जफर ! मौत तुम्हारा इंतजार कर रही है

सैड सांग

इटावा के नर-पिशाच ने पत्नी व 5 बेटियों को चाकू से रेत दिया था

: 11 साल से जेल में बंद हत्यारे को राष्ट्रपति भवन से राहत नहीं मिली : 27 जुलाई-02 को हुआ था सदर कोतवाली क्षेत्र में सनसनीखेज कांड :

इटावा : केवल बीवी को लेकर दिमाग में शक कौंध उठा और जफर अली ने अपनी पांच मासूम बेटियों सहित पत्‍‌नी का गला चाकू से रेत डाला। की हत्या करने वाले जफर को राष्ट्रपति भवन से भी राहत नहीं मिली है। महामहिम ने सेशन कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इटावा प्रशासन को यह तो पता चल गया है कि राष्ट्रपति भवन से जफर अली की दया याचिका खारिज हो चुकी है, लेकिन अभी तक उसका लिखित आदेश नहीं पहुंच सका है। गौरतलब है कि यूपी में पिछले कई दशकों से किसी भी अपराधी को फांसी पर नहीं लटकाया गया है।

कोतवाली सदर में 27 जुलाई 2002 की रात उस समय हड़कंप मच गया था, जब खून से सने चाकू समेत मोहम्मद जफर ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा था कि उसने अपनी पत्नी तथा 5 लड़कियों को मौत के घाट उतार दिया है। पुलिस सकते में आ गई। अफसरों की टीम तत्काल बाह बस अड्डा के पास पुरोहितन टोला में जफर के घर पहुंची। पूरे इलाके में सिर्फ मौत नाच रही थी। हर तरफ खून ही खून।

वहां जफर की करीब 35 वर्षीय पत्नी रोशनआरा खून से लथपथ, पास में उसकी 12 वर्षीय पुत्री रूबीना, आठ वर्षीय सबीना, छह वर्षीय मदीना, चार वर्षीय नगीना तथा दो वर्षीय अलशिया मृत पड़ी हुई थी। बाद में जफर के साले मोहम्मद यासीन ने उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। आरोप था कि आधी रात के बाद जफर ने रोशनआरा, उसकी बेटियों और साले यासीन पर चाकू से जानलेवा वार किए। प्रतिरोध करने पर जफर यासीन को जान से मारने की धमकी देते हुए चाकू लेकर दौड़ा। इस पर भागकर यासीन ने जान बचाई।

पुलिस ने धारा 302 तथा 506 आईपीसी के तहत जफर के खिलाफ आरोपपत्र अदालत में प्रस्तुत कर दिया था। तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश आईबी सिंह ने एक साल के अंदर दोनों पक्षों को सुनने के बाद 14 जुलाई 2003 को जफर के अपराध को क्रूरता की हद से परे मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। तभी से जफर अपने अधिवक्ता के माध्यम से फांसी से मुक्ति पाने के लिए प्रयासरत था, लेकिन उसकी यह हसरत पूरी नहीं हो सकी।

जफर अली अब फतेहगढ़ सेंट्रल जेल में बंद है। जिला जज और हाईकोर्ट के फैसले के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में भी अपना मुकदमा किया था, लेकिन वहां भी उसे नाउम्मीदी हुई। बाद में उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर रखी थी। जेल प्रशासन का दावा है कि जफर अली की दया याचिका खारिज होने की खबर उन्हें  मिल गयी है। लेकिन अभी कोई लिखित आदेश नहीं आया है। इस अधिकारी ने बताया कि ऐसे आदेश के बाद ही जफर अली की फांसी को लेकर प्रशासन तैयारी शुरू करेगा। हालांकि पिछले कई दशकों से यूपी की किसी भी जेल में किसी भी फांसी पर नहीं लटकाया गया है।

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