हाथरस के डीएम आफिस को चाहिए 50 हजार की रिश्‍वत, भले ही मर जाए मरीज

बिटिया खबर

: अपना ऑपरेशन कराने के लिए अपनी ही जमीन बेचने को चार महीने से दौड़ रहा है दम तोड़ता एक दलित : डीएम सिर्फ आश्‍वासन देते हैं, एडीएम फोन तक नहीं उठाते : अफसर अपनी सारी डीलिंग करते हैं अपने खासमखास बाबू की मार्फत :

कुमार सौवीर

लखनऊ : सौदान को दिल की बीमारी है। डॉक्‍टरों के मुताबिक सौदान की यह बीमारी काफी गम्‍भीर हो चुकी है और अगर उसका तत्‍काल इलाज नहीं किया गया तो—। डॉक्‍टरों ने उसके इलाज के लिए डेढ़ लाख रूपयों की जरूरत बतायी है। सौदान ने अपना इलाज कराने के लिए अपनी ही जमीन बेचने की कोशिश की, लेकिन जिलाधिकारी कार्यालय उसकी जमीन बेचने में अड़ंगा लगा रहा है। कलेक्‍ट्रेट के लोगों ने इस काम के लिए सौदान से पचास हजार रूपयों की मांग कर दी है। यह भारी-भरकम मांग सुनकर पहले से ही दिल की बीमारी से जूझ रहे सौदान का दिल धक्‍क रह गया है।

क्रूरता और अमानवीयता का प्रदर्शन चल रहा है हाथरस में, जहां एक लाचार अधेड़ को अपने इलाज के लिए अपनी ही जमीन बेचने की अनुमति हासिल करने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय को पचास हजार रूपयों की रिश्‍वत देने पर मजबूर किया जा रहा है। बताते हैं कि सौदान ने जिले के जिलाधिकारी कार्यालय के हर अफसर की चौखट पर अपना माथा रगड़ा है, गिड़गिड़ाया है, अपनी लाचारी और अपनी दयनीय हालत की दास्‍तान सुनायी है, लेकिन संवेदनहीन प्रशासन के जिम्‍मेदार लोगों को किसी जन-समस्‍या या किसी दम तोड़ते बीमार शख्‍स की गिड़गिड़ाहट के बजाय केवल रिश्‍वत के नोट ही समझ में आ रहे हैं।

हाथरस में तहसील है ऐहन। यहीं के किशोरी लाल जाटव का बेटा है सौदान सिंह जाटव। जाति का चमार। पिछले लम्‍बे समय से सौदान सिंह जाटव दिल की बीमारी से ग्रसित है। लेकिन पिछले साल उसकी हालत ज्‍यादा गड़बड़ हो गयी। आगरा, अलीगढ़ और दिल्‍ली तक के डॉक्‍टरों के यहां की दौड़ लगाया सौदान ने। आखिरकार पता चला कि इस बीमारी का इलाज कराने के लिए डेढ़ लाख रूपयों का खर्चा पड़ेगा। कोई भी चारा न देख कर सौदान ने तय किया कि वह अपनी जान बचाने के लिए अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेच कर अपना इलाज करायेगा।

करीब चार महीना पहले सौदान सिंह ने अपनी जमीन बेचने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय को अर्जी लगा दी। लेकिन कई बार कलेक्‍ट्रेट की हर दहलीज का चक्‍कर लगाने के बावजूद जब कोई नतीजा नहीं मिला। एक दिन सौदान सिंह ने सीधे एडीएम अब्‍दुल हसन करनी से बात की तो उन्‍होंने कहा कि यह फाइल प्रताप चौधरी देखते हैं, उनसे बात करो। सौदान बताते हैं कि जब सौदान उस बाबू प्रताप चौधरी के पास पहुंचा तो उसने साफ-साफ पचास हजार रूपयों की रिश्‍वत मांग ली। बाबू ने साफ कह दिया कि यह रकम नहीं मिलने तक इस फाइल को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। इलाज के लिए डेढ़ लाख रूपयों का इंतजाम करने के लिए पचास हजार रूपयों की मांग सुन कर सौदान के हाथों से तोते उड़ गये।

इस नाजायज मांग की सूचना हाथरस के सामाजिक कार्यकर्ता गुंजन गुप्‍ता ने www.meribitiya.com न्‍यूज पोर्टल तक पहुंचायी। www.meribitiya.com ने इस बारे में सूचनाएं जुटाईं और उसके बाद हाथरस के अपर जिलाधिकारी अब्‍दुल हसन करनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन करनी ने लगातार दो दिनों तक मेरा फोन नहीं उठाया। अन्‍ततोगत्‍वा www.meribitiya.com ने जिलाधिकारी अभिलाष कृष्‍ण से बातचीत की। अभिलाष ने इस घटना पर कार्रवाई करने का आश्‍वासन दिया।

इसके बाद से करनी ने उस फरियादी सौदान और उसके पैरोकारों से बातचीत करना ही बंद कर दिया। बताते हैं कि इस बारे में पूछताछ करने पर बहुत रूखा जवाब दिया कि फाइल अपनी स्‍पीड से ही चल रही है। हालांकि डीलिंग बाबू ने इस बात पर नाराजगी जतायी कि यह मामला डीएम के यहां तक कैसे पहुंचा।

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