धांसू चुनावी आइडिया: जिसने जीना हराम किया, उसके नाम का सिंदूर

बिटिया खबर

: अमेठी की रानी गरिमा सिंह, एक हारी महिला को जीत का सेहरा बंधवा देंगे हालात :  भाजपा की रणनीति है न, इसलिए सारे तीर तरकश से निकाले गये : अमिता ने कांग्रेसी पतवार त्‍यागा, तो गायत्री अब मैदान में निर्वस्‍त्र :

कुमार सौवीर

अमेठी : संजय सिंह की हैसियत से लाख ज्‍यादा मजबूत थी गरिमा सिंह के मायके की औकात। लेकिन अपने अधिकार-हनन पर गरिमा सिंह ने एक शब्‍द भी नहीं निकाला। जिस राजभवन में वह 45 साल पहले ब्‍याह कर आयी थी, वहीं पर उसकी सौतन ने उसे घर बदर कर दिया। बेइज्‍जती का ऐसा सैलाब उसके खिलाफ उमड़ा कि उसके तीन बच्‍चे तक उसके खिलाफ हो गये। सीतापुर में उसके पति ने जो गरिमा सिंह को तलाक देने की कानूनी दांवपेंच बुने, उसका जवाब भी नहीं दे पायी गरिमा सिंह। करीब बीस बरसों तक यही गरिमा सिंह किसी बेवा की तरह अपनी जिन्‍दगी बिताती रही, लेकिन आज चूंकि आज चुनावी बयार बह चुकी है, इसलिए गरिमा सिंह ने अब सारे टोने-टोटके खोजने-फैलाना शुरू कर दिया। मकसद सिर्फ यह कि कैसे भी हो, यह चुनाव जीत लिया जाए और इस बहाने भूपति भवन पर उसका कब्‍जा हो जाएगा।

सच बात तो यही है कि ताजा हालातों में गरिमा सिंह की सीट अमेठी चुनाव में बिलकुल क्लियर हो चुकी है। गरिमा की सौतन अमिता सिंह को कांग्रेस ने बगावती करार दे दिया है, उधर समाजवादी पार्टी के गायत्री प्रजापति के खिलाफ बलात्‍कार के एक मामले में सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने मुकदमा दर्ज कर अपना सख्‍त रवैया अपनाते हुए गायत्री को बेहद असहाय और कमजोर साबित कर दिया है। जाहिर है कि इस मौका का लाभ सिर्फ गरिमा सिंह को ही मिलेगा। बदले हालातों में चर्चाएं तेज हो चुकी हैं कि अमेठी की असली रानी हो या नकली रानी, गरिमा सिंह ही बनेगी।

लेकिन गरिमा सिंह का यह कदम काफी विलम्‍ब से उठा है। अपने चुनाव प्रचार में गरिमा आम लोगों से कहती हैं कि वे अमेठी के वंचितों-मजलूमों व बेसहारा लोगों के लिए जूझेंगी। लेकिन सवाल तो यह है कि जो महिला पिछले बीस साल तक खुद लगातार हार-पराजय और उपेक्षा की गुफा में खुद को बंद किये रही हो, वह किस मुंह से दूसरों के हकों के लिए कोई संघर्ष कर पायेगी। अगर बीस साल पहले तक वे अपनी किस्‍मत की दुर्दशा पर चुप्‍पी न साधे, तो अमेठी की फिजां ही दीगर होती।

अमेठी से संजय सिंह की पत्नी गरिमा सिंह बीजेपी की उम्मीदवार हैं तो उनकी दूसरी पत्नी के तौर पर उनके साथ रह रही अमिता सिंह कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने की ठान चुकी हैं. सुप्रीम कोर्ट संजय सिंह के साथ गरिमा सिंह के तलाक को रद्द कर चुका है.

गरिमा सिंह ने सोमवार को अपना पर्चा दाखिल कर दिया. पर्चा दाखिल करते समय गरिमा सिंह ने जो हलफनामा भरा है उसमें उन्होंने संजय सिंह को अपना पति बताया है. शपथ पत्र में उन्होंने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया उसमें अपने साथ संजय सिंह की संपत्ति का भी जिक्र किया है. गरिमा सिंह ने अपनी अचल संपत्ति करीब तीन करोड़ रुपये और पति की अचल संपत्ति साढ़े 15 करोड़ रुपये लिखवाई है.

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सगी भतीजी हैं गरिमा सिंह। वीपी 45 साल पहले वे अपना पूरा-भरा बदन-सौंदर्य के साथ लेकर अमेठी के रामनगर राजमहल में बाकायदा ठसक के साथ आयी थीं। इसके बाद इसी भूपति भवन में उनके तीन बच्‍चे हुए। और उसके बाद किसी राहु-केतु की तरह अमिता सिंह भूपत में आयीं, नतीजा गरिमा को बाकायदा घर से निकाल बाहर कर दिया गया। आज वे भले ही जनता के हितों की बात कर रही हों, लेकिन सच बात यही है कि उनकी बात में कोई दम नहीं दीखता है। उनका गाल चिचुक चुका है, बदन पर झुर्रियां पड़ चुकी हैं।

मगर इसके बावजूद गरिमा के पक्ष में पलड़ा भारी हो चुका है। उनका बेटा बगावत कर भूपति भवन में घुसने में सफल हो गया। उनकी एक बेटी अपनी मां के पक्ष में खड़ी हो चुकी है। एक सिपाही की मौत होने के बावजूद प्रशासन भूपति भवन में गरिमा-मयी जोश आ चुका है। अमिता सिंह कांग्रेस से बगावत कर खुद की जड़ें कमजोर कर चुकी हैं। गायत्री प्रजापति की कलई खुल गयी है, वे अब रेप जैसे घिनौने मामले के आरोप में नंगा हो चुके हैं।

बाकी बचीं गरिमा सिंह।

वह तो जीत ही रही हैं। एक बेहद कमजोर, अशक्‍त, हारा हुआ प्‍यादा अब अपनी जीत का सेहरा पहनने जा रहा है।

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हाय हाय अमेठी

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