साथियों को अवैध कब्‍जा सिखायेंगे गोंडा के बड़े पत्रकार

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: हनकदारी में खासा रसूख पाले पत्रकारों ने आश्रय-हीन पत्रकारों की आवासीय समस्‍या का समाधान खोजने के लिए खोजा नायाब तरीका : जरूरत पड़ी तो बाकायदा प्रशिक्षण शिविर होगा, अथवा व्‍यक्तिगत प्रयास भी आयोजित होंगे : सरकारी जमीनों पर नेताओं-अफसरों की मिलीभगत से होने वाले अवैध कब्‍जों का कौशल विकसित किया जाएगा :

कुमार सौवीर

लखनऊ : “चल, इधर आ बे। अबे अपना मूं धोने की जरूरत नहीं है इसमें, दिमाग खोलना जरूरी है इस कला को समझने-सीखने के लिए। हां, तो बेटा, दिल-दिमाग खोल लो, और इसके बाद अब उन विधियों-प्रविधियों को समझने के लिए तैयार हो जाओ। हम तुम्‍हें यहां उन कानूनी-सानूनी लटकों-झटकों के दांव-ओ-पेंच सिखायेंगे। कैसे किस टेढ़े-मेंढे नेता और अफसर के ढीले-ढाले किस्‍म शौक को पहचान कर उसे अपने जाल में फंसाना है। ऐसा दबोचना है कि उसके मुंह से आवाज बरबस निकल ही पड़े कि:- हाय मोरी अम्‍मा। बस इस ध्‍वनि में जितना भी आर्तभाव छिपा होगा, समझ लेना कि तुम अपने मिशन में उतनी दूरी तक सफर कर सकोगे।”

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विशाल ककड़ी: हाथ का हथियार, पेट का भोजन

जी हां। यह उस प्रशिक्षण के उन ब्रह्म-वाक्‍य हैं जो जिला प्रदेश अथवा देश के उन पत्रकारों को समझायेंगे, जिनके पास भले ही अपना मकान अथवा कोई इंच भर जमीन भी न हो। फायदा यह होगा कि इसके बाद उन दीन-हीन-अबलों-कमजोर पत्रकारों को उनका अपना खुद का आशियाना या मकान मुहैया हो सकेगा। इसमें प्रशिक्षण देंगे गोंडा के वे वरिष्‍ठ पत्रकार जो अपने जीवन में सरकारी या गैर सरकारी अथवा किसी दूसरे की जमीन पर अवैध रूप से काबिज हो चुके हैं, और इसके लिए उन्‍होंने बाकायदा खासी दिक्‍कतों से जूझने के बाद ही अपने मिशन में सफलता हासिल की है। ऐसे प्रशिक्षण देने वाले पत्रकारों का नाम दिया गया है अवैध कब्‍जा-मित्र विशेषज्ञ। गोंडा में करीब दो दर्जन से ज्‍यादा ऐसे एकल अथवा सामूहिक तौर पर आयोजित होने वाले ऐसे कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को अपने इस विषय पर महारथी माना जाता है और उनका सम्‍मान किसी विशालकाय प्रकाश-स्‍तम्‍भ से कम नहीं है। यह सारे अवैधकब्‍जा-मित्र लोग बड़े-बड़े समाचार संस्‍थानों से जुड़े हुए हैं।

पक्‍की खबर है कि गोंडा में अवैध कब्जा करने में मशहूर इन माहिर लोग बेहाल-परेशान आम पत्रकारों के लिए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम बनाने पर सहमत हो गये हैं जिनके पास मकान नहीं है। कहने की जरूरत नहीं कि यह अवैध कब्जा-मित्र जैसे ओहदेदार पत्रकार लोग इस समय मशहूर समाचार संस्‍थानों से सम्‍बद्ध हैं। और अपनी इसी शैली तथा हनक के बल पर वे पत्रकार अपने जिले के नेताओं, मंत्रियों और अफसरों को पदनी का नाच नचाते रहते हैं। सपा सरकार में हनकदार मंत्री रहे पंडित सिंह की शह पर इन पत्रकारों ने करीब पांच एकड़ जमीन पर कब्‍जा कर लिया था। सूचना मिली है कि ऐसे अवैध कब्‍जा मित्र की भूमिका में यह पत्रकार जल्‍द ही आसपास के जिलों और राज्यों के इच्‍छुक पत्रकारों को प्रशिक्षण देंगे।

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पत्रकार पत्रकारिता

एक वरिष्‍ठ अवैध कब्‍जा-मित्र ने इस योजना का खुलासा किया है, लेकिन अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि यह अभियान जल्‍द ही शुरू होगा। हालांकि इस बारे में कोई विधिवत कोई आदेश जारी नहीं हुआ है और ना ही किसी और मुद्दे पर कोई खुलासा हुआ है लेकिन इतना जरूर है के ऐसा प्रशिक्षण शिविर बहुत जल्दी ही आयोजित किया जाएगा। यह भी स्पष्ट नहीं हुआ है यह शिविर कब शुरू होगा, और यह भी कि वह विधिवत आयोजित किया जाएगा, औपचारिक रूप से अथवा अनौपचारिक रूप से होगा।

इस प्रशिक्षण शिविर में पत्रकारों को सिखाया जाएगा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के आने वाली बेशकीमती सरकारी जमीनों पर कैसे कब्जा करें, कैसे उन पर सरकारी और जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाकर हासिल ऐसी जमीनों पर बाउंड्री बनवायें, और कैसे वहां अट्टालिकाएं बनाएं। विशेषज्ञ यानी अवैध कब्‍जा-मित्र इच्‍छुक पत्रकारों को यह भी सिखायेंगे कि अगर कोई बवाल होता है तो वह पत्रकार अपना कब्जा कैसे बनाए रखें, अगर सरकार बदल जाए तो भी यह कब्जा कैसे बरकरार रहे। इस बारे में भी विधिवत प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह भी समझाया जाएगा कि सरकारी अफसरों की कौन सी नस दबा दी जाए जिससे वे सरकारी जमीन पर हुए इनके अवैध होने के बावजूद खामोश बने रहें। ( क्रमश:)

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