: विगत 7 मार्च को आतंकी की हुई घेराबंदी को सनसनीखेज बनाने के लिए चैनल ने किया कमाल : पुलिस का दावा है कि कुल 90 गोलियां दागी गयीं, मगर चैनल हर क्षण दगाता ही रहा दनादन गोलियां : मजाक बन गयी चैनल की विश्वसनीयता :
कुमार सौवीर
लखनऊ : आप को यह जानकर हैरत होगी कि अगर कोई आपात हालत आ जाए, तो पुलिस से ज्यादा गोलियां चलाने का जिगरा-माद्दा पत्रकारों में होता है। पुलिस की इतनी औकात नहीं हो पायी कि वह पत्रकारों से ज्यादा गोला-बारी बरपा सकें। अब यह दीगर बात है कि पुलिस की बंदूकों से निकलने वाली सारी गोलियां ज्यादातर निशाने पर ही लगती हैं, और सरकारी दस्तावेजों पर ऐसी हर गोला-बारूद का बाकायदा हिसाब रखा जाता है। मगर पत्रकारों की ऐसी फायरिंग में आवाज तो खूब निकलती है, लेकिन ऐसी आवाजें केवल सिर्फ सुनायी जाती हैं, हकीकत में ऐसा होता नहीं है। कारण यह कि ऐसे पत्रकारों की ऐसी गोलियां केवल जुबानी और कागजी ही होती हैं।
लखनऊ में यही तो हुआ। ठाकुरगंज इलाके में बनी हाजी कालोनी में बीते मंगलवार सात मार्च की दोपहर के बाद यूपी पुलिस की आतंकवादी विरोधी सेल यानी एटीएस की एक टीम ने एक मकान को घेर लिया था। हुआ यह कि पिछले कई महीनों से यूपी एटीएस टीम देश और प्रदेश में चल रही खतरनाक आतंकवादी गतिविधियों पर सघन निगरानी कर रही थी। अचानक कल मध्य प्रदेश में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में हुए हादसे को लेकर जुटी एमपी एटीएस ने यूपी एटीएस टीम को एक आतंकवादी के लखनऊ में होने की पुख्ता जानकारी दी। यह खबर मिलते ही यूपी एटीएस ने इस हाजी कालोनी में उस मकान को घेर लिया। एटीएस चाहती थी कि वह उस आतंकी को जिन्दा पकड़े, लेकिन आतंकी इस बात पर आमादा था कि वह जान दे देगा, मगर पुलिस के हाथों नहीं चढ़ेगा। इसके लिए उसने पुलिस पर फायरिंग करना शुरू कर दिया।
जाहिर है कि पुलिस ने भी पहले तो फायरिंग शुरू की, फिर मिर्चा-बम फोड़ दिया। बाद में अपुष्ट खबरों में आया कि पुलिस ने इस कवायद में 90 राउंड गोली चलायी थी।
मगर नेशनल वायस नाम के एक चैनल ने तो गोलियां चलाने में पुलिस तक को कोसों-योजनों दूर तक पिछाड़ दिया। इस पूरे मामले की कवरेज के दौरान इस चैनल ने उसे इतना सनसनीखेज बताया कि रिपोर्टर की आवाज के बजाय केवल धांय-धांय ही गूंजता रहा। हैरत की बात है कि इस चैनल ने यह तक देखने-समझने की कोशिश नहीं कि इस पूरे प्रकरण पर पुलिस उस आतंकी को पकड़ने की ही अथक कोशिश कर रही है, जाहिर है कि इस प्रक्रिया में गोलियां कम से कम ही दागी जाती हैं। लेकिन यह चैनल की प्रस्तुतिकरण में केवल धांय-धांय ही करता रहा।
कहने की जरूरत नहीं कि ऐसी अहकमाना करतूतों से मजाक तो बनना ही है, चैनल की विश्वसनीयता भी दांव पर लग जाती है।