बाजारू फिरदौसों के सौदागर को मोदी की नोट-बंदी ने मार डाला

सैड सांग

: कुछ आंसू के साथ आओ, जोरदार ठहाके लगाये जाएं जिन्‍दादिल हरजिन्‍दर की मौत पर : चंद ओछे ऐब छोड़ दिया जाए तो कमाल की शख्सियत थी हरजिन्‍दर की : लखनऊ की चटपटी मछली की दूकान इस शख्‍स की देन है: फोटो कभी नहीं खींची, लेकिन फोटोग्राफर्स में हमेशा गुरूजी के तौर पर सम्‍मान मिलता रहा : 25 से 30 हजार रोजाना की ईमानदार कमाई करता था यह मछली-फरोश पत्रकार :

कुमार सौवीर

लखनऊ : आज का हरजिन्‍दर सिंह अब कल की बात बन चुका है। वैसे तो दो साल पहले ही वह आज से कल की राह पकड़ चुका था, लेकिन कल तो फाइनली इस संसार को छोड़ गया। इसके बाद अब भविष्‍य में हम लोग हमेशा उसके नाम, उसके व्‍यवहार और उसकी फोटो के बारे में ही बातचीत कर पायेंगे, बहुत हुआ तो आंसू बहा देंगे। आज भैंसाकुण्‍ड स्थित बैकुण्‍ठ धाम में हरजिन्‍दर सिंह के पार्थिव शरीर को अग्नि के हवाले कर दिया गया।

हिन्‍दुस्‍तान के बंटवारे के दौरान आज के पाकिस्‍तान के किसी दूरस्‍थ इलाके से प्‍यारा सिंह अपनी पत्‍नी और नन्‍हें-मुन्‍ने बच्‍चों के साथ लखनऊ में आकर बस गया था। शरणार्थी के तौर पर। नाका हिन्‍डोला के हैदर नाले के पास प्‍यारा ने डेरा डाला। और स्‍कूटर मैकेनिक का काम शुरू किया। बाद में झटके के गोश्‍त की दूकान भी खुल गयी प्‍यारा की। तीसरे नम्‍बर का बेटा हरजिन्‍दर सिंह अब स्‍कूटर मैकेनिकी करने लगा तो प्‍यारा ने मीट की दूकान सम्‍भाल ली। हरजिन्‍दर सिंह शुरू से ही यार-बाज शख्‍स रहा। बात-बात पर ठहाके, हंसी के गुब्‍बारे, दोस्‍त-बाजी बस यही चलने लगा। तब के दौर के हमउम्र और पंजाबी संजीव प्रेमी से स्‍कूटर मरम्‍मत को लेकर दोस्‍ती हो गयी। साथ में माया वाला मनमोहन शर्मा भी हरजिन्‍दर का दोस्‍त हो गया।

इसी बीच एक पुलिस का लफड़ा हो गया हरजिन्‍दर के खिलाफ। शायद यह चोरी की रिपोर्ट हुई थी उसके खिलाफ। हरजिन्‍दर बहुत परेशान रहने लगा। तभी मनमोहन और संजीव ने उसे पत्रकारिता की कीमत समझायी और कहा कि जाओ, कैसा भी टूटा-फूटा कैमरा गले में इधर-उधर हइंचा-फइंचा लगाये अफसरों-पुलिसवालों में घूमो। पुलिसवाले खुद ही तुम से दूरी बना देंगे। मौज करते रहना, बाकी काम तो तुम कर ही रहे हो। हरजिन्‍दर को कैमरा क्लिक करने का सटीक-सलीका भले आज तक नहीं समझ में आया, लेकिन संजीव प्रेमी और मनमोहन का प्रेस-फोटोग्राफर वाला आइडिया एक झटके में क्लिक कर गया। मित्रों ने उसे आज अखबार में इंगेज करा दिया और देखते ही देखते, मीट-विक्रता और स्‍कूटर मैकेनिक हरजिन्‍दर प्रेस वाला फोटूमैन बन गया। गले में किसी सटीक-सधी-मारक ताजीब की तरह हरजिन्‍दर सिंह का कैमरा लटकने लगा।

हरजिन्‍दर की चाल-ढाल, उसका चेहरा, शैली, भंगिमा, दोस्‍त-बाजी, ठहाके, और भाखड़ा-नंगल बांध से गरजते पानी की तेज धार को मात करती उसकी नंगी-नंगी गालियां। हाय रे रब्‍बा। यही तो थी उसकी असली पहचान। कभी भी दलाली नहीं की हरजिन्‍दर ने, एक भी दाग उसके दामन पर नहीं आया। सिवाय बाजारू औरतों से उसके अंतरंग रिश्‍ते। नेपलियाय फोटोग्राफर और हरजिन्‍दर का लंगोटिया दोस्‍त आरबी थापा ने बताया:- सौवीर भइया, एक भी ऐसी बाजारू फिरदौस आपको नहीं मिलेगा, जो हरजिन्‍दर के हरम से न निकली हो।

मीडिया फोटोग्राफर्स क्‍लब के अध्‍यक्ष एसएम पारी का कहना है कि हरजिन्‍दर हर मौसम में संयत-शांत और मस्‍त रहता था। दोस्‍तों की मदद करना तो कोई उससे सीखे। हजार-पांच सौ की मदद तो लपक के, लेकिन उससे ज्‍यादा की मदद कर पाने की कल्‍पना तक नहीं करता था हरजिन्‍दर। पारी ने बताया:- एक बार अलीगंज थाने में सेक्‍स-रैकेट में पकड़ी गयीं लड़कियों की फोटो खींचने के लिए कई फोटोग्राफर्स भी गये थे। अचानक एक लड़की ने गिड़गिड़ाते हुए कहा कि सरदार जी, तुम तो हमको खूब जानते हो, कई बार आ चुके हो मेरे पास। आज मैं दिक्‍कत में हूं, मुझे बचा लो सरदार जी।

कहने की जरूरत नहीं कि पूरा थाना परिसर लोगों के ठहाके से गूंजने लगा।

हरजिन्‍दर ने अपनी निजी दिक्‍कतों से पार लगाने के लिए प्रेस का इस्‍तेमाल तो किया, लेकिन कभी भी दलाली नहीं की। आज के जीएम वालिया से उसकी खूब छनती थी। वालिया को मछली और दारू सप्‍लाई का काम हरजिन्‍दर ही करता था, लेकिन वालिया के बाद अभी दो साल पहले ही उसे आज अखबार से विदा होना पड़ा। लेकिन तब तक हरजिन्‍दर बेशुमार कमाई के रास्‍ते खोज चुका था। एक अन्‍य फोटोग्राफर ने बताया कि हरजिन्‍दर की  दूकान से रोजाना एक कुन्‍तल से ज्‍यादा तली हुई मछली की बिक्री होती है। मसालेदार चटपटी मछली। अकेले इसी धंधे से हरजिन्‍दर की कमाई 25 से 30 हजार तक थी। इसके अलावा उसका लॉज वगैरह भी था। लेकिन सारी कमाई मेहनत की, दलाली का एक भी धेला नहीं।

कोई पांच साल पहले हरजिन्‍दर ने आशियानी में अपना एक आलीशान मकान बनाया था, हरजिन्‍दर खुश था। लेकिन जिस दिन देश में पांच-हजार के नोटों पर प्रतिबंन्‍ध लगा दिया गया, उसके बाद से हरजिन्‍दर परेशान हो गया। एक फोटोग्राफर ने बताया कि हरजिन्‍दर के पास काफी ब्‍लैक मनी थी। हो सकता है कि इसी नोट-बंदी के गम में हरजिन्‍दर को हार्ट-अटैक हो गया हो, हा हा हा हा हा

साकिब एजूकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी, राजाजीपुर की एक शोकसभा हरजिन्‍दर के निधन पर हुई, जिसमें अध्‍यक्ष जाकिर कजलबाश व मंत्री विजय आनंद वर्मा में प्रधानाध्‍यापक और अन्‍य शिक्षकों ने अपनी श्रद्धांजलियां अर्पित कीं। एक अन्‍य में यूपी जनर्लिस्‍ट एसोसियेशन की बैठक में इकाई अध्‍यक्ष अरविंद शुक्‍ला की अध्‍यक्षता में हरजिन्‍दर को भावभीनी श्रद्धांजलियां अर्पित कीं।

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