी लकीर-डगर आज तक खींची ही नहीं है। त्रिलोचन साफ कहते हैं कि जो भी महिला आजकल खुद का चुनाव का प्रचार कर रही हैं, वे स्पष्टत: भाजपा-मानसिकता से ओतप्रोत हैं।
दैनिक जागरण के सुधीर दुबे को आज तक याद नहीं आता कि अस्सी वाले पप्पू की दूकान में तो दूर, किसी अड़ी-चौपाल तक में कोई भी महिला ने चुनावी चर्चा की सहभागिता की हो।
लेकिन इसके बावजूद इंडिया-टीवी की रूचि कुमार ने पप्पू की दूकान में दो महिलाओं को बेहद आश्चर्यजनक अंदाज में चुनावी चर्चा में पप्पू की दूकान में बिठा दिया। कहने की जरूरत नहीं कि इन महिलाओं ने भाजपा की जीत का ऐलान ही कर दिया।
कहने की जरूरत नहीं कि चाहे वह पप्पू की दूकान हो, या फिर काशी की किसी भी गली-चौराहे के होटलों पर जमने वाली चौपाल नुमा अड़ी, वहां नंगी गालियों से ही आचमन होता है और उसकी हर धड़कन से होते ही उसके त्रयोदशी कर्मकांड को भी अनिवार्य रूप से गालियों से ही समाप्त किया जाता है।