मुझे मंजूर है चंद्रकला की चुनौती। बोलो, कितने शोहदे-गुण्‍डे पाले हो तुम ?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

हरकत तो करे कोई, टांगे तोड़ दूंगा। भले वो तुम हो, या फिर तुम्‍हारा माफिया
ऐलानिया बोल रही है:- मेरे पास हैं ऐसे लोग, औरतों पर ऐसे हमले करने के लिए 
बहुत जल्दी पिचका चंद्रकला का गुब्बारा। मैडम तुमने पत्रकार नहीं देखे, आज देखो


कुमार सौवीर
लखनऊ: पिछले तीन दिनों से एक बड़ा मौजू शेर जेहन में खनखना रहा है। इसके बोल हैं:-
” कितने कमजर्फ हैं ये गुब्‍बारे, चंद सांसों में फूल जाते हैं,
और बेवकूफ जब उरूज पाते हैं, तो अपनी औकात भूल जाते हैं। “
खैर। शेर-शायरी का क्‍या मतलब इस वक्‍त। यह मौका तो बुलन्‍दशहर की डीएम बी चंद्रकला का। उन्‍होंने एक पत्रकार को धमकी दी है। दरअसल, यह पत्रकार डीएम चंद्रकला से पक्ष जानना चाहता था कि एक युवक द्वारा सेल्‍फी लेने पर जेल भेजने का औचित्‍य क्‍या था। लेकिन इस बात पर ही चंद्रकला हत्‍थे से ही उखड़ गयीं। बोलीं, कि तुम्‍हारे घर भी तो बहनें हैं, भिजवा दूं कई लोगों-शोहदों को जो तुम्‍हारी बहनों की सेल्‍फी लें।
अरे कम्‍माल है। गजब है यार। सुना आपने उस पत्रकार से चंद्रकला से हुई बातचीत वाला टेप। अरे वायरल हो चुका है दोस्‍त वह टेप। इसमें सारी सीमा लांघने का पूरा भूगाेल दर्ज है, जिसमें एक महिला और एक जिलाधिकारी जैसे जिम्‍मेदार ओहदे पर बैठ कर यह चंद्रकला ने ऐसे कितने गंदे भाव-सिक्‍त शब्‍दों से जवाब दिया उस पत्रकार को। धत्‍त तेरी की। न महिला होने का अहसास और न ही डीएम-गिरी के दायित्‍वों का भान। शब्‍द और लहजे ऐसे मानो कोई सड़कछाप गुण्‍डा-माफिया-बाहुबली किसी शरीफ की मां-बहन करने पर आमादा हो। मुझे तो वह बातचीत सुन कर शर्म आने लगी, लेकिन हैरत की बात है कि चंद्रकला को यह सब बोलने में शर्म भी नहीं आयी।
हैरत की बात है कि उस बातचीत में बी चंद्रकला ऐसे गुर्रा रही हैं, जैसे हर किसी को चबा लेगी। दैनिक जागरण के पत्रकार की तो मैं बहुत तारीफ करना चाहता हूं कि उसने उस काण्ड पर आधिकारिक पक्ष जानने के लिए जब फोन किया तो वह पूरे दौरान बेहद सौम्य और शालीन ही रहा। अपनी डीएम गिरी में बावली चंद्रकला लगातार उसकी मां-बहन को लेकर अभद्रता करती रही, धमकी देती रही, लेकिन यह पत्रकार संयत रहा। ऐसा एक भी यही अंदाज उसने ऐसा नहीं प्रदर्शित किया, जिससे किसी को आपा खोने का मौका मिल सके। लेकिन अपने मधान्‍धता-नुमा अभद्रता में चूर उस महिला ने सारी सीमाएं ही तोड़ दीं।
उस पत्रकार की जगह मैं होता, तो यकीन मानिये, मैं बहुत पहले ही चंद्रकला को उनकी सीमा बता चुका होता। ठीक उसी शैली में, जैसे चंद्रकला ने किया। मैं सीधे-सपाट शब्दों में कह देता कि, “अगर तुम जिलाधिकारी हो और तुम अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल करते हुए किसी के साथ भी अभद्रता कर सकती हो, तो मैं भी अपनी सीमाएं लांघने को तैयार हूं मैडम। अंग्रेजी तो जानती हैं ना आप। टिट फॉर टैट। “
चूंकि वह पत्रकार बहुत सीधा और शायद थोडा डरपोक भी रहा होगा, इसलिए वह चंद्रकला की चुनौती पर दुम दबा कर किसी कोने में दुबक गया होगा। लेकिन कोई बात नहीं। अब मैं सोच रहा हूं कि चंद्रकला द्वारा की गयी धमकी को कुबूल कर ही लूं। लेकिन इसके पहले एक लाठी खरीदूं और उस पर तेल पिला कर मजबूत करूं। साथ ही किसी अखाड़े जा कर मैं दण्‍ड पेलना का अनुभव ले लूं। न जाने कब चंद्रकला के गुण्‍डे-माफिया-शोहदे मेरी कालोनी-मोहल्‍ले की बच्चियों-महिलाओं की सेल्‍फी लेने के नाम पर अभद्रता करना शुरू कर दें। ऐसे में कम से कम मैं ऐसे डीएम के पाले हुए गुण्‍डों का मुकाबला तो कर सकूंगा।
लेकिन पाठक-भाइयों। आप लोगों से भी एक चिरकुट गुजारिश है मेरी। वह यह कि अगर मैं चंद्रकला के पालतू गुण्‍डों-माफियाओं- शोहदों से हार गया और पिट गया, तो घर-अस्‍पताल और दूध-हल्‍दी का खर्चा तुम लोग उठा लेना। सुना है कि चोटहिल शरीर के लिए हल्‍दी मिला गुनगुना दूध फायदेमंन्‍द होता है।
बोलो ना, उठा लोगे ना?

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