गिरी इंस्टिट्यूट: मैं संतुष्‍ट हो चुका हूं कि मामला था दुराचरण का

बिटिया खबर

: युधिष्ठिर की तरह द्रोण के कान में फुसफुसा दूँ कि, अश्वत्थामा मारा गया। नरो वा कुंजरो : न्याय की मांग की चिन्‍गारी पुलिस थाने जाकर भड़कना चाहती थी, उसे इन सारे लोगों ने मिलकर चुटकियों में भस्मीभूत :

कुमार सौवीर

लखनऊ : ( गतांक से आगे) बहुत हो चुका। दबाव सुनते-सुनते कान पक गए। अब तक अपने 3 बेहद आत्‍मीय लोगों की सिफारिश सुन चुका हूं। लेकिन कोई अगला शख्‍स अगर सिफारिश करने आया, तो यकीन मानिये कि मैं उसका भंडाफोड़ कर दूंगा।

कितना दर्दनाक होता है अपनी आत्मा अंतरात्मा पर असह्य दबाव महसूस करना। न जाने लोग कैसे दूसरे की अंतरात्मा को विदीर्ण कर देते हैं। न जाने कैसे लोग इतना दबाव डालने का साहस दिखा देते हैं। न जाने कैसे लोग ऐसे दबावों के सामने झुक जाते हैं। यही सवाल और बातें पिछले दो महीनों से मुझे बुरी तरह झकझोर करते हैं।

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पिछले दो महीनों से मैं भी इसी भयावह घनीभूत पीड़ा से बिल्कुल आता जा रहा हूं। मुझ पर दबाव है कि जो सच मैंने महसूस किया है उसे खारिज कर दो। उस सच को को झूठ में तब्दील कर दो और अगर ऐसा भी ना कर पाऊं तो धर्मराज युधिष्ठिर की तरह द्रोणाचार्य के कान में फुसफुसा दूँ कि:- हां, अश्वत्थामा मारा गया। नरो वा कुंजरो वा।

मामला है गिरी इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस का जहां के निदेशक प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार शर्मा ने अपनी नौकरानी के साथ दुराचरण किया, लेकिन जब हंगामा भड़कने की हालत आयी, तो उसे दबाने के लिए एक निहायत बेहूदा तरीका अपनाया। सहयोग रहा पुलिस का, जिसमें सहयोग किया गिरि इंस्टिट्यूट के कई लोगों का। सब ने मिलकर सुरेंद्र शर्मा जैसे महान शिक्षाविद को तो साफ बचाने की जुगत भिड़ा ली, मगर उस बच्ची का भविष्य हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो गया। जो न्याय की मांग की चिन्‍गारी पुलिस थाने जाकर भड़कना चाहती थी, उसे इन सारे लोगों ने मिलकर चुटकियों में भस्मीभूत कर दिया जहां अब राख तक नहीं बची।

इस मामले को मैंने बहुत गंभीरता के साथ लिया था और तमाम खतरों को ठेंगा पर रखकर उस बच्ची को न्याय दिलाने के लिए पड़ताल की। मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि इस बच्चे के साथ वाकई बहुत बुरा हुआ। और यह बुरा काम करने वाला वह शख्‍स है जो सामाजिक विज्ञान पर शोध करने संस्थान के निदेशक की कुर्सी पर आसीन है। बहरहाल, इस हादसे में अब इस संस्थान की प्रतिष्‍ठा भी दांव पर लग चुकी है। हम्‍माम में और भी लोग शामिल बताये जाते हैं, जिसमें संस्‍थान के कुछ शिक्षक, और बड़ी हैसियतदार लोग भी शामिल बताये जाते हैं। ( क्रमश: )

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