पत्रकारिता दिवस: दैनिक भास्‍कर वालों को पटक के जूतों से पीटो

बिटिया खबर

: अपने समूह संपादक की आत्‍महत्‍या को हार्ट अटैक लिख कर झूठा प्रचार किया भास्‍कर ने : क्षमा याचना के बजाय हिन्‍दी पत्रकारिता दिवस को इसी दैनिक भास्‍कर नेशर्मनाक तरीके से विश्‍वसनीयता और नैतिकता का डंका पीटा : हाईकोर्ट भी ने भास्‍कर को आड़े हाथों लिया :

कुमार सौवीर

लखनऊ : 12 जुलाई-17 की रात को एक बड़े अखबार के समूह संपादक कल्‍पेश याग्निक ने अपने दफ्तर की तीसरी छत से कूद कर आत्‍महत्‍या कर ली थी। पोस्‍टमार्टम में पाया गया कि दफ्तर से काफी ऊंचाई से गिरने के चलते कल्‍पेश याग्निक के सिर ही नहीं बल्कि, शरीर की कई हड्डियां भी बुरी तरह टूट गयी थीं। इस घटना को देश के सारे समाचार संस्‍थानों ने प्रमुखता के साथ छापा। कई अखबारों ने तो इस घटना को अपने पहले पन्‍ने में जगह दी। लेकिन खुद को हिन्‍दी बेल्‍ट का सबसे बड़े अखबार का तमगा टांगने वाले दैनिक भास्‍कर ने इस घटना को सरासर झूठ का मुलम्‍मा चढ़ा कर पेश किया। तीसरी मंजिल से हुई इस घटना को दैनिक भास्‍कर ने लिख मारा कि कल्‍पेश याग्निक को कार्याधिक्‍य के चलते दफ्तर में ही हार्ट अटैक हो गया था और तत्‍काल ही अस्‍पताल पहुंचाये गये कल्‍पेश याग्निक को डॉक्‍टरों के भरसक प्रयासों के बावजूद बचाया नहीं जा सका। नतीजा यह हुआ कि कल्‍पेश याग्निक की हृदयाघात के चलते मौत हो गयी। दैनिक भास्‍कर की इस करतूत की सुनवाई करते वक्‍त इंदौर हाईकोर्ट के जज ने इस अखबार पर मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि उक्त अखबार की विश्वसनीयता नहीं बची है।
लेकिन अपनी करतूत पर क्षमा याचना करने के बजाय हिन्‍दी पत्रकारिता दिवस को इसी दैनिक भास्‍कर ने बेहद शर्मनाक तरीके से पूरे देश को अपनी तथाकथित विश्‍वसनीयता और नैतिकता का डंका पीटा और इस मौके पर पूरे देश को हिन्‍दी पत्रकारिता पर बधाई दे डाली है।
पत्रकारिता जगत में हुई किसी घटना को कोई भी समाचार संस्‍थान अपने-अपने स्‍वार्थों के चलते तोड़-मरोड़ देता है। लेकिन अपने ही संस्‍थान में समूह सम्‍पादक की मौत को सरासर झूठ में लपेट कर पेश करने का तरीका अगर शायद ही किसी ने संस्‍थान ने किया होगा। मगर दैनिक भास्‍कर ने तो अपने ही समूह संपादक की मौत की खबर को जिस तरह अपने अखबार में छापा है, वह इस अखबार के शातिराना अंदाज, झूठ और अपने दायित्‍वों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि पत्रकारिता के मूल्‍यों को बुरी तरह रौंद देता है। शर्मनाक तो यह भी है कि इसी अखबार ने विगत 30 मई को हिन्‍दी पत्रकारिता दिवस के मौके पर जो स्‍लोगन-फोटो जारी किया है, वह वह साबित करता है कि दैनिक भास्‍कर ने हिन्‍दी पत्रकारिता के मूल्‍यों पर बेशर्म अट्ठहास कर डाला है।
लेकिन दैनिक भास्‍कर ने इस घटना को अपनी कमीनगी का खुला प्रदर्शन किया। भास्‍कर ने अपने अखबार में लिखा कि कल्पेश याग्निक रोज की तरह अपने दफ्तर में काम कर रहे थे। काम के दौरान 10 बजे के करीब उन्हें हार्ट अटैक आया। जिसके बाद उन्हें तुंरत अस्पताल ले जाया गया। जहां रात 2 बजे डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों की टीम का कहना है कि कल्पेश याग्निक को इलाज के दौरान दूसरा अटैक आया। लगातार दो अटैक आने से उनके बच पाने की संभावना कम थी। उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार सुबह 11 बजे इंदौर में साकेत नगर स्थित उनके निवास से तिलक नगर मुक्तिधाम पहुंची। जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
लेकिन यह जानते हुए किसी भी किसी भी बड़े नेताओं ने दैनिक भास्‍कर के दावे पर झूठ का ठप्‍पा लगा दिया। शर्मनाक तो यह भी रहा कि भाजपा के बड़े नेताओं ने इस घटना की तह तक जाने और पुलिस-प्रशासन से सचाई जानने की या तो कोई सूचना भी नहीं मांगी या उसे पूछने की जरूरत ही नहीं समझी। तब भी तो ऐसा हुआ क‍ि देश के गृहमंत्री अमित शाह और एमपी के मुख्‍यमंत्री तक ने इस घटना पर भास्‍कर की करतूत समझने के बजाय झूठ बोल दिया। बड़े नेताओं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने ट्वीट किया- “दैनिक भास्कर के समूह संपादक कल्पेश याग्निक जी के निधन की दुःखद सूचना प्राप्त हुई। कल्पेश जी ने पत्रकारिता के क्षेत्र में उच्च आदर्श स्थापित किए, उनका निधन एक अपूरणीय क्षति है। मैं उनके शोकाकुल परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं वक्त करता हूं।” राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, “कल्पेश याग्निक की आसमयिक मृत्यु से दुख पहुंचा। उनके परिवार और दोस्तों के लिए मेरी हार्दिक संवेदना।”
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि बेबाक लेखन के पर्याय वरिष्ठ पत्रकार कल्पेश याग्निक को श्रद्धांजलि। राष्ट्रभक्ति के दृढ़ संकल्प से सिंचित प्रखर विचारों से आप हमारे ह्रदय में अमर रहेंगे। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और परिजनों को पीड़ा की इस घड़ी में संबल प्रदान करें।
अब देखिये कि इस घटना को दैनिक भास्‍कर ने किस तरह झूठ परोस कर कितना बडा नैतिक अपराध किया था। दैनिक भास्कर ने लिखा है कि उसके समूह संपादक कल्पेश याग्निक का गुरूवार देर रात 2 बजे निधन हो गया। कल्पेश याग्निक को रात करीब 10 बजे दफ्तर में काम के दौरान दिल का दौड़ा पड़ा, जिसके बाद उन्हें इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। करीब साढ़े तीन घंटे डॉक्टरों की टीम ने उनका इलाज किया, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। शुक्रवार को इंदौर में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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