: लखनऊ हाईकोर्ट की एक इजलास में हुआ हादसा : बार एसोसियेशन बौखलायी, गैर-सदस्य से माफी मंगवायी : मेंशन की आपाधापी में कोई अंगुलि-कर्म कैसे कर पायेगा, मामला अबूझ : युवक वकील हतप्रभ, महिला वकील बोली कि यह अंगुली का मामला : बेअंदाज होती जा रही है वकीलों की गुंडागर्दी, अराजकता जज के सामने तक :
कुमार सौवीर
लखनऊ : कितनी हैरत और शर्म की बात है कि न्याय-परिसर के मुखिया के दफ्तर में वकीलों का झुंड हुड़दंग करना शुरू करते हुए एक पुलिस अधिकारी को बुरी तरह झपडि़या और लतिया दे। घटना के अनुसार सीतापुर के पुलिस कप्तान रहे प्रभाकर चौधरी वकीलों के एक बवाल-झंझट को निपटाने के लिए जिला जज के कमरे में पहुंचे। साथ में उनका पीआरओ और दीगर पुलिसवाले भी आये। अपनी कुर्सी पर जिला जज बैठे थे, बगल में एसपी बैठ गये। कमरे में जबर्दस्त भीड़ घुसी हुई थी। अचानक कुछ वकीलों ने पुलिस अधीक्षक के पीआरओ इंस्पेक्टर को जूतों, लातों और थप्पड़ों से पीटना शुरू कर दिया। जिला जज अपने आसन पर बैठे रहे, और वकील और उनके उपद्रवी वकील-नेता लगातार गुण्डागर्दी करते रहे। पुलिस अधीक्षक से भी अभद्रता की इन काला-कोटधारी वकीलों ने।
छोडि़ये जज साहब, आपका न्याय हम सीतापुर में देख चुके
यह नवंबर-18 की बात है, जब सीतापुर के जिला जज के कमरे में जबर्दस्त हंगामा किया था वकीलों ने। जज साहब पूरी तरह निरुपाय रहे। न वकीलों को रोका और न ही पुलिस को संरक्षण दिया। इतना ही नहीं, इस डरावने हादसे पर जज साहब ने स्यू-मोटो भी नहीं लिया। बल्कि उसके बाद वकीलों ने अपना हंगामा हड़ताल के तौर पर शुरू किया और उसे आसपास के जिलों में भी खूब हंगामा किया। लेकिन सीतापुर के इस हादसे का वायरस अब लखनऊ हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। अभी कोई चार दिन पहले चार नम्बर की अदालत में हंगामा हुआ, और एक महिला वकील ने एक युवक वकील को एक करारा झांपड़ रसीद कर दिया। बताते हैं कि इस घटना के वक्त जज साहब अपनी कुर्सी पर मौजूद थे।
जानकार बताते हैं कि दोपहर के बाद अपने-अपने मुकदमे को लेकर सुनवाई के लिए अर्जेंसी की अपील करने की आपाधापी चल रही थी। अचानक एक महिला वकील ने एक युवा वकील को एक झन्नाटेदार झांपड़ रसीद कर दिया। न्याय-कक्ष में हुई इस घटना से पूरी अदालत सन्नाटे में आ गयी। महिला का आरोप था कि उसके अंगों पर यह युवा वकील उंगली कर रहा था। लेकिन एक सुर में सारे वकील मानते हैं कि यह घटना निहायत अराजक और शर्मनाक थी। उनका कहना है कि जब अर्जेंसी की अपील पर आपाधापी चलती है, उस वक्त किसी के पास इस ओर ध्यान ही नहीं आ सकता है कि कोई वकील ऐसा कोई दुष्कर्म का साहस दिखा सके। वह भी तब, जब अदालत में जज बाकायदा मौजूद हों।
बताते हैं कि यह दोनों ही वकील अवध बार एसोसियेशन के सदस्य नहीं हैं और पिछले दो बरसों से दो वकीलों के जूनियर हैं। हैरत की बात है कि मामले में इन वकीलों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने एक बार भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं समझी है। उधर भले ही अवध बार एसोसियेशन में उन वकीलों की सदस्यता हो, लेकिन एसोसियेशन ने उस युवक वकील को बुला कर उससे माफी मंगवायी है। एक अधिवक्ता ने दोलत्ती डॉट कॉम को बताया कि यह कार्रवाई मनमर्जी और अराजक कार्यशैली पर आमादा बार एसोसियेशन अब उसकी निरंकुशता साबित करती है। बहरहाल, इस मामले में सोशल मीडिया काफी गर्म है, जबकि न्यूज चैनल और अखबारों ने इस घटना का संज्ञान ही नहीं लिया है।
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