ख़ास खबर: घुटने में होगा कृत्रिम लिंग का प्रत्यारोपण

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:शाहगंज के डॉक्टर ने किया कमाल, खर्च 35 हजार: जनसंदेश टाइम्स ने किया खुलासा, प्रशस्ति गीत लिखे : बेहूदी पत्रकारिता का नमूना है अखबार, पूरा कूड़ाघर : का हो डागदर साहेब ! अस्पतलिया मा कौन रिसर्च?:

कुमार सौवीर

जौनपुर: सनसनीखेज खबर है। यहाँ के शाहगंज के एक निजी अस्पताल में घुटने से ख़राब लिंग निकाल कर नया लिंग का प्रत्यारोपण कर दिया है। आपरेशन करने वाले डॉक्टर का दावा है कि घुटने की बीमारी का इलाज जो अब तक सिर्फ बड़े मेट्रो शहरों में चार लाख रुपयों के खर्च पर हो जाता है, अब शाहगंज के इस अस्पताल में सिर्फ 35 हजार तक में हो जायेगा। डॉक्टर जेपी दुबे का दावा है कि इस आपरेशन से घुटने से लिंग निकाल कर नया लिंग लगा दिए जाने से पूरे क्षेत्र के प्रख्यात के डॉक्टरों में हर्ष की लहर फैल गई है।

इसका खुलासा लखनऊ, इलाहाबाद और बनारस से प्रकाशित जनसंदेश टाइम्स ने किया है। इसके जौनपुर एडिशन के चौथे पन्ने पर यह खबर छपी है। बड़ी सतर्कता और बेहद मेहनत के साथ इस संवाददाता ने यह खबर लिखी है। फोटो भी टनाटन है। लगता है जैसे 3-4 नकाबपोश किसी पर टूट पड़े हों। क्या चल रहा है, पता ही नहीं चलता है।

खबर के मुताबिक यहाँ के आरआर आर्थोपेडिक नर्सिंग में किसी वरिष्ठ डॉक्टर के नेतृत्व में एक टीम ने यह आपरेशन किया है। लेकिन इस संवाददाता को न तो भाषा का ज्ञान है और न ही व्याकरण, वर्तनी अथवा लेखन की तमीज। लेगामेंट के बजाय इस मूर्ख संवाददाता ने लिंगामेंट लिखा है, मानो यह कोई अनोखा और नया लिंग समुदाय हो। जैसे दक्षिण का लिंगायत समुदाय अथवा शंकर-महादेव का लिंग आदि। इस खबर में इस अनर्थकारी शब्द का आधा दर्जन प्रयोग ताल ठोंक कर किया है। हैरत है कि इस खबर को देखने की जहमत संपादक ने भी नहीं की, अथवा वह भी मूलतः मूर्ख है, जो खबर के बजाय उगाही में लिप्त है। कहने की जरूरत नहीं कि इस अखबार के समूह संपादक हैं सुभाष राय, जो प्रख्यात साहित्यकार, कवि, आलोचक भी हैं।

कुछ भी हो, इस हालात को देखकर जनसंदेश टाइम्स का मतलब बेहूदा और गैरजिम्मेदारी वाली पत्रकारिता दिखने लगा है, अनर्गल समाचारों का कूड़ाघर और सिर्फ दलाली पर उगी बदबूदार खबरों की लहलहाती फसल।

इस संवाददाता को यह तक समझ-तमीज नहीं है कि लेगामेंट क्या होता है और उसे कैसे लिखा जाये। यह तो पत्रकार की बात हुई। डॉक्टर ने भी 35 हजार रुपये में ऐसा आप्रेशन करने का दावा कैसे कर दिया, हैरत और बड़े सवाल की बात है। कैसे 4 लाख वाला कोई आपरेशन शाहगंज में 35 हजार में हो सकेगा? साफ़ है कि यह ढपोरशंखी नाटक और पाखण्ड है, जिसका मकसद पत्रकार की मुट्ठी गरम कर मनचाहा मुफ़्त प्रचार कराना है।

वैसे भी जौनपुर के डाक्टर इस मामले में खासे कुख्यात हैं। आपका यहाँ के डॉक्टरों की करतूतों का नमूना देखना हो तो सीधे यहाँ के कुछ बड़े डाक्टरों के साइनबोर्ड को निहार लीजिये। ज्यादातर में फलाने नर्सिंग अस्पताल ऐंड रिसर्च सेंटर लिखा मिलेगा। वहां अब तक किस तरह का रिसर्च हुआ या क्या रिसर्च होता है, इसका जवाब कोई भी डाक्टर नहीं दे पायेगा। आज एक ऐसे ही एक नर्सिंग होम के बाहर बैठे काँखते हुए लुटे-पिटे मरीज ने इस बारे में गजब जानकारी थमाँ दी। बोला:- “यहां के डॉक्टरवे रूपया ऐंठने पर सर्वाधिक रिसर्च करते हैं।”

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