: अब तो बकवादी खबरों के लिए कुख्यात थे हिन्दुस्तान अखबार के पत्रकार, अब उसके समूह सम्पादक भी लपेटे में आये : अपने जवानों को तीखे सवालों से लैस कराने का जिम्मेदार सेनाध्यक्ष भी जब मारक अस्त्र के बजाय फुलझड़ी की लडि़यां लेकर रण में कूद पड़ा : वाकई बदल रहा है हिन्दुस्तान अखबार का चरित्र-तीन :
कुमार सौवीर
लखनऊ : सब को पता होता है कि आइसक्रीम बेचने वाला कोई भी बिक्रेता बिना बर्फ की मौजूदगी के, अपनी आइसक्रीम को नहीं बेच सकता है। यानी उसे अपने ठेले के भीतर चारों ओर खूब कुटी हुई बर्फ की सख्त जरूरत होती है। लेकिन आप बर्फ को लेकर अपनी केवल इसी जानकारी के आधार पर यह कैसे कल्पना कर सकते हैं कि वह आइसक्रीम बेचने वाला व्यक्ति उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव की पारिस्थिकीय समीकरणों का ककहरा तक जान समझ लेगा। लेकिन हिन्दी के बड़े अखबार हिन्दी के हिन्दुस्तान अखबार के समूह सम्पादक ने इस ज्ञान को सार्वजनिक कर दिया। यह भी साबित कर दिया कि अगर मौका मिला तो शशि शेखर जैसे बड़े सम्पादक किसी आइसक्रीम बिक्रेता से यह सवाल जरूर पूछ लेंगे कि:- “उत्तरी ध्रुव के सफेद भालुओं में सेक्स-रेशियो क्या है?”
ठीक इसी तर्ज पर शशि शेखर ने अपने हिन्दुस्तान अखबार में अपने राजनीतिक सम्पादक निर्मल पाठक के साथ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से पूछ लिया है। यह जानते हुए भी कि रविशंकर प्रसाद केंद्रीय सरकार में कानून और सूचना तकनॉलॉजी जैसे विभाग ही सम्भाल रहे हैं, इन बड़े सम्पादकों ने रविशंकर से पूछ लिया कि उरी हादसे के बाद बदले हालातों में क्या प्रधानमंत्री सार्क सम्मेलन के लिए इस्लामाबाद नहीं जाएंगे। इतना ही नहीं, शशि शेखर ने यह तक सवाल पूछ लिया कि दिृपक्षीय वार्ता का क्या भविष्य होगा। शशि शेखर ने रविशंकर प्रसाद से उचक कर पूछ लिया कि बलूच नेताओं को क्या भारत में राजनीतिक शरण दी जाएगी।
हैरत की बात है कि देश के इस सर्वाधिक सम्मानित माने जाने वाले अखबारों में प्रमुख स्थान रखने वाले हिन्दुस्तान में इंटरव्यू के नाम पर इस तरह का माखौल पूछा, छापा, दिखाया और पढ़ाया जा रहा है। यह वाकई एक हैरतअंगेज बदलाव हो रहा है हिन्दुस्तान टाइम्स समूह के चरित्र में। इसके पहले ऐसी कोई भी हरकत उसके कुछ रिपोर्टर और कुछ स्थानीय सम्पादक करते दिख जाते थे, लेकिन यह पहला मौका है कि इस अखबार के समूह सम्पादक और राजनीतिक सम्पादक जेसे अहम पद पर आसीन शख्स पत्रकारिता का बंटाधार करने पर आमादा हों
www.meribitiya.com ने जब इस बारे में छानबीन शुरू की तो पता चला कि गजब कर दिया था इन दोनों सम्पादकों ने। पिछले 26 सितम्बर-16 को अपने सम्पादकीय पृष्ठ पर पूरे एक पन्ने का स्थान इन सम्पादकों ने रविशंकर को समर्पित कर दिया है। और हैरत की बात रही कि इस पूरे इंटरव्यू के पहले सवाल में ही माखौल नुमा सवाल उठा दिया, जिसका रविशंकर प्रसाद के विभागों से कत्तई सम्बन्धित नहीं था। इन सम्पादकों का पहला सवाल था कि:- “उरी हादसे के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई का जबर्दस्त दबाव है। सरकार के पास क्या विकल्प है।”
देखा न यह मजाक। कानून और सूचना तकनॉलॉजी विभागों का जिम्मा सम्भाले रविशंकर प्रसाद से कश्मीर और उरी हादसे के बाद उपजे हालातों से निपटने का रास्ता है। आपको नहीं लगता है कि यह सवाल इन सम्पादकों को सीधे गृह मंत्री, रक्षा मंत्री या विदेश मंत्री से पूछना चाहिए, बजाय इसके कि कानून या सूचना तकनॉलॉजी मंत्री से। लेकिन यह सवाल पूछ लिया गया। ठीक उसी तर्ज पर, जैसे किसी आइसक्रीम का ठेला चलाने वाले बिक्रेता से यह सवाल पूछ लिया जाए कि:- “उत्तरी ध्रुव के सफेद भालुओं में सेक्स-रेशियो क्या है?” (क्रमश:)
लेकिन असली सवाल अभी बाकी है। उसे पढ़ने के लिए कृपया निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:-दैनिक हिन्दुस्तान जी! राम नाम सत्त है