अतिथियों को भोजन जूठे बर्तनों को चाट-चाट कर। यह सुन्‍नत नहीं, घृणास्‍पद है

बिटिया खबर
: महाराष्‍ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में फैले एक मुस्लिम समुदाय की परम्‍परा : गुरैनी मदरसा ने इसे गैर-शरीयत करतूत बतायी : डॉक्‍टरों के हिसाब से तो यह खतरनाक कृत्‍य :

कुमार सौवीर
लखनऊ : हिन्‍दुस्‍तान में मेहमान को भगवान का दर्जा दिया जाता है। अतिथि देवो भवः तो भारत का आदर्श वाक्य है। हमारे यहां मेहमाननवाजी की परम्परा विरासत के तौर पर है, जिसे हम भगवान की सेवा कर रहे हों। जैसे सुन्‍नत। हम न तो किसी मेहमान को दुत्‍कारते हैं, और न ही उसे भूखा छोड़ता हैं। उसे बेइज्‍जत करना तो दूर की बात है। लेकिन इसके बावजूद कुछ ऐसी घटनाएं हो ही जाती हैं, जिन्‍हें देख-सुन कर जी घिन्‍ना जाता है। मगर हैरत की बात है ऐसी हरकतें करने वाले समुदाय के लोग इसे अपनी सुनहरी परम्‍परा के तौर पर अपनी पीठ ठोंकते रहते हैं। ऐसा ही एक वीडियो हमारे एक मित्र ने हमें भेजा तो हम दहल गये। आप भी देखिये इस परम्‍परा और उसके अनुयाइयों की हरकतों को।
यह संभवतः गुजरात, महाराष्‍ट्र और कुछ दक्षिण में बसी मुसलमानों की वह जमात-सम्प्रदाय है, जो अन्न-अनाज को किसी भी कीमत पर नष्ट नहीं करना चाहता। उसके आखिरी छोटे-सूक्ष्म तक टुकड़े को इस्लाम के अनुयायियों के लिए सुन्नत मान लिया है। हिंदुओं में भी कई लोग ऐसा ही करते हैं, ताकि अन्न का अपमान न हो। मैं भी अपनी उंगलियां ही नही, अपनी थाली भी अपनी जीभ से चाट डालता हूँ। मकसद यह कि खाना खिलाने वाले के प्रति सम्मान का भाव बना रहे। यह अन्न के सम्मान का भाव है। जिसका अर्थ उच्च है। सर्वोच्च है। लेकिन यह कर्म जब एकसाथ होता है तो घृणित हो जाता है। जो यहां इस वीडियो में दिख रहा है।
इस परम्‍परा का मकसद अनाज से जुड़ी सुन्नत का है। सुन्नत यानी पवित्र परंपरा। जिसके अल्लाह की दी गई चीज को सहेजने की बात है। इसी बहाने वे अपने समुदाय में एकजुटता बनाये रखते हैं। लेकिन बाकी के लोगों के लिए यह घिनौनी बात है। यहां यह लोग अपनी नहीं, पूरी जमात की झूठी प्‍लेट्स को धो नहीं रहे हैं, बल्कि अपनी जुबान और उंगलियों से चाट कर अगले खाने वाले लोगों की प्लेट को चाट कर सुन्नत कर रहे हैं।
लखनऊ के एक व्‍यवसायी मोहम्‍मद इजराइल का दावा है कि यह मुम्‍बई में बसे एक समुदाय की परम्‍पराओं का नजारा है। उधर लखनऊ हाईकोर्ट के अधिवक्‍ता मोहम्‍मद असलम खान इस हरकत को बेहूदा करार देते हैं। उनका कहना है कि इस्‍लाम में अन्‍न का सम्‍मान सर्वाधिक दिया गया है। हुक्‍म है कि अपनी प्‍लेट पर कोई भी अन्‍न मत छोड़ा जाए। इसके लिए अपनी थाली को चाटने की सलाह है। लेकिन दूसरों की छोड़ी गयी जूठी थालियों को सामूहिक रूप से उंगलियों और जीभ से चाट कर साफ करने की हरकत बेहद शर्मनाक है, और साबित करती है कि इन लोगों में इंसानियत का कोई रिश्‍ता ही नहीं बचा है।

अगर आप इस खबर में बतायी गयी वीडियो को देखना चाहें, तो कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
क्‍या इससे भी बुरा घिनौना हो सकता है

हमने इस बारे में पूर्वांचल के प्रमुख गुरैनी मदरसा के डिप्‍टी नायब मौलाना अबू बकर भी इस बारे बातचीत की। पेश है मौलाना अबू बकर की इस मसले पर दो-टूक राय।
हमने इस परम्‍परा को डाक्‍टरी नजरिये से छानबीन करने की कोशिश की है। लखनऊ के गवर्नमेंट होम्‍योपैथी मेडिकल कालेज के वरिष्‍ठ शिक्षक प्रोफेसर एसडी सिंह भी इस मामले एक एक खतरनाक तथ्‍यों का खुलासा कर रहे हैं:-
यह वीडियो वाकई दिल दहलाने और उबकाई लाने वाले है। थियोलॉजी पर गम्‍भीर काम कर चुके दिव्‍यरंजन पाठक का कहना है कि कई समुदाय ऐसे हैं, जहां गरीबी के बदतर हालात में ऐसी परम्‍पराएं पनपी हैं। इतना ही नहीं, कई समुदायों के बारे में तो यही बात आम तौर पर कही जाती है कि वे अपने मेहमानों को परोसने वाले भोजन को थूक कर ही पेश करते हैं। इसका इलाज केवल ऐसे समाज में शिक्षा और जीवन-शैली में बढ़ाने से ही मुमकिन हैं। बहरहाल, इस वीडियो को देख कर सामुदायिक दूरी भी बेहद बढ़ सकती है, जिसका सीधा असर परस्‍पर मेल-जोल पर ही पड़ेगा। और रहीम कहते हैं-रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून। प्रेम का धागा तोड़ने पर गांठ पड़ ही जाती है। हमें नहीं भूलना चाहिए कि कोई भी मेहमान वाकई देवता ही होता है। तो यह रही घिनौनी कुरीतियों और हरकतों पर बातचीत। अगली बार हम फिर हाजिर होंगे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *