फट्टू डाक्‍टर: एक ने पचास लाख की रंगदारी अदा कर दूसरों पर संकट बढाया

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: यूपी में लहलहाने लगी है रंगदारी उगाहने वाले अपराधियों की फसल : जौनपुर में में एक डॉक्‍टर ने भयभीत होकर अदा कर दिया पचास लाख रूपये : दूसरे ने बहादुर दिखायी और पुलिस की सहायता से दबोच लिया रंगदारी मांगने वाला अपराधी :

कुमार सौवीर
लखनऊ : कई डॉक्‍टर भले ही अपने मरीज का मर्ज दूर करते हों, लेकिन अपने पर आने वाले संकट पर दहल जाते हैं। जबकि कुछ ऐसे भी डॉक्‍टर होते हैं जो चाहे किसी भी तरह की दिक्‍कत हो, हमेशा इसी तरह से आम आदमी के खिलाफ जाने वाले किसी भी समस्‍या का सहारा बन जाते हैं। पहली श्रेणी वाला डॉक्‍टर तो समाज में समस्‍या पैदा करते हैं, जबकि दूसरे डॉक्‍टर लोग समस्‍याओं का समाधान बन जाते हैं। सामान्‍य तौर पर किसी डॉक्‍टर के लिए पैसा भले ही उसकी अपनी जिन्‍दगी, अपनी सांस और अपना आखिरी लक्ष्‍य मानता हो, लेकिन कम से कम इतना तो तय ही है कि एक डॉक्‍टर अपने मरीज की जान बचाने की कोशिश तो जी-तोड़ करता ही है। ऐसी हालत में जब किसी डॉक्‍टर पर हमला होता है, जब उससे रंगदारी मांगी जाती है, जब उसे धमकियां दी जाती हैं, जब उसके हॉस्पिटल में मारपीट की जाती है तो मन खिन्‍न हो जाता है। पूर्वांचल के एक सर्जन से दो करोड़ रूपयों की रंगदारी मांगने का मामला इसी खिन्‍नता की श्रंखला से जुड़ता है। इस मामले में शर्म की बात यह है कि इस डॉक्‍टर ने चुपचाप अपनी तिजोरी खोली और बदमाशों को पचास लाख रूपयों का भुगतान कर दिया। तब तर्क भले ही लाख बुने-गढ़े जाएं, लेकिन इस डॉक्‍टर की इस हरकत ने डॉक्‍टर समुदाय के लिए एक गहरी संकट वाली खाई खोद डाली है।
यह मामला है जौनपुर के एक बड़े नर्सिंग होम ईशा हॉस्पिटल ऐंड रिसर्च सेंटर का। मुन्‍ना बजरंगी के नाम पर कुछ बदमाशों ने इस अस्‍पताल के मालिक डॉ रजनीश श्रीवास्‍तव से दो करोड़ रूपयों की मांग की थी। लेकिन शर्म की बात यह रही कि डा रजनीश श्रीवास्‍तव ने इस हादसे की जानकारी किसी को भी नहीं दी। ने जिले के किसी डॉक्‍टर को खबर दी, न जिला प्रशासन या पुलिस कोई सूचना दी और न ही इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के पदाधिकारियों तक को भनक नहीं दी। डॉ रजनीश श्रीवास्‍तव को अगर भरोसा था कि तो सिर्फ उस एक पुलिस अधिकारी पर, जो जौनपुर में पुलिस अधीक्षक रह चुका है और फिलहाल लखनऊ में पोस्‍टेड है। इस पुलिस अफसर और इस डॉक्‍टर ने बाकायदा बदमाशों के सामने फोन पर गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया। कई दिनों तक इस अफसर ने इस अस्‍पताल में डेरा डाले रखा। बहरहाल, इस मामले की खबर तो हम आपको बाद में देंगे कि इस आईपीएस का इस मामले में ऐसा घिनौना चेहरा दिखाने का मकसद क्‍या था।
लेकिन पहले तो यह बात बता दें कि इसके कुछ ही दिन यहीं के ही एक बड़े आंख के डॉक्‍टर एनके सिंह के यहां भी रंगदारी की धमकी पहुंची। पत्‍नी के मोबाइल पर धमकी दी गयी थी कि अगर 60 लाख रूपयों का भुगतान नहीं किया गया तो पूरे परिवार को मार डाला जाएगा। जाहिर है कि इस धमकी से परिवार परेशान हो गया। लेकिन डॉ एनके सिंह ने संयम नहीं खोया और सीधे पुलिस को खबर दे दी। पुलिस अधीक्षक ने तत्‍काल मामले की जांच शुरू करा दी, फोन को सर्विलांस पर लगा दिया गया और मुश्किलन तीन घंटों के भीतर ही अपराधी को दबोच लिया गया। यह दीगर बात है कि पुलिस ने इस मामले में भी अपनी डींग मारी और इस अपराधी को दबोचने के करीब 24 घंटे बाद अपने कागजों में दर्ज किया। खैर

फट्टू डाक्‍टरों की पहचान तो बिलकुल अलग-अलग होती है। इनमें से अधिकांश तो ऐसे होते हैं जो समाज में केवल समस्‍याएं ही पैदा करते हैं, जबकि दूसरे निदान पर ध्‍यान देते हैं। मगर दुखद बात यह है कि फट्टू लोगों की हैसियत लगातार बढ़ती ही जाती है। इससे जुड़ी खबर को पढ़ने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
काश। थोड़ी बहादुरी दिखा देते लोग

तो यहां दो बातें बेहद महत्‍वपूर्ण हैं। पहला तो यह कि भले ही आप विकास-विकास रेंकते रहें, जमीन से कोसों दूर कल्‍पनाओं वाले सपनों को लेकर चाहे कितनी भी डींग मारते रहें। लेकिन अगर आप कानून-व्‍यवस्‍था नहीं दुरूस्‍त कर सकते, तो फिर मान लीजिए कि आपके वश में कुछ भी नहीं है। और तब आम आदमी भी अपना दिल थाम कर बोल पड़ेगा कि:- छोड़ो, कुछ कर पाना आपके वश की बात नहीं है। तुम से नहीं होगा। यूपी में तो कम से कह यही चल रहा है। राष्‍ट्रपति को लखनऊ में बुला कर यूपी के मुख्‍यमंत्री ने दावे तो खूब किये, लेकिन ठीक उसी समारोह के वक्‍त ही प्रतापगढ़ में एक व्‍यवसायी से रंगदारी मांगने का मामला सामने आ गया। साफ है कि पूर्वांचल ही नहीं, यूपी में भी रंगदारी की फसल फिर से लहलहाने लगी है। धमकी देकर मोटी रकम उगाहने वाले बड़े दरख्‍त ही नहीं, बल्कि छोटे-मोटे पौधों की तादात में काफी इजाफा होता जा रहा है। निशाने पर हैं व्‍यवसायी। क्‍या छोटे, और क्‍या बड़े व्‍यवसायी। प्रतापगढ़ के कोहडौर में दो छोटे व्‍यवसाई भाइयों की जिस तरह कुछ दिन पहले ही गोली मार कर हत्‍या कर दिया गया, उससे रंगदारों की धमक को बखूबी सुना-पहचाना जा सकता है।
दूसरी बात यह कि समाज इंसानों के झुंड से बनता है, जिसका नियंत्रण एक संस्‍था करती है, जिसे सरकार और प्रशासन कहा जाता है। ऐसे में समाज से अलग हट कर आप अपने अस्तित्‍व और सम्‍मान को कैसे जीवित कर सकते हैं। डॉ रजनीश श्रीवास्‍तव जैसे लोग तो किसी भी समाज में घुन या दीमक ही फैला सकते हैं, जबकि डॉ एनके सिंह जैसे लोगों से ही समाज में मजबूत, सक्रिय और सम्‍मानित हो सकता है। भले ही लाख दोष हों सरकार या प्रशासन में, लेकिन अपराध का मुंहतोड़ जवाब केवल संगठित ढांचे से ही दिया जा सकता है, जिसे सरकार, प्रशासन और पुलिस कहा जाता है।
हो सकता है कि उनको अपने पेशे में महारत हो। हो सकता है कि वे खासे बड़े आदमी बन चुके हों, जो करोड़ों-अरबों में खेलते हों। उनकी तूती बोलती हो। लेकिन सच बात तो यही है कि अधिकांश डॉक्‍टर माल कमाना तो खूब जान गये हैं, लेकिन दिलेरी या साहस का प्रदर्शन करने में वे बिलकुल फट्टू साबित होने लगे हैं। डॉ रजनीश श्रीवास्‍तव द्वारा बदमाशों को चुपचाप दी गयी रंगदारी का खामियाजा पूरे डॉक्‍टर समुदाय को भुगतना पड़ रहा है। वाराणसी के एक वरिष्‍ठ चिकित्‍सक बताते हैं कि अगर हम पुलिस के साथ खड़े नहीं होंगे, तो अनर्थ की शुरूआत हो जाएगी, जो डॉ रजनीश श्रीवास्‍तव ने की थी। डॉ एनके सिंह के साथ हुए इस हादसे को वे डॉ रजनीश श्रीवास्‍तव की कायरता का परिणाम देख और मान रहे हैं। इस वक्‍त हमारे साथ हैं इंडियन मेडिकल एसोसियेशन के प्रदेश अध्‍यक्ष प्रोफेसर सूर्यकान्‍त इस मामले पर अपनी चिंता कुछ इस तरह व्‍यक्‍त करते हैं। उनका कहना है कि आईएएम ने चार जुलाई को डीजीपी से भंट की थी, जिसका ब्‍योरा सभी सदस्‍याओं तक भेजा जा रहा है।

प्रो सूर्यकांत की बात सुनने के लिए कृपया निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिएगा:-
काश। थोड़ी बहादुरी दिखा देते लोग

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